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IPL 2020 : धोनी का युग क्या समाप्त होने वाला है?
- Author, आदेश कुमार गुप्त
- पदनाम, वरिष्ठ खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
संयुक्त अरब अमीरात में खेले जा रहे आईपीएल के तेरहवें सीज़न के दौरान चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का एक टेलिविज़न विज्ञापन दिखाई देता है. इस विज्ञापन में धोनी बेफ़िक्र होकर कहते दिखते हैं कि 'तुम सबको मेरे रिटायरमेंट की बड़ी फ़िक्र है.'
अब धोनी इस साल जिस तरह से खेल रहे हैं और जो उनकी टीम का हाल आईपीएल में है उसे देखकर उनके आलोचक तो दूर उनके चाहने वालों को भी लग रहा है कि 'बस धोनी बस.' क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बाद अब धोनी आईपीएल को भी अलविदा कह देंगे?
पिछले साल फ़ाइनल में मुंबई इंडियंस से हारने वाली और तीन बार की चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स बीते सोमवार को राजस्थान से हारने के बाद अंक तालिका में सबसे निचले आठवें पायदान पर थी, वह भी दस में से सात मैच हारकर.
इस आईपीएल में उनके बल्ले से रन नहीं बन रहे, विकेटकीपिंग करते हुए कैच छूट रहे हैं और तो और ख़ुद रन आउट भी हुए हैं. पिछले ही मैच में राजस्थान के ख़िलाफ़ उन्होंने 28 गेंद पर 28 रन बनाए तो टीम भी पूरे 20 ओवर खेलकर पाँच विकेट खोकर 125 रन ही बना सकी. यानी टीम और कप्तान दोनों नाकाम.
तो क्या अब धोनी पहले जैसे नहीं रहे. क्या धोनी का मिडास टच समाप्त हो चुका है. पहले जैसे फ़िनिशर तो वह रहे नहीं हैं लेकिन अब वह पहले जैसे निर्णय भी नहीं ले पा रहे हैं. सीधे-सीधे कहें तो क्या धोनी का स्वर्णिम युग समाप्त हो चुका है?
महेंद्र सिंह धोनी की इस हालत को लेकर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ विराट कोहली के कोच और दिल्ली के पूर्व क्रिकेटर राजकुमार शर्मा कहते हैं, "यह कहना तो ग़लत होगा कि धोनी एक खिलाड़ी के तौर पर बिलकुल नाकाम हो गए हैं. उनका शानदार करियर रहा है, लेकिन इस आईपीएल में आने से पहले वह क्रिकेट से काफ़ी दूर रहे."
"अभी तो कोरोना आ गया लेकिन उससे पहले के सात-आठ महीने, ना वह अंतरराष्ट्रीय और ना ही घरेलू क्रिकेट खेल पाए. जब एक साल का अंतर हो जाए और फिर इतना बड़ा टूर्नामेंट कोई खेले तो वापसी करना आसान नहीं होता, भले ही वो धोनी जैसा बड़ा खिलाड़ी हो. कोई भी खेल अभ्यास माँगता है."
धोनी की फ़िटनेस को लेकर राजकुमार शर्मा कहते हैं, "फ़िटनेस तो अभी भी उनकी ठीक ही है. विकेटकीपिंग भी अच्छी ही कर रहे हैं लेकिन बल्लेबाज़ी में जिस धोनी को हम जानते हैं, और जिस तरह से उनके चाहने वाले उन्हें प्रेरणा के तौर पर लेते हैं वह धोनी अब लगता है, नहीं है. लम्बे-लम्बे छक्के लगाकर मैच समाप्त करने की उनकी जो छवि थी, उसी में अब उन्हें मुश्किल आ रही है."
टीम में सीनियर खिलाड़ियों की भरमार
इस बार धोनी की कप्तानी में दिखे फ़र्क़ को लेकर राजकुमार शर्मा कहते हैं, "इसका एक कारण यह भी है कि टीम में अनुभवी लेकिन उम्रदराज़ खिलाड़ी बहुत अधिक हैं. उन्हें अगर चोट लग जाए तो रिकवरी आसान नहीं है जैसे ब्रॉवो को चोट लगी तो वह टीम से बाहर हो गए और वापसी में प्रभावी नहीं रहे. सुरेश रैना वापस चले गए, हरभजन सिंह आए नहीं. इस टीम को इस बार काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है."
धोनी युग की समाप्ति पर मदन लाल ने कहा, "धोनी का युग तो पिछले साल हुए विश्व कप के बाद ही कमज़ोर हो गया था, और अब धीरे-धीरे समाप्त ही हो रहा है. अगर वह विश्व कप के बाद क्रिकेट खेलते रहते तो उनके युग के बने रहने और बचे रहने का और पता चलता."
धोनी के ख़राब प्रदर्शन को लेकर मदन लाल कहते हैं, "जब खिलाड़ी क्रिकेट नहीं खेलता तो वह अपना टच भी खो देता है. ऐसे में दिमाग़ तो साथ देता है लेकिन शरीर और टाँगे साथ नहीं देती. ऐसा नहीं है कि वह एकदम बुरे खिलाड़ी बन गए हैं. अभ्यास ना करने से उनकी मुश्किलें बढ़ती चली गई."
कप्तानी में इस बार पैनापन के अभाव को लेकर मदन लाल ने कहा, "जो धोनी सबसे अलग निर्णय लेते थे वह धोनी दिखाई नहीं दिए. जब टीम अच्छा ना खेले तो उसका असर कप्तान पर भी दिखने लगता है."
क्या धोनी अगला आईपीएल भी खेलेंगे? इस सवाल पर मदन लाल कहते हैं कि इसका निर्णय तो वह ख़ुद लेंगे लेकिन वह चेन्नई के साथ किसी ना किसी रूप में रहेंगे चाहे मेंटॉर या डायरेक्टर जो भी वह चाहें. वैसे अब उनका आगे खेलना मुश्किल लगता है बाक़ी निर्णय उन्हीं का होगा.
इस आईपीएल में उनकी नाकामी को लेकर मदन लाल ने कहा, "यह क्रिकेट में होता है. सभी खिलाड़ी इस दौर को देखते है. प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलते रहना बहुत ज़रूरी है. इससे खिलाड़ी का दिमाग़ भी तेज़ रहता है, बल्ला चलता रहता है, फ़ॉर्म बनी रहती है. अब वह उतार पर हैं तो यह सब चीज़ें तो सामने आएँगी ही."
क्या पूरा ज़ोर लगाकर धोनी वापसी कर सकते हैं? इस सवाल को लेकर मदन लाल कहते हैं कि यह तो बहुत मुश्किल लग रहा है क्योंकि इसके लिए उन्हें क्रिकेट खेलनी पड़ेगी. जिस धोनी को हम जानते हैं अगर वह खेलना चाहेंगे तो मेहनत करेंगे वर्ना छोड़ देंगे.
धोनी से इस बार क्या उम्मीदें थीं जो उन्होंने पूरी नहीं की, इसे लेकर मदन लाल ने कहा, "उनसे एक दो मैच में तो शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन अभी तक तो ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया."
हो सकता है आने वाले मैचों में धोनी पुरानी झलक दिखा दें. धोनी से जुड़े सवालों ख़ासकर सीधे-सीधे कि क्या धोनी मैजिक समाप्त हो गया है, एक और पूर्व खिलाड़ी और चयनकर्ता रहे अशोक मल्होत्रा कहते हैं, "धोनी ने अपने चाहने वालों को निराश किया है. वह कसौटी पर खरे नहीं उतरे. जिस धोनी को सब जानते हैं उस धोनी की यह छाया दिखाई दे रहे हैं, यह चिंता की बात है."
"उम्र का तक़ाज़ा हो सकता है. लम्बे समय तक क्रिकेट से दूर रहना परेशानी हो सकती है. अब इस तरह की क्रिकेट तो धोनी भी नहीं खेलना चाहेंगे क्योंकि उन्हें जिताने की आदत है, लगातार परिवर्तन करने की आदत है लेकिन वह नहीं हो पा रहा. अच्छा ना खेलने का असर कप्तानी पर भी दिख रहा है."
पैनापन हुआ कम
अशोक मल्होत्रा साफ़-साफ़ कहते हैं कि अब धोनी में पहले जैसा पैनापन और जोश दिखाई नहीं दे रहा जिसके लिए वह जाने जाते थे.
धोनी की बदली बल्लेबाज़ी को लेकर अशोक मल्होत्रा ने कहा, "धोनी पिछले दो तीन साल से ऐसे ही खेल रहे है. वह एक-एक, दो-दो रन लेते है और आख़िर के चार ओवरों में बड़ी हिट लगाते है. अब उनसे बड़े हिट नहीं लग रहे."
तो क्या धोनी ही ज़िम्मेदार हैं या पूरी टीम ही फ़्लॉप हो गई. इसे लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि पूरी टीम ही फ़्लॉप है. शेन वाटसन, धोनी, अंबाती रायडू सबने निराश किया. यह युवाओं का खेल है.
अब धोनी ने क्यों कहा कि उनकी टीम के युवाओं में चमक नहीं है. इसके जवाब में अशोक मल्होत्रा कहते हैं, "यह कहना निराशाजनक है. धोनी ने कौन सा युवाओं को मौक़ा दिया. रितुराज गायकवाड़ और एकाध खिलाड़ी को ही उन्होंने खिलाया. धोनी तो वाटसन, रवींद्र जडेजा, केदार जाधव और ब्रॉवो के साथ ही तो खेलते रहे. वह किन युवाओं की बात कर रहे हैं."
धोनी के भविष्य को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं, "वह बहुत उज्ज्वल दिखाई नहीं देता. लेकिन वह महान खिलाड़ी हैं इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. वैसे चेन्नई सुपर किंग्स और धोनी में कोई फ़र्क़ नहीं है, अगर वह नहीं भी खेलेंगे तो भी उससे जुड़े रहेंगे. यह वैसे ही है जैसे दिग्गज फ़ुटबॉलर मैसी और बार्सिलोना. वैसे अब धोनी का समय आ गया है. धोनी अगर आईपीएल से हटते हैं तो चेन्नई सुपर किंग्स के अलावा उन्हें कोई और नहीं लेगा."
लेकिन इन सबसे अलग पूर्व क्रिकेटर अतुल वासन कहते हैं कि 'धोनी को अभी भी पुराने धोनी की तरह देखना ग़लत है. सबको अपनी उम्मीदों का पैमाना थोड़ा कम करना पड़ेगा. उनकी उम्र बढ़ रही है. वह टीम के बल्लेबाज़ और मेंटॉर हैं. उन्होंने सब कुछ हासिल किया है. अब अगर उनकी टीम ख़राब खेल रही है तो उनकी पुरानी यादों को धूमिल करना ठीक नहीं है.'
लेकिन क्या धोनी का खेल समाप्त हो चुका है? इसे लेकर अतुल वासन कहते हैं, "यह तो उन्हें भी मालूम है तभी तो उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. वह तो घरेलू क्रिकेट भी नहीं खेल रहे हैं. हर खिलाड़ी की ताक़त उम्र के साथ-साथ घटती है और उसे पुराने खिलाड़ी के तौर पर आंकते रहना सही नहीं है."
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