पीवी सिंधु ने 2014 में कांस्य, 2018 में सिल्वर जीता, इस बार क्या होगा

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- Author, चंद्रशेखर लूथरा
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए
कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की ओर से गोल्ड मेडल जीतने का दावा जिन खिलाड़ियों का सबसे मज़बूत है. उनमें पीवी सिंधु का नाम सबसे ऊपर है.
कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेने से पहले दो सप्ताह पहले सिंगापुर ओपन का खिताब जीतने से सिंधु का उत्साह काफ़ी बढ़ा हुआ है. ये इस सीज़न में सिंधु की पहली सुपर 500 सिरीज़ की खिताबी जीत है.
इस जीत के बाद 27 साल की सिंधु ने अपने मुख्य लक्ष्य की घोषणा कर दी थी, उसके मुताबिक़ उनका लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल भले जीतना हो लेकिन उसकी ओर वह बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने से करना चाहती हैं.
चीन की वांग जेई यई को तीन गेम तक चले मुक़ाबले में हराने के बाद सिंधु का आत्मविश्वास कहीं ज़्यादा बढ़ा हुआ है. उनका इरादा ना केवल महिला सिंगल्स मुक़ाबले में गोल्ड मेडल जीतना बल्कि मिक्स्ड टीम इवेंट भी भारत की गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते गए गोल्ड मेडल को बरक़रार रखना है.
इस साल से पहले सिंधु का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था. उबर कप सहित कुछ टुअर टूर्नामेंट में वे अपने रंग में नहीं थीं. लेकिन जनवरी महीने में सैयद मोदी इंटरनेशनल और मार्च में स्विस ओपन बीडब्ल्यूएफ़ सुपर 300 ओपन टूनार्मेंट में जीत के साथ सिंधु ने शानदार शुरुआत की.
सिंधु बैडमिंटन की दुनिया में स्टार खिलाड़ी चार साल पहले भी थीं, जब वह 2018 में कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेने के लिए गोल्ड कोस्ट पहुँची थीं.
2016 के रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के चलते उन्हें उस बार भी गोल्ड मेडल का ज़ोरदार दावेदार माना जा रहा था. इसके अलावा वहाँ चीन और जापान के शीर्ष खिलाड़ियों की ग़ैर-मौजूदगी का फ़ायदा भी सिंधु को मिलने की उम्मीद थी.
लेकिन वह गोल्ड मेडल नहीं जीत सकीं, अपने ही देश की सायना नेहवाल ने उन्हें हराकर गोल्ड मेडल जीता और कुछ दिनों के लिए उस चर्चा को विराम दे दिया था, जिसमें सिंधु को भारत की सबसे बेहतरीन खिलाड़ी माना जाने लगा था.
फ़ाइनल मुक़ाबले में हार के बाद सिंधु को दूसरा झटका तब लगा जब वो चोट के चलते मिक्स्ड टीम इवेंट के फ़ाइनल से बाहर हो गईं थी. भारत इससे मलेशिया और इंग्लैंड के दबदबे के चलते कभी टीम इवेंट का फ़ाइनल नहीं जीत सका था.
लेकिन गोल्ड कोस्ट में भारतीय खिलाड़ियों का धमाल जारी रहा, सायना नेहवाल के शानदार खेल के चलते भारत ने टीम इवेंट में भी गोल्ड मेडल जीत लिया. सिंधु की बदकिस्मती ऐसी रही कि टीम ने उनके बिना ये कामयाबी हासिल की थी.
सायना से माइंड गेम में पिछड़ीं

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सायना के सामने सिंधु का खेल ख़राब नहीं था, कोई चूक भी नहीं हो रही थी. लेकिन वह माइंड गेम में पिछड़ गईं. तब सिंधु की माँ पी. विजया ने सिंधु को संयम से खेलने की सलाह दे रही थीं और ज़्यादा आक्रामकता दिखाने से रोक रही थीं लेकिन सिंधु ने नेहवाल पर लगातार हमला जारी रखा था और नेहवाल ने उस आक्रामकता का संयम से जवाब देकर मैच जीत लिया था.
इस हार के कुछ महीनों के अंदर ही सिंधु ने एक बार फिर बैडमिंटन कोर्ट पर अपनी वापसी की और खेल के अहम और नाजुक मौक़ों पर संयम से खेलने की शैली को भी आत्मसात कर लिया.
इसका फ़ायदा सिंधु को बख़ूबी हुआ. 2019 में उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल हासिल किया जबकि टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया. वहीं दूसरी ओर सायना नेहवाल का प्रदर्शन उतार पर दिखने लगा था. कम रैंकिंग के चलते ही नेहवाल बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर सकीं.
वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के बाद सिंधु की कामायबी पर भी ब्रेक लगा. वह कई उभरती खिलाड़ियों के सामने हारने लगीं. चीनी ताइपे के ताई तजू यिंग ने उन्हें कई टूर्नामेंट में हराया, इसकी इकलौती वजह ये थी कि नये प्रतिद्वंद्वी की शैली से सिंधु तालमेल नहीं बिठा पा रही थीं.

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सिंधु इस दौरान जीत भी हासिल कर रही थीं लेकिन बैडमिंटन प्रशंसकों को उनकी हार से कहीं ज़्यादा चिंता होने लगी थी, यह आशंका भी होने लगी थी कि सिंधु का करियर अब इससे आगे नहीं बढ़ पाएगा.
उम्र और अनुभव बढ़ने के साथ अपनी ग़लतियों को सुधारना मुश्किल होता जाता है लेकिन सिंधु ने अपने कोरियाई कोच पार्क ताय सांग और सहायक टीम के साथ वापसी की. सहायक कोच श्रीकांत वर्मा और फिजियोथेरेपिस्ट इवांगलिन की मदद से सिंधु ने अपने खेल को सुधारा और इन सबकी बदौलत उन्हें एक बार फिर से कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल का दावेदार माना जा रहा है.
ऐसे में सिंगापुर ओपन की जीत के बाद सिंधु निश्चित तौर पर बर्मिंघम में भी स्वर्णिम कामयाबी हासिल करना चाहेगी. वर्ल्ड रैंकिग में सातवें नंबर की सिंधु को इस दौरान वर्ल्ड नंबर 13 कनाडा की मिचेल ली, वर्ल्ड नंबर 18 स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर्न और वर्ल्ड नंबर 19 सिंगापुर की यो जिया मिन की चुनौती से पार पाना होगा.
2014 में कांस्य, 2018 में सिल्वर और 2022 में गोल्ड?

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वैसे बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में सिंधु को शीर्ष वरीयता दी गई है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वह इस बार गोल्ड मेडल हासिल कर पाएंगी? 2014 के ग्लासगो में कांस्य पदक और 2018 के गोल्ड कोस्ट में सिल्वर मेडल जीतने के बाद क्या वह इस बार गोल्ड मेडल जीत पाएंगी?
उम्मीद की जा रही है कि क्वार्टर फ़ाइनल में उनकी टक्कर पूर्व जूनियर वर्ल्ड चैंपियन और मलेशियाई खिलाड़ी गोह जिन वेई से हो सकती है.
हालांकि बीते शुक्रवार को पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मिक्स्ड टीम इवेंट में सिंधु ने शानदार खेल दिखाया. भारत ने पाकिस्तान को 5-0 से हराया. सिंधु ने पाकिस्तान की शीर्ष खिलाड़ी माहूर शहजाद को 21-7,21-6 से हराया. भारतीय टीम ने रविवार को क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबले में साउथ अफ्रीका को 3-0 से हराकर सेमीफ़ाइनल में प्रवेश कर लिया है.
दो ओलंपिक मेडल और पांच बार वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल जीत चुकीं सिंधु हर साल में कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतना चाहेंगी. हालांकि बर्मिंघम आते ही उनके आरटी-पीसीआर टेस्ट ने ख़तरे की घंटी बजा दी थी. उन्होंने खुद को आइसोलेशन में रका और दूसरे टेस्ट के बाद भी उन्हें खेल गांव में जाने का मौका मिला, जहां उन्होंने भारतीय दल का नेतृत्व किया, बहरहाल अब उनका लक्ष्य गोल्ड मेडल जीतना ही है.
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