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![]() हिल गई दुनिया हो सकता है जब आप वर्ष 2008 की आर्थिक गतिविधियों पर सरसरी निगाह डाल रहे हों तो अमरीका या यूरोप में कोई नई कंपनी दिवालिया होने से बचने के लिए सरकारी मदद की गुहार लगा रही हो.
साल की शुरुआत में विश्व अर्थव्यवस्था में 'सुस्ती' आने की बात कही गई, इसके बाद मंदी और अब महामंदी की बात कही जा रही है और तुलना 1920 के दशक के आख़िर में आए संकट से हो रही है. इसके लिए स्थितियाँ भले ही पहले से बन रही हो लेकिन जिस तेज़ी से इसका असर दिखने लगा उसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी. वैश्विक वित्तीय संकट पर विशेष प्रस्तुति जनवरी-फरवरी में चीन बढ़ती विकास दर से परेशान था. वहीं भारत में भी कहा जा रहा था कि अर्थव्यवस्था में कुछ ज़्यादा ही तेज़ी (ओवरहीटिंग) दिख रही है. लेकिन अप्रैल आते-आते मानो पूरी दुनिया ही पलट गई. अमरीका से शुरु हुआ आर्थिक संकट तेज़ी से पाँव पसारने लगा. यूरोप को अपनी ज़द में लेने के बाद ये दुनिया के बाकी हिस्सों में भी फैल रहा है. प्रस्तुति - आलोक कुमार |
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