जनता कर्फ्यू: PM मोदी की तुलना जस्टिन ट्रूडो, पिनराई विजयन से क्यों? #SOCIAL

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को देशवासियों से 'जनता कर्फ्यू' की अपील की है.
जनता कर्फ्यू यानी रविवार को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लोगों से घरों के अंदर रहने की अपील.
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि पुलिस, मीडिया, स्वास्थ्य सेवाओं आदि से जुड़े लोग जनता कर्फ्यू के दायरे में नहीं आएंगे.
मोदी के जनता कर्फ्यू की अपील की जहाँ सोशल मीडिया पर तारीफ़ हो रही है.
वहीं कई लोगों को कहना है कि जितना उन्होंने कहा, कोरोना जैसी महामारी के लिए उससे कहीं अधिक किया जाना चाहिए.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया, "मैं पीएम मोदी के उपायों का स्वागत करता हूँ, हमें इस मुश्किल घड़ी में एकजुट होने की ज़रूरत है. हम इसका समर्थन करेंगे यह यह जानते हुए भी कि रविवार जनता कर्फ्यू के लिए सबसे आसान दिन है. सरकार को सामाजिक गड़बड़ी और विशिष्ट आर्थिक राहत उपायों को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है."
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कुछ लोग मोदी के संबोधन की तुलना कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भाषण से भी कर रहे हैं.

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ट्रूडो ने कौन से ऐलान किए?
स्वराज पार्टी से जुड़े और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, "कोरोना की आपात स्थिति से निपटने के लिए कनाडा सरकार के उठाए कदमों की तुलना कल के मोदी के भाषण से करिए. जनता कर्फ्यू और अपने घरों के सामने शोर मचाना बनाम इस महामारी से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए असली कदम."
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कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आर्थिक राहत पैकेज के अलावा बेरोजगारों और छात्रों के लिए भी कई घोषणाएं की हैं.
ट्विटर पर पोस्ट किए गए ट्रूडो के तीन मिनट के इस वीडियो को 25 लाख से अधिक बार देखा गया है.
बीबीसी ने भी कहासुनी के ज़रिये प्रधानमंत्री मोदी की जनता कर्फ्यू की अपील पर लोगों की राय जानी थी. बड़ी तादाद में लोगों ने अपनी राय दी है. कुछ लोगों ने मोदी के इस कदम को सराहते हुए इसका समर्थन किया है, तो ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो उम्मीद कर रहे थे कि मोदी प्रभावितों के लिए बड़ी घोषणाएं करेंगे.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
महबूब कलाम्बन ने लिखा, "मैं निराश हुआ. उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री कोरोना से प्रभावितों और जिनकी इसकी कारण नौकरी छूटी है, उनके लिए कुछ घोषणाएं करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा भाषण दिया जिसे किसी पंचायत या नगर पालिका को देना चाहिए."
यही नहीं, सोशल मीडिया पर मोदी के संबोधन की तुलनी केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के उठाए कदमों से भी हो रही है.
विजयन ने कोरोना संकट से निपटने के लिए फ्री राशन देने के लिए कई घोषणाएं की हैं. कुल मिलाकर ये राहत पैकेज 20 हज़ार करोड़ रुपये का बताया जा रहा है.
केरल में अभी कोरोना वायरस के 27 मामले हैं और ये कोरोना संक्रमण के संदिग्ध मामलों में देशभर में शीर्ष चार राज्यों में शामिल है.
कमाल आर खान ने पीएम मोदी द्वारा सुझाए गए जनता कर्फ्यू पर अपनी राय देते हुए कहा, "कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए जनता कर्फ्यू कम से कम एक हफ्ते के लिए होना चाहिए. जनता कर्फ्यू के लिए एक दिन मजाक की तरह है. इसका मतलब तो यह हुआ कि हम कोरोनावायरस को लेकर गंभीर ही नहीं हैं."
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मोदी के संबोधन पर पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ़ ने लिखा है, "प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से कोरोना वायरस से लड़ने के लिए देश को एक ज़रूरी संदेश."
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शबाना आजमी ने इस कदम की आलोचना करने वाले एक यूजर को फटकार लगाई क्योंकि इस ट्वीट में पीएम मोदी के 22 मार्च को शाम पांच बजे कोरोना से लड़ने वालों के हौसले बढ़ाने के लिए अपनी बालकनी, दरवाजे या खिड़की पर खड़े होकर ताली या थाली बजाने की अपील की आलोचना की गई थी.
शबाना आजमी ने कहा, "यह कोई बेवकूफी नहीं है. यह सभी भारतीयों को एक साथ लाने के लिए मास्टरस्ट्रोक है."
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प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को शाम पाँच बजे अपनी बालकनी, दरवाजे और खिड़की पर खड़े होकर लोगों का धन्यवाद करने की अपील की. इटली और स्पेन से सोशल डिस्टेंसिंग के ये वीडियो पिछले दिनों जमकर वायरल हुए थे.
मोदी की इस अपील पर भी मिली जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं.
एक यूजर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने लिखा है, "मेरा मानना है कि आपदा प्रबंधन में मोदी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं. आपका क्या कहना है?"
वहीं, इसकी आलोचना करते हुए एक यूजर सीएस अमुधन ने लिखा, "हमें पीएम मोदी से किसी तरह का जागरूकता वीडियो नहीं चाहिए. अगर उन्हें यही सब करना था तो बहुत पहले कर देना चाहिए था. उन्हें जाँच की प्रक्रिया, लॉक डाउन, टैक्स छूट, राहत पैकेज के बारे में बात करनी चाहिए थी."

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