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टी-20 में कोहली से ज़्यादा रन बनाने वाली मिताली राज टीम से बाहर क्यों
- Author, आदेश कुमार गुप्त
- पदनाम, वरिष्ठ खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
साल 2004 का 28 अप्रैल, एक बेहद गर्म दिन था. दिल्ली में ओमनाथ सूद स्मृति क्रिकेट टूर्नामेंट का फ़ाइनल, इंडियन एयरलाइंस और ओएनजीसी के बीच खेला जा रहा था.
टूर्नामेंट के आयोजक ने बताया कि इस फ़ाइनल में रमेश पोवार और मुनाफ़ पटेल ओएनजीसी के लिए खेल रहे हैं.
इससे पहले रमेश पोवार सौरव गांगुली की कप्तानी में पाकिस्तान में एकदिवसीय सिरीज़ खेल चुके थे. फ़ाइनल मैच जारी था, ओएनजीसी की टीम बल्लेबाज़ी कर रही थी.
तभी रमेश पोवार दिखे. वे इतने रिलैक्स थे कि ये लगा ही नहीं कि थोड़ी देर बाद ही बल्लेबाज़ी के लिए उनका नंबर आने वाला है.
इंटरव्यू के लिए मेरी गुज़ारिश को भी उन्होंने मना कर दिया. उनके इस व्यवहार से लगा कि ये तो बड़े अजीब खिलाड़ी हैं. ख़ैर बात आई गई हो गई.
लेकिन पिछले दिनों जब मिताली राज और उनके बीच की बातें मीडिया में आई तो जैसे सब कुछ आंखों के सामने घूम गया.
बीसीसीआई को मिताली की चिट्ठी
मिताली राज ने वेस्ट इंडीज़ में हुए आईसीसी टी-20 विश्व कप में भारत के ग्रुप मुक़ाबलों में पाकिस्तान के ख़िलाफ 56 और आयरलैंड के ख़िलाफ 51 रन बनाए थे.
इसके बाद उन्हें पहले तो अगले ही मुक़ाबले में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ और फिर सेमीफ़ाइनल में इंग्लैंड के ख़िलाफ टीम से बाहर कर दिया गया. भारत सेमीफाइनल में आठ विकेट से हारा.
अब ख़बरें आ रही हैं कि सेमीफाइनल के लिए फ़िट और फ़ॉर्म में रहने वाली मिताली राज को कोच रमेश पोवार ने मैच शुरू होने से ठीक पहले बताया कि वे टीम में नही हैं.
इतना ही नहीं उन्हें मैदान पर रहने के लिए भी मना किया गया. ऐसे में मिताली की हालत रोने जैसी हो गई.
इन तमाम बातों का ज़िक्र मिताली राज ने बीसीसीआई को लिखी चिट्ठी में भी किया है.
इसमें सबसे गंभीर बात ये है कि मिताली राज ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त क्रिकेट प्रशासकों की समिति की सदस्य डायना एडुल्जी पर भी पक्षपात के आरोप लगाए हैं.
शानदार औसत
अगले महीने तीन दिसंबर को मिताली राज 36 साल की हो जाएंगी. इतनी उम्र के खिलाड़ी तो भारतीय पुरुष टीम में भी आंखों में खटकने लगते हैं.
लेकिन मिताली अगर फिट हैं और उनके बल्ले से रन निकल रहे हैं तो फिर उनकी उम्र पर ध्यान क्यों दिया जा रहा है?
मिताली राज ने अभी तक 85 टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में 37.42 की औसत से 2283 रन बनाए हैं. इसमें 17 अर्धशतक शामिल हैं.
उनका ये औसत किसी भी भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी का सर्वोच्च औसत है.
कमाल की बात ये है कि उन्होंने इस फॉर्मेट में भारत के कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा से भी अधिक रन बनाए है.
रोहित शर्मा ने 90 मैचों में 2237 और विराट कोहली ने 65 मैचों में 2167 रन बनाए हैं.
मिताली का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन
मिताली राज ने बीसीसीआई को लिखे अपने ख़त में कहा है कि वेस्ट इंडीज़ में (टूर्नामेन्ट के दौरान) अपने साथ हुए व्यवहार से उन्होंने ख़ुद को अपमानित महूसस किया.
लेकिन जब तक टूर्नामेंट चला उन्होंने कुछ नहीं कहा. उनके अनुसार कोच रमेश पोवार ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया.
मिताली राज ने अपने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन ने टी-20 के अलावा 10 टेस्ट मैचों में एक शतक और चार अर्धशतक की मदद से 663 रन बनाए हैं.
टेस्ट मैचों में उनका औसत 51.00 है. उनका ये औसत महिला टेस्ट क्रिकेट में किसी भी भारतीय खिलाड़ी का सर्वोत्तम औसत है.
उन्होंने 197 एकदिवसीय मैचों में 51.17 की औसत से सात शतक और 51 अर्धशतक की मदद से 6650 रन बनाए हैं.
महिला विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट
एकदिवसीय क्रिकेट में भी बतौर भारतीय बल्लेबाज़ मिताली का औसत पहले स्थान पर है. क्रिकेट के तीनों स्वरूप में उनका सर्वोच्च औसत बताता है कि वो बेहद शानदार फ़ॉर्म में हैं.
दरअसल, वो कभी फ्लॉप हुई ही नहीं. इतने बेहतरीन रिकॉर्ड के बावजूद किसी खिलाड़ी के साथ अगर ऐसा हो तो उसका नाराज़ होना स्वभाविक है.
मिताली राज भारत की कप्तान भी रही हैं. उनकी कप्तानी में पिछले साल भारतीय महिला टीम आईसीसी महिला विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के फ़ाइनल में भी पहुंची थी.
इससे पहले भारतीय महिला टीम साल 2005 में पहली बार फ़ाइनल में पहुंची थी.
मिताली राज की कप्तानी में ही युवा खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना, वेदा कृष्णामूर्ति, दीप्ति शर्मा, एकता बिष्ट और दूसरी खिलाड़ियों को खेलने और निखरने का अवसर मिला.
सीनियर खिलाड़ी
इससे पहले शायद ही कोई इतना बड़ा विवाद भारतीय महिला क्रिकेट में आया हो. तो ऐसे में एक ही सीधा-सा सवाल ये उठता है कि आखिरकार मिताली राज के साथ ऐसा क्यों किया गया.
इसे जानने के लिए हमने डायना एडुल्जी और मिताली राज दोनों से बात करने की कोशिश की जो नाकाम रही.
इस पूरे मामले को लेकर क्रिकेट समीक्षक विजय लोकपल्ली का मानना है, "जो कुछ भी हुआ उसका पूरा सच किसी को भी मालूम नहीं है. कोच रमेश पोवार ने अभी तक अपनी खुल कर कुछ नहीं कहा है. इस तरह के पत्र जब लीक या सार्वजनिक होते हैं तो उससे किसी को फ़ायदा होता है किसी को नुक़सान."
"लेकिन कहा जा सकता है कि ये सब नहीं होना चाहिए था. ये एक हादसा था जिसमें मिताली राज जैसी सीनियर खिलाड़ी को बेइज्ज़त होना पड़ा. उन्हें मैच से बाहर बिठाया गया, लेकिन सच्चाई जानने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना होगा."
क्रिकेट के किस्से
वैसे यह भारतीय क्रिकेट में नई बात नहीं है. भले ही महिला क्रिकेट में ऐसा पहली बार हुआ हो लेकिन पुरुष क्रिकेट में ये आम बात है- लाला अमरनाथ से लेकर सौरव गांगुवी और महेंद्र सिंह धोनी इसके ताज़ा उदाहरण हैं.
सौरव गांगुली ने तो मिताली राज की तुलना ही अपने से कर दी. गांगुली ने कहा कि मुझे भी ऐसे ही टीम से बाहर किया गया. मेरे क्लब में आपका स्वागत है.
और मोहिंदर अमरनाथ का किस्सा तो सबसे अनूठा है जब चयनक्रताओं ने उन्हें टेस्ट टीम से बाहर किया तो उन्होंने चयनकर्ताओं को जोकरों का समूह तक कह डाला था.
नवजोत सिंह सिद्धू तो इंग्लैंड में टीम से बाहर किए जाने के तरीक़े को लेकर इतना नाराज़ हुए कि वे तो दौरा छोड़कर सीधे भारत आ गए.
इन दिनों धोनी को भारत की टी-20 टीम से ये कहकर बाहर किया जा रहा है कि युवा खिलाड़ी ऋषभ पंत को मौक़ा देना है.
अब गेंद बीसीसीआई के पाले में...
इतने उदाहरणों की बात चलने पर विजय लोकपल्ली सीधा कहते हैं, "अगर इतना ही सब कुछ था तो मिताली को वेस्ट इंडीज़ ले ही क्यों गए?"
"पुराने किस्सों की तुलना मिताली राज से नहीं की जा सकती. एक मैच में फिट खिलाड़ी को बाहर बिठाया गया, तो भारत मैच हार गया. अब कुछ भी बातें हो सकती हैं."
अब ये पूरा मामला बीसीसीआई के सीईओ राहुल चौधरी और महाप्रबंधक (क्रिकेट संचालक) सबा करीम के सामने है. उन्होंने अभी तक इ, मामले में विस्तार से कुछ नहीं बताया है.
रमेश पोवार का महिला क्रिकेट टीम के साथ अनुबंध 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है. ये मामला तूल पकड़ चुका है, इसका असर उन पर पड़ सकता है.
दूसरी तरफ मिताली राज क्या अब टेस्ट और एकदिवसीय बल्लेबाज़ बनकर रह जाएंगी, ये जानने के लिए अभी थोड़ा ठहरना पडेगा... क्योंकि गेंद अब बीसीसीआई के पाले में है.
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