कोहली, धोनी और शास्त्री के भविष्य पर सवाल उठाना कितना सही

    • Author, आदर्श राठौर
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

तीन अगस्त से भारतीय क्रिकेट टीम का वेस्ट इंडीज़ दौरा शुरू होने जा रहा है. भारतीय टीम वहां तीन वनडे, दो टेस्ट और तीन टी-20 मैच खेलेगी.

भारत के कप्तान विराट कोहली रविवार को पांच चयनकर्ताओं के साथ इस दौरे के लिए टीम के चयन को लेकर होने वाली बैठक में शिरकत करेंगे.

हाल ही में हुए विश्वकप के सेमीफ़ाइनल में भारतीय टीम के प्लेइंग इलेवन और फिर बेतरतीब से रनिंग ऑर्डर की कई क्रिकेट एक्सपर्ट्स और पूर्व क्रिकेटरों ने आलोचना की थी.

इसके बाद से कप्तान विराट कोहली, कोच रवि शास्त्री और पूर्व कप्तान महेद्र सिंह धोनी की भूमिका को लेकर चर्चा का दौर शुरू हो गया है.

इन चर्चाओं के बीच सबकी निगाहें रविवार को होने वाली मीटिंग पर टिक गई हैं इससे क्या निकलने वाला है.

कोहली बने रहेंगे तीनों फॉरमैट्स के कप्तान?

वर्ल्ड कप में विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री के कई फ़ैसलों को लेकर सवाल उठे. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण ने धोनी को सातवें नंबर पर भेजने को भारी रणनीतिक चूक क़रार दिया.

सचिन तेंदुलकर को भी लगता है कि विराट कोहली ने धोनी को सातवें नंबर पर भेजकर ग़लती की थी. सचिन ने कहा था कि दिनेश कार्तिक को पाँच नंबर पर खेलने के लिए भेजना समझ से परे था.

इसके बाद यह चर्चा भी होने लगी कि क्या भारतीय टीम में एक बार फिर अलग-अलग फॉरमैट्स के लिए अलग कप्तान होने चाहिए.

वरिष्ठ खेल पत्रकार जी. राजारमण इसे ग़ैरज़रूरी मांग बताते हैं. वह कहते हैं, "लोगों को अपनी राय देने का हक़ बनता है मगर चयनकर्ताओं को यह फ़ैसला करना होगा कि क्या भारत में दो कप्तान हैंडल करने की क्षमता है. मेरी राय है कि इसकी ज़रूरत नहीं है."

ऐसी ही राय वरिष्ठ खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली की भी है. उनका मानना है कि कोहली की कप्तानी पर सवाल उठाने का कोई कारण नज़र नहीं आता.

वह कहते हैं, "किसी फॉरमैट की कप्तानी से उन्हें मुक्त करना है या नहीं, यह उन फिटनस, फॉर्म और टीम में महत्व पर निर्भर करता है. अगर उनकी कप्तानी और सफलता की दर पर नज़र डालें तो नया कप्तान ढूंढने की ज़रूरत महसूस नहीं होती. उन्होंने ऐसा कोई ख़राब काम नहीं किया कि हमें किसी फॉरमैट में नया कप्तान ढूंढने की ज़रूरत महसूस हो."

दरअसल दूसरे कप्तान की ज़रूरत देने वाले विश्वकप में उपकप्तान रोहित शर्मा की शानदार बल्लेबाज़ी और आईपीएल में मुंबई इंडियंस के कप्तान रहते हुए अपनी टीम चार बार चैंपियन भी बनाने का तर्क दे रहे है.

मगर विजय लोकपल्ली का कहना है कि आईपीएल टीम और भारतीय टीम के नेतृत्व में फ़र्क है. वह कहते हैं कि रोहित शर्मा कभी-कभी टेस्ट मैच नहीं खेलते हैं. दो मैच में वह कप्तान रहें, एक में कोहली; यह टीम के लिए सही नहीं होगा.

लोकपल्ली कहते हैं, "रोहित शर्मा ने आईपीएल में क़ामयाबी हासिल की है और वह अलग तरह से लीड भी करते हैं. मगर वह आईपीएल में एक फ्रेंचाइज़ी के कप्तान होते हैं जिसमें चार खिलाड़ी बाहर के भी खेलते हैं. जबकि विराट कोहली भारतीय खिलाड़ियों को लीड करते हैं. किसी भी फॉरमैट में उनका प्रदर्शन कमज़ोर नहीं कहा जा सकता."

क्या ड्रॉप हो सकते हैं धोनी?

वर्ल्डकप और उससे पहले से महेंद्र सिंह धोनी पर स्लो खेलने को लेकर सवाल उठते रहे है.

ग्रुप स्टेज में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेली गई धीमी पारी और फिर सेमीफ़ाइनल में भी अपेक्षाकृत स्लो खेलने को लेकर उनकी आलोचना हुई.

कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने राय जताई है कि समय आ गया है जब वेस्ट इंडीज़ दौरे के लिए टीम चुनने से पहले चयनकर्ताओं को धोनी से उनके करियर को लेकर बातचीत करनी चाहिए.

तो क्या वह समय आ गया है जब उन्हें संन्यास लेने को लेकर विचार करना चाहिए? या क्या ऐसी स्थिति है कि उन्हें टीम से ड्रॉप किया जा सकता है?

वरिष्ठ खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली कहते हैं कि धोनी ने ऐसा प्रदर्शन नहीं किया है कि उनपर सवाल उठाए जाएं.

वह कहते हैं, "धोनी अपने ही बेंचमार्क से नीचे ज़रूर खेले होंगे लेकिन किसी भी मौके पर वह बोझ नहीं बने. सेमीफ़ाइनल में उन्हें नंबर 7 पर खेलने का रोल दिया गया था जो उन्होंने बखूबी निभाया. टेलेंडर्स के साथ खेलना आसान काम नहीं है और धोनी के अलावा कोई और यह काम नहीं कर सकता था."

खेल पत्रकार जी. राजारमण मानते हैं कि धोनी को आगे खेलने मौक़ा देना है या नहीं, यह बात चयनकर्ताओं पर निर्भर करती है.

जी. राजारमण कहते हैं, "मेरा ये मानना रहा है कि जब खिलाड़ी का संन्यास लेने का समय आता है तो उसे ख़ुद अहसास हो जाता है. जब तक खिलाड़ी यह फ़ैसला न ले, और लोगों का चुप रहना बेहतर है."

"लेकिन चयनकर्ताओं के सामने चुनौती है कि अगर धोनी संन्यास नहीं लेते तो क्या वह वेस्ट इंडीज़ दौरे के लिए उन्हें चुनना चाहेंगे या फिर वे भविष्य के बारे में सोचकर टीम को बनाना चाहते हैं."

वहीं विजय लोकपल्ली का मानना है कि धोनी ख़ुद जानते हैं कि कितना योगदान दे सकते हैं. "वह अपने चहेतों से, टीम से ऐसी बेईमानी नहीं करेंगे कि अनफिट होते हुए, योगदान न दे पाते हुए टीम में अपनी जगह पर चिपके रहें."

जी. राजारमणन का मानना है कि चयनकर्ता धोनी को शायद एक सीरीज़ और बनाए रखेंगे क्योंकि बतौर बल्लेबाज़ और विकेटकीपर उनके क्रिकेट में गिरावट नहीं आई है और विकेट के पीछे से वह कप्तान के लिए मददगार साबित होते हैं.

धोनी के बिना क्या करेंगे कोहली?

दरअसल महेंद्र सिंह धोनी विकेटकीपिंग करते हुए गेंदबाज़ों को इनपुट देते रहते हैं. कई भारतीय गेंदबाज़ कह चुके हैं कि विकेट के पीछे महेंद्र सिंह धोनी से मिलने वाली गाइडेंस उनके लिए फ़ायदेमंद साबित होती है.

कई बार कप्तान विराट कोहली आउटफ़ील्ड पर खेलकर फ़ील्डिंग करते हैं और फ़ील्ड सेट करने और गेंदबाज़ों की मदद करने की ज़िम्मेदारी धोनी और दायरे के अंदर खड़े उपकप्तान रोहित शर्मा पर रहती है.

ऐसे में अगर धोनी संन्यास ले लेते हैं या टीम में उन्हें जगह नहीं मिलती है तो क्या कप्तान विराट कोहली को मुश्किल नहीं आएगी?

विजय लोकपल्ली कहते हैं कि कप्तान की भूमिका कप्तान ही निभाता है. वह कहते हैं, "जब धोनी के संन्यास का समय आएगा तो मुझे यक़ीन है कि उसके बाद भी कोहली धोनी से मिले इनपुट्स का फ़ायदा उठाते रहेंगे."

"वह धोनी के भरोसे ही आउटफ़ील्ड में जाते हैं. वह जानते हैं कि रोहित शर्मा सर्कल के अंदर हैं. उन्हें रोहित पर भी भरोसा है कि वह ज़रूरत पड़ने गेंदबाज़ को निर्देश देंगे. इनपुट्स धोनी से आएं, रोहित से या कोहली से मगर सभी को पता है कि कप्तान कौन है. और यह बात इसका सबूत है कि यह तीनों खिलाड़ी एक दूसरे को कितना सपॉर्ट करते हैं."

शास्त्री का क्या होगा

बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच और अन्य सपॉर्ट स्टाफ़ के लिए नए आवेदन मंगवाए हैं.

दरअसल भारतीय टीम के कोचिंग स्टाफ़ का कार्यकाल पूरा हो गया है और नए आवेदन 30 जुलाई तक किए जा सकते हैं.

सपॉर्ट स्टाफ़ को 45 दिनों का एक्सटेंशन दिया गया है ताकि तीन अगस्त से शुरू हो रहा वेस्ट इंडीज़ दौरा प्रभावित न हो.

इसके बाद होने वाले चुनाव में रवि शास्त्री रहेंगे या उनकी जगह कोई और कोच बनेगा?

वरिष्ठ पत्रकार विजय लोकपल्ली कहते है विजय लोकपल्ली कहते हैं कि रवि शास्त्री बतौर खिलाड़ी, कॉमेंटेटर और कोच के रूप में लगातार खेल से जुड़े हैं और वह खेल की बारीक़ियों को समझते हैं. उनका मानना है कि बेशक सेमीफ़ाइनल में भारत हार गया मगर टीम में वर्ल्डकप जीतने की पूरी तैयारी थी.

वह कहते हैं, "अभी तक आप देखें तो टीम ने अच्छे रिज़ल्ट पाए हैं. कोचिंग तो नहीं, मैन मैनेजमेंट का काम है उनका. उनपर खिलाड़ियों को भरोसा है कि पेचीदा स्थिति आ जाए तो रवि शास्त्री उन्हें सलाह देते हैं. टीम में जो एक आत्मविश्वास जगा है, उसमें पहले कुंबले का बड़ा हाथ था. उसी परंपरा को शास्त्री लेकर आए हैं."

जी. राजारमण भी मानते हैं कि विश्व कप में भारतीय टीम का प्रदर्शन ख़राब नहीं रहा और वह आज भी सर्वश्रेष्ठ टीम मानी जाती है. वह इसमें रवि शास्त्री की भी भूमिका मानते है.

वहीं लोकपल्ली कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि उनका रोल ख़त्म हो गया. वह इंटरव्यू के लिए स्वाभाविक दावेदार तो हैं ही. अब जो कोच का सिलेक्शन करेंगे, उनपर निर्भर करेगा कि क्या करना है."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)