हार्दिक पंड्या का चमत्कार और वो पाँच वजहें जिससे जीती टीम इंडिया

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- Author, विमल कुमार
- पदनाम, साउथैंपटन से, बीबीसी हिंदी के लिए
शायद, दुनिया में साउथैंपटन का क्रिकेट स्टेडियम इकलौता ऐसा मैदान हो जहां पर टीम का प्रवेश एक होटल (हिल्टन) से जुड़ा है.
प्रेस बॉक्स जाने वाली लिफ्ट और टीम इंडिया के खिलाड़ियों को मैदान में ले जाना वाला रास्ता और लिफ्ट भी दोनों इस्तेमाल करते हैं.
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहले टी-20 मुकाबले से ठीक दो घंटे पहले इस लेखक की हार्दिक पंड्या से मुलाकात होती है और वो बेहद शानदार मूड में नज़र आतें हैं.
हार्दिक से हमारी मुलाकात करीब तीन साल बाद हो रही थी लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेंज से साफ था कि हमेशा सकारात्मक सोच रखने वाले पंड्या अब और सकारात्मक हो गए हैं.
टीम इंडिया की जीत की सबसे बड़ी वजह पंड्या का ऑलराउंडर के तौर पर पूरे मैच में ज़बरदस्त तरीके से छाना रहा.
इससे पहले भारत के किसी भी खिलाड़ी ने एक मैच में अर्धशतक और पारी में चार विकेट लेने का कमाल नहीं दिखाया था.
दुनिया में भी ऐसा कमाल करने वाले वो सिर्फ 5वें खिलाड़ी हैं.

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मैच ख़त्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पंड्या आए तो तब तक सारे अंग्रेज पत्रकार जा चुके थे और भारतीय पत्रकारों में इस लेखक के अलावा सिर्फ दो और पत्रकार ही थे.
मैंने पंड्या से ये पूछा कि अब तो उनको कप्तानी का अनुभव भी है तो वो एक कप्तान के नज़रिये से पंड्या बल्लेबाज़ या फिर पंड्या गेंदबाज़ के योगदान में किसे ज़्यादा अहमियत देंगे.
इस पर पंड्या ने कहा कि आज के मैच में पंड्या गेंदबाज़ की भूमिका ज्यादा अहम रही.
पहले डेविड मलान और उसके बाद लिविंग लाइमस्टोन को पावर प्ले में चलता करके पंड्या ने टीम इंडिया को बेहद शानदार कामयाबी दिलाई.
भुवनेश्वर का पहला ओवर
वैसे, मैच जीतने की एक बड़ी वजह रही नई गेंद से भुवनेश्वर कुमार का पैनापन.
यूं तो टी-20 फॉर्मेट में गेंदबाज़ के तौर पर भुवी की बहुत सारी बातें ख़ास हैं लेकिन उनमें भी सबसे अहम बात ये है कि उनके जैसा कमाल का पहला ओवर शायद ही कोई गेंदबाज़ डालता हो.
अगर इंग्लैंड को लक्ष्य का पीछा करने की उम्मीद कोई बल्लेबाज़ दे सकता था तो थे कप्तान और ओपनर जोस बटलर. लेकिन, भुवनेश्वर ने उन्हें पहली ही गेंद पर पवेलियन भेजकर मैच लगभग मुट्ठी में ला दिया.
अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में पहले ओवर में भुवी का ये 13वां विकेट था जो उन्हें इस सूची में साझे तौर पर सबसे बेहतरीन बनाता है.
वैसे भी पॉवर प्ले ओवर्स में भुवी ना सिर्फ किफायती गेंतदबाज़ी करते हैं बल्कि विकेट लेकर दबाव भी बनाते हैं और यही काम उन्होंने गुरुवार को किया.

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कप्तान रोहित का बोल्ड तरीक़ा
टॉस जीतकर जब कप्तान रोहित शर्मा ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया तो उस वक्त स्टेडियम में अभी भी भारतीय फैंस अंदर ही घुसने की कोशिश कर रहे थे.
जैसे उन्होंने रोहित के फैसले के बारे में सुना उन्होंने मायूसी ज़ाहिर की.
उनकी ये सोच थी कि मेज़बान लक्ष्य का पीछा करने में माहिर है और अभी दो दिन पहले ही एजबेस्टन में टेस्ट मैच के दौरान भी उन्होंने असंभव से दिखने वाले टारेगट को कितनी आसानी से चेज़ कर लिया था तो ऐसे में कप्तान ने एक फ्लैट पिच पर ऐसा निर्णय क्यों लिया.
दरअसल, रोहित ने इंग्लैंड को खुलेआम चुनौती दी. उन्होंने बटलर और इंग्लैंड को ये संदेश दिया कि टीम इंडिया एजबेस्टन हारने के बावजूद उनसे घबरा नहीं रही है बल्कि उल्टे वो ये कहना चाह रही है कि अगर दम है तो बेज़बॉल दर्शन को यहां भी दिखाए.
लेकिन, रोहित ने सिर्फ टॉस जीतकर अफनी बोल्डनस का परिचय नहीं दिया बल्कि बल्लेबाज़ के तौर पर भी तेज़ तर्रार अंदाज़ में शुरुआत की.
कप्तान के तौर पर रिकॉर्ड 13वीं जीत हासिल करने वाले रोहित ने बल्लेबाज़ के तौर भी अपने आक्रामक इरादे जाहिर करते हुए आने वाले बल्लेबाज़ों को संदेश दिया.
इस मैच में अपने करियर का 1000 रन पूरा करने वाले रोहित ने 2021 के बाद से 150 से ऊपर की स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं और पहले तीन ओवर के दौरान 5 चौके जड़ डाले थे.

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हुडा और सूर्या की बल्लेबाज़ी
इसलिए जब वो जल्दी आउट भी हो गए तो दीपक हुडा और सूर्यकुमार यादव ने हमला बोलना छोड़ा नहीं.
हुडा के आक्रामक तेवर को देखकर तो पहली बार कॉमेंट्री कर रहे इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ऑयन मार्गन भी भौचक्के रह गए.
मोईन अली जैसे ऑफ स्पिनर को लगातार दो छक्के लगाकर हुडा ने ये कहने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई कि ऑयरलैंड में मैन ऑफ द सिरीज़ वो यूं ही नहीं बने थे.
द्रविड़ ने दिया खुलकर मारने का लाइसेंस
टीम इंडिया के हेड कोच भले ही बर्मिंघम में ही आराम कर रहे थे क्योंकि इस मैच के लिए वीवीएस लक्ष्मण कोच की भूमिका में थे. लेकिन, टीम इंडिया के खिलाड़ी नियमित कोच की ही रणनीति पर खेल रहे थे.
हार्दिक से जब मैंने आखिरी सवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये पूछा कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि पिछले कुछ सालों से हमेशा संभलकर खेलने वाली टीम इंडिया इस मैच में बिलकुल अलग तेवर में क्यों दिख रही है तो उनका जवाब था कि कोच द्रविड़ ने हर किसी को कहा है कि वो नाकामी की परवाह किए बगैर खुद को मैदान पर बल्ले और गेंद से अपनी भावनाओं का इज़हार करें.
अगर ईशान किशन को अपवाद के तौर पर छोड़ दिया जाए तो टीम इंडिया के पहले पहले 7 में से 6 बल्लेबाज़ों का स्ट्राइक रेट 140 से ज़्यादा का रहा.
आलम ये रहा कि टॉप 4 बल्लेबाज़ों में से तीन ने भले ही सिर्फ 20 का आंकड़ा पार किया लेकिन उनका स्ट्राइक रेट 170 से ऊपर का रहा.
टी-20 क्रिकेट में इन छोटी-छोटी बातों से बड़ी जीत मिलती है और टीम इंडिया को 50 रन के अंतर से जीत मिलना इसी आक्रामक रवैये का सबूत रहा.

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अर्शदीप का शानदार डेब्यू
आखिर में अर्शदीप सिंह की बात किए बगैर इस जीत की बात पूरी नहीं हो सकती है.
आईपीएल में बेहतरीन गेंदबाज़ी करना एक बात होती है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उसी प्रदर्शन को दोहराना एक दूसरी बात होती है.
अपना पहला मैच खेल रहे अर्शदीप ने पहला ओवर इतने कसे हुए अंदाज़ में डाला कि उन्होंने एक भी रन बनने नहीं दिया.
इतना ही नहीं अपने 21 गेंदों की गेंदबाज़ी में उन्होंने 13 गेंदों पर कोई भी रन बनने नहीं दिया और छक्के लगना तो दूर की बात, उनकी गेंदो पर गिनती के दो चौके ही लगे.
एक तरह से देखा जाए तो ना सिर्फ इस युवा गेंदबाज़ के लिए टी-20 सीरीज़ की शुरुआत शानदार रही बल्कि टीम इंडिया के लिए और बेहतर क्योंकि खुद सोचिए कि जब ये टीम बर्मिंघम में पहुंचेगी तो 5 टॉप खिलाड़ी चयन के लिए उपलब्ध होंगे. अब टीम इंडिया के लिए समस्या ये होगी कि उनको प्लेइंग इलेवन में शामिल करने के लिए किसे बाहर किया जाए.
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