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IPL 2019 के पहले मैच की पिच पर उठे सवाल
- Author, आदेश कुमार गुप्त
- पदनाम, खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
बीते शनिवार को इंडियन प्रीमियर लीग के 12वें संस्करण की शुरुआत महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेलने वाली और पिछली बार की चैंपियन टीम चेन्नई सुपर किंग्स की जीत के साथ हुई.
चेन्नई सुपर किंग्स ने विराट कोहली की कप्तानी में खेलने वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लौर को सात विकेट से हराया.
अब मैच में हार जीत तो चलती रहती है लेकिन इस मैच में चर्चा का केन्द्र बनी वह पिच जिस पर मैच खेला गया.
कोहली की टीम को टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करने का मौका मिला.
लेकिन आरसीबी पूरे 20 ओवर भी नहीं खेल सकी और 17.1 ओवर में ही महज़ 70 रनों पर सिमट गई.
मैच के बाद बैंग्लोर के कप्तान विराट कोहली ने कहा कि कोई भी टीम ऐसी हार के साथ शुरुआत नही करना चाहेगी.
उन्होंने कहा कि पिच ने जैसा व्यवहार किया उससे अधिक बेहतर वह नज़र आ रही थी.
यहां 140 या 150 रन का स्कोर काफ़ी होता, क्योंकि बाद में ओस भी पड़ती है.
पिच पर बरसा कोहली का गुस्सा
लेकिन कोई भी टीम यहां बल्लेबाज़ी करना पसंद नही करती क्योंकि टी-20 क्रिकेट में बल्लेबाज़ रन बनाना चाहते है ताकि स्कोर बोर्ड पर अच्छा स्कोर नज़र आए.
विराट ने आगे कहा कि यहां तो 100 या 110 रन का स्कोर भी काफी नज़दीक होता.
हालांकि उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स को जीत की बधाई दी. लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाज़ अंबाती रायडू ने भी माना कि विकेट पर खेलना आसान नहीं था.
अगर 40-50 रन और बनाते होते तो बहुत मुश्किल होता. उन्होंने तो यहां तक कहा कि यहां खेलना चार दिन के क्रिकेट जैसा था.
विकेट को भांपने के पारख़ी माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने भी कहा कि विकेट के बारे में उनकी टीम को ज़्यादा कुछ नहीं पता था, यह उस विकेट जैसा नहीं है जिस पर अभ्यास किया था. इस विकेट पर 140-150 रन बनने की उम्मीद थी.
आलोचना की ज़रूरत नहीं
पिच को लेकर मचे धमाल को लेकर क्रिकेट समीक्षक अयाज़ मेमन का मानना है कि पूरे सीज़न जिसमें 50 से अधिक मैच होते हैं, उसमें अगर तीन या चार मैच ऐसी पिचों वाले मिलते हैं तो उसकी ज़्यादा आलोचना करने की ज़रूरत नही है.
दरअसल हुआ यह कि ये आईपीएल का पहला मैच था और वह भी लो स्कोरिंग हो गया जिससे आईपीएल के प्रशंसक भी सकते में आ गए हैं.
और शायद रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लौर के बल्लेबाज़ भी सकते में आ गए हैं क्योंकि उन्हें इस तरह की पिच की उम्मीद नहीं थी.
अगर ऐसी पिच टूर्नामेंट की बीच में मिलती तो इतनी चर्चा नही होती क्योंकि तब तक खिलाड़ी अपनी लय में आ जाते हैं.
लेकिन अगर पहले ही मैच में इस तरह की विकेट मिल जाए और उसके बाद अच्छा प्रदर्शन ना हो तो खिलाड़ी निराश हो जाते हैं.
अयाज़ मेमन यह भी कहते हैं कि खेल चुनौतियों का ही नाम है, खिलाड़ी किस तरह से उसका सामना करते हैं यह उनकी क्षमता पर निर्भर करता है.
वैसे अयाज़ मेमन यह भी मानते है कि विकेट पर गेंद बहुत तेज़ी से टर्न हो रही थी लेकिन एबी डिविलियर्स और दूसरे बल्लेबाज़ अगर हरभजन सिंह, रविंद्र जडेजा और इमरान ताहिर सावधानी से सामना करते तो 110-120 रन बना सकते थे.
अयाज़ मेमन यह भी मानते है कि घरेलू टीम इस तरह की पिच बनवा भी सकती है क्योंकि वह पिच क्यूरेटर के साथ रहती है.
रनों को तरसे कोहली के जांबाज
चेन्नई का रिकॉर्ड भी अपने ही घर में ख़ासकर बैंगलोर के ख़िलाफ़ शानदार रहा है.
इतना ही नहीं धोनी ने टीम चुनने में भी विराट कोहली से बाज़ी मारी और तीन स्पिनर से साथ मैदान में उतरे.
पूरे मैच के दौरान दोनों ही टीमों के बल्लेबाज़ एक-एक रन के लिए तरसते नज़र आए.
पूरी दुनिया में अपनी बल्लेबाज़ी से गेंदबाज़ों में ख़ौफ़ पैदा करने वाले विराट कोहली जब हरभजन सिंह की गेंद पर लंबा हिट लगाने की कोशिश में रविंद्र जडेजा को मिड ऑन पर कैच थमा बैठे तो लगा कि कोई बात नहीं खराब शॉट खेला होगा.
लेकिन उसके बाद तो एक के बाद एक विकेट का जैसे पतझड़ ही लग गया.
360 डिग्री पर शॉट खेलने की क्षमता रखने वाले बल्लेबाज़ के रूप में जाने वाले एबी डिविलियर्स भी हरभजन सिंह की घूमती गेंद की डिग्री भांपने में नाकाम रहे और रविंद्र जडेजा को कैच दे बैठे.
उसके बाद हेटमायर और बाक़ी बल्लेबाज़ों का भी यही हाल हुआ. इमरान ताहिर भी अपनी गेंदों का कमाल दिखाने में कामयाब रहे.
बैंगलोर के 10 बल्लेबाज़ दहाई तक भी नहीं पहुंचे. वह तो पार्थिव पटेल ने सर्वाधिक 29 रन बनाए.
केवल 71 रनों का लक्ष्य हासिल करने में चेन्नई को भी पसीना आ गया.
जैसे तैसे वह 17.4 ओवर में तीन विकेट खोकर जीतने में कामयाब रही.
शेन वाटसन का तो खाता तक नहीं खुला. अंबाति रायडू ने 28 सुरेश रैना ने 19 और केदार जाधव ने नाबाद 13 रन बनाकर मैच जीताया.
उम्मीद है आईपीएल के और किसी मैच में भले ही टीम इससे भी कम स्कोर पर आउट हो जाए लेकिन पिच को लेकर विवाद ना हो तो बेहतर है.
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