नज़रिया: क्रिकेट के जुनून में डूबा है अफ़ग़ानिस्तान

आख़िरकार टेस्ट क्रिकेट के सबसे नए (12वें) सदस्य अफ़ग़ानिस्तान के लिए वो ऐतिहासिक पल आ ही गया जिसका उन्हे बेसब्री से इंतज़ार था. बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में इस ऐतिहासिक टेस्ट मैच में 14 से 18 जून तक उनके सामने है भारतीय टीम.

अफ़ग़ानिस्तान की टीम असगर स्तानिक्ज़ाई की कप्तानी में खेल रही है वहीं अपने नियमित कप्तान विराट कोहली के बिना उतरी भारतीय टीम की बागडोर अजिंक्य रहाणे के हाथों में है.

अपने पहले टेस्ट मैच में ही अफ़ग़ानिस्तान का मुकाबला आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 टीम भारत से हो रहा है. लेकिन हाल के दिनों में अफ़ग़ानिस्तान के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा कहना बिल्कुल ग़लत नहीं होगा कि वो उलटफेर करने की क्षमता रखते हैं.

लिहाज़ा बीते कई दशकों से समस्याओं से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान का ये पहला टेस्ट मैच दोनों ही टीमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

कुछ दिन पहले अफ़गानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने ट्वीट कर कहा था कि टीम जून 10 को मैच के लिए बेंगलुरू पहुंच चुकी है और खेलने के लिए बेताब है.

वहीं बीसीसीआई ने भी ट्वीट कर कहा है कि वो इस "ऐतिहासिक टेस्ट मैच के लिए तैयार हैं."

लालचंद राजपूत साल 2016 से 2017 के बीच अफ़गानिस्तान की क्रिकेट टीम के कोच रह चुके हैं. जब टीम को टेस्ट स्टेटस मिला तब राजपूत उनके कोच थे.

बीबीसी संवाददाता जान्हवी मुले ने राजपूत से बात की और जानना चाहा कि टीम की क्या उम्मीदें हैं और कैसी है टीम की तैयारी.

पढ़िए लालचंद राजपूत का नज़रिया

आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में भारत नंबर वन है और उसके साथ टेस्ट डेब्यू करने का मतलब टीम पर प्रेशर तो होगा ही लेकिन उनके लिए ये एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है.

मुझे लगता है कि उनके सभी खिलाड़ी काफ़ी उत्सुक हैं. साथ ही सबको ऐसा लग रहा था कि वो भारत के साथ खेलें क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान और भारत के संबंध काफ़ी दोस्ताना हैं. उनके लिए भारत एक तरह से दूसरा घर बन गया है क्योंकि भारत ने उन्हें ग्रेटर नोएडा में ग्राउंड भी दिया है. मुझे लगता है कि ये उनके लिए एक अच्छी शुरुआत है.

अफ़गानिस्तान ने बेहद कम समय में टेस्ट क्रिकेट तक पहुंचने का सफ़र पूरा किया है. वहां क्रिकेट को लेकर काफी जूनून है.

सभी जानते हैं कि युद्ध और युद्ध जैसी स्थिति से अफ़ग़ानिस्तान लंबे समय से जूझता रहा है और वहां खुलेआम खेलना भी संभव नहीं है. इसके बावजूद उन्होंने क्रिकेट में कामयाबी हासिल की है जो अच्छी बात है.

आयरलैंड काफ़ी सालों से खेल रहा है लेकिन उन्हें अब जा कर टेस्ट स्टेटस मिला है. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान ने बीते छह-सात सालों से ही खेलना शुरू किया है और बीते डेढ़ सालों का उनका प्रदर्शन इतना अच्छा था उनको आईसीसी भी मना नहीं कर सकती थी.

अफ़ग़ानिस्तान में क्रिकेट का जूनून है

मुझे लगता है कि खेल में जिस तरह की तरक्की अफ़ग़ानिस्तान ने दिखाई है उसकी तुलना किसी और देश के साथ नहीं की जा सकती.

बांग्लादेश और श्रीलंका भी टेस्ट मैच खेलते हैं लेकिन वो काफी वक्त से घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं. लेकिन उनके यहां घरेलू क्रिकेट अच्छा नहीं है क्योंकि उनके यहां मैच अधिक नहीं होते.

मेरा दिल भारत के साथ है लेकिन मैं चाहता हूं कि ये एक अच्छा मुक़ाबला हो और अफ़ग़ानिस्तान को दुनियाभर को अपना खेल दिखाने का अच्छा मौक़ा मिले. पूरी दुनिया ये देखे कि अफ़ग़ानिस्तान भी क्रिकेट खेलने वाले देश है.

जब मैं कोच बना तो यहां लोग क्रिकेट के बारे में कम ही जानते थे. मुझे काफ़ी मेहनत करनी पड़ी. उनको समझाना पड़ा कि किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है टेस्ट मैच खेलना.

लेकिन एक बार सारी बात समझने के बाद उनमें जूनून आया कि उन्हें टेस्ट क्रिकेट के नाम से जाना जाना चाहिए. टेस्ट खेलना एक बड़ी चुनौती होती है और हमने इसके लिए मेहनत करनी शुरू की.

टीम ने मेहनत से कभी किनारा नहीं किया. उन्होंने कभी मुझे नहीं कहा कि हम मेहनत नहीं कर पाएंगे. वो लोग कहते हैं कि हमारे देश में कुछ नहीं है. हमें प्यार मिलता है इसीलिए हम मेहनत कर के अपने लोगों को खुशियां दे सकते हैं.

अफ़ग़ानिस्तान की टीम को क्या ख़ास बनाता है?

मोहम्मद शहज़ाद उनके काफी बेहतर बल्लेबाज़ हैं. वो वीरेंद्र सहवाग की तरह है. वो बड़ा स्कोर नहीं करते लेकिन गेंदबाज़ पर डॉमिनेट करते हैं. वो इतनी तेज़ी से सत्तर-अस्सी रन बना लेते हैं कि सामने वाली टीम का उत्साह कम हो जाए.

आईपीएल में राशिद ख़ान का नाम हुआ था, ये आप सभी जानते हैं.

मुजीब और ज़हीर ख़ान जैसे उनके स्पिनर्स भी काफी अच्छे हैं. उन्होंने टी20 और एक दिवसीय मैच अधिक खेले हैं तो उनके पास अच्छे बल्लेबाज़ हैं लेकिन टेस्ट में आपको धैर्य दिखाने की ज़रूरत है जो आने में अभी वक्त लगेगा.

उनके पास 20 विकेट लेने की ताक़त तो है लेकिन अधिक देर तक क्रीज़ में टिकने की ताक़त कम है.

समय बताएगा कि वो टेस्ट मैच के लिए सही हैं या नहीं. मैं चाहता हूं कि वो खेल के अगले पायदान पर पहुंचे और अपना सपना पूरा करें.

बॉलीवुड फ़िल्मों के शौकीन हैं

मुझे नहीं पता था कि वो हिंदी या अंग्रेज़ी बोलते हैं या नहीं. लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि काफ़ी लोग हिंदी बोलते हैं, अंग्रेज़ी कम ही लोग बोलते हैं.

उन्हें बॉलीवुड की फ़िल्मों का काफ़ी शौक़ है. वो अमिताभ बच्चन के कई फ़िल्मों के डायलॉग तक याद हैं. जितनी फ़िल्में उन्होंने देखी है उतनी तो मैंने भी नहीं देखीं.

वो लोग अपने गुरू की काफी इज़्ज़त करते हैं, ये देख कर सूकून होता है.

क्रिकेट का उनका सफ़र काफी दिलचस्प है. जब मैं उनसे बात करता था तो वो कहते हैं 2004 में वो पहली बार भारत दौरे पर आए थे उस वक्त टीम के समने कई समस्याएं थीं. लेकिन उन्होंने अपनी सभी मुश्किलों को पीछे छोड़ा.

अब उनके सामने खुद के लिए नया मुकाम बनाने की चुनौती है.

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