अमेज़न के जेफ़ बेज़ोस पर क्यों भड़की हुई है मोदी सरकार?

इमेज स्रोत, Getty Images
"अमेज़न भारत में छोटे कारोबार को बढ़ावा देने के लिए एक अरब डॉलर यानी करीब 7 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी. यह रकम छोटे और मध्यम दर्जे के कारोबार का डिज़िटाइज़ेशन करने में लगाई जाएगी, जिससे वे अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच सकेंगे. साल 2025 तक 10 अरब डॉलर के मेक इन इंडिया उत्पादों को एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य रखा गया है. मैं आज एक भविष्यवाणी करने जा रहा हूँ. मुझे लगता है कि 21वीं सदी भारत की सदी होगी. इसकी गतिशीलता, जोश...ये देश कुछ ख़ास है और इसका लोकतंत्र भी."
दुनिया के सबसे अमीर शख़्स और ई-कॉमर्स बिज़नेस के बहुत बड़े खिलाड़ी जेफ़ बेज़ोस ने नई दिल्ली में अमेज़न के एक कार्यक्रम में ये बातें कही.
उनके इस बयान को अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "वो (जेफ़ बेज़ोस) एक अरब डॉलर का निवेश कर सकते हैं, लेकिन फिर वो हर साल एक अरब डॉलर का घाटा दिखाते हैं, वो अपने नुक़सान का इंतज़ाम भी कर रहे होंगे. निवेश का स्वागत है, लेकिन ये इसलिए लिया गया है कि ताकि वो अपने घाटे की भरपाई कर सकें. लेकिन वो भारत पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं. ऑनलाइन कारोबार मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनी अगर दूसरों का बाज़ार बिगाड़ने वाली मूल्य नीति पर नहीं चल रही है तो उसे इतना बड़ा घाटा कैसे हो सकता है?"
अमेज़न और फ़्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले संगठन 'कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स' ने गोयल के बयान की तारीफ़ की है.
संगठन के अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "इससे पता चलता है कि सरकार देश के उन सात करोड़ स्थानीय व्यापारियों के हितों को लेकर संवेदनशील है जो बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की ग़लत नीतियों की वजह से नुक़सान झेल रहे हैं."
गोयल के इस बयान पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ज़बरदस्त तंज किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ और लोगों की बेइज्जती करनी चाहिए, क्योंकि इससे 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने में मदद मिलेगी.
इस लेख में X से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले X cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.
पोस्ट X समाप्त, 1
चिदंबरम ने कहा, " ये दुनियाभर के मीडिया में बड़ी हेडलाइन बनेगी. इससे पांच महीने से गिर रहे आयात और आठ महीने से गिर रहे निर्यात की चाल पलट जाएगी. उन्हें निर्यात और आयात बढ़ाने के लिए कुछ और लोगों की बेइज्जती करनी चाहिए. गोयल ने पहले नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की बेइज्जती की. अब बेज़ोस के बाद उन्हें सुंदर पिचाई और सत्या नडेला की भी बेइज्जती करनी चाहिए ताकि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाया जा सके."
पर सवाल उठता है कि विदेशी निवेश के लिए बड़े-बड़े अभियान चलाने वाली मोदी सरकार का अमेज़न के निवेश की घोषणा पर ऐसा रुख़ क्यों है. जेफ़ बेज़ोस की असल लड़ाई किससे है, वेंडर्स से, सरकार से या फिर हाल ही में ई-कॉमर्स में भारी भरकम निवेश का ऐलान करने वाले मुकेश अंबानी से.
सरकार है नाराज़?
पीयूष गोयल का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग अमेज़न के कारोबारी सिस्टम की जाँच कर रहा है. छोटे व्यापारियों का आरोप है कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां चुनिंदा विक्रेताओं को तरजीह देने, सांठगांठ करने और निजी लेबलों समेत अन्य प्रतिस्पर्धारोधी गतिविधियों में शामिल हैं. आयोग इसी सिलसिले में वालमार्ट की कार्यप्रणाली की जाँच कर रहा है.
पीयूष गोयल के 'अहसान नहीं करने' के बयान के बाद बीजेपी के एक पदाधिकारी ने भी बेज़ोस के मालिकाना हक वाले अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट से खुलकर नाराजगी जताई है.
बीजेपी की आईटी सेल (विदेशी मामलों) से जुड़े डॉक्टर विजय चौथाईवाले ने ट्वीट किया, "मिस्टर बेज़ोस, वॉशिंगटन डीसी के अपने कर्मचारियों को यह बताइए, वरना आपकी ये ख़ुशामद समय और पैसे की बर्बादी बनकर रह जाएगी." चौथाईवाले ने इसके साथ ही जेफ़ बेज़ोस का वो वीडियो भी शेयर किया, जिसमें वो भारत में निवेश, भारतीय लोकतंत्र और भारतीयों के जोश और उमंग की बात कर रहे हैं.
इस लेख में X से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले X cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.
पोस्ट X समाप्त, 2
माना जा रहा है कि विजय चौथाईवाले ने बेज़ोस पर ये निशाना वॉशिंगटन पोस्ट समेत कई विदेशी मीडिया में मोदी सरकार के फ़ैसलों पर लिखे लेखों के लिए लगाया है.
जम्मू-कश्मीर और नागरिकता क़ानून के मोदी सरकार के फ़ैसलों की कई विदेशी अख़बारों ने आलोचना की है.
अमीरों की लड़ाई?
दरअसल, असल में ये लड़ाई दुनिया के सबसे अमीर आदमी जेफ़ बेज़ोस और भारत से सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी के बीच है. जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए जो नए नियम बनाए हैं, जिसके तहत वो उत्पादों का भंडारण कर सकेंगे और मार्केट प्लेस की तरह काम करेंगे, उससे अंबानी की जियो मार्ट को मदद मिलेगी.

इमेज स्रोत, Getty Images
जियो मार्ट रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की दो सहयोगी कंपनियां रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो मिलकर चलाएंगी और इसको जियोमार्ट नाम दिया गया है. जियोमार्ट का कहना है कि उसके यहाँ अभी ऐसे लगभग 50,000 सामान हैं जिसे वो अपने ग्राहकों को 'मुफ़्त और एक्सप्रेस' डिलीवर करेगी.
हालांकि, भारत में ऑनलाइन ग्रोसरी का बाज़ार अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है. अभी ग्रोसरी ख़रीदने के लिए ऑनलाइन माध्यम से सालाना 87 करोड़ डॉलर का कारोबार होता है और अभी कुल आबादी का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा मात्र 0.15 फ़ीसदी ऑनलाइन माध्यम से ग्रोसरी ख़रीदता है.
लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि साल 2023 तक ऑनलाइन ग्रोसरी का बाज़ार बढ़कर 14.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
कौन हैं जेफ़ बेज़ोस?
जेफ़ का जन्म 12 जनवरी साल 1964 में अल्बुकर्क, न्यू मेक्सिको में हुआ था. जेफ़ की मां का नाम जैकी जॉरगन्सन और पिता का नाम टेड जॉरगन्सन है.
जेफ़ के जन्म के वक़्त उनकी मां महज 17 साल की थीं. जैकी और टेड का रिश्ता एक साल तक ही चला. उसके बाद दोनों का तलाक़ हो गया.
वो अपनी मां और सौतले पिता माइक बेज़ोस के साथ टेक्सस और फ्लोरिडा में पले-बढ़े.
ब्रेड स्टोन की जेफ़ बेज़ोस पर 2013 में लिखी बायोग्राफी के मुताबिक़ उन्होंने इंजीनियरिंग और विज्ञान की तरफ़ पहला झुकाव तीन साल की उम्र में दिखाया. जब उन्होंने एक स्कूड्राइवर से अपना पालना तोड़ दिया था.
हाई स्कूल पूरा करने पर दी गई स्पीच में उन्होंने अंतरिक्ष में कॉलोनी बनाने की कल्पना का ज़िक्र भी किया था.
साल 1986 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बैचलर इन साइंस में डिग्री ली.

इमेज स्रोत, Getty Images
इसके बाद उन्होंने न्यूयॉर्क में फाइनेंशियल कंपनियों में काम किया और उस दौरान वो अपनी पूर्व पत्नी मैकेंज़ी से भी मिले.
इंजीनियरिंग और विज्ञान की तरफ़ उनका ये झुकाव, कल्पनाएं और महत्वाकाक्षाएं ही उन्हें अमेज़न की शुरुआत की तरफ़ ले गईं.
इंटरनेट की बढ़ती पहुंच को भांपते हुए 30 साल की उम्र में जेफ़ बेज़ोस ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी.
उन्होंने अपनी ई-कॉमर्स कंपनी में निजी पैसे और परिवार की मदद से 100,000 डॉलर का निवेश किया. ये कंपनी तुरंत उनकी उम्मीदों पर खरी उतरने लगी.
उन्होंने अमेज़न की शुरुआत एक गैरेज से पुरानी किताबें बेचने के आइडिया से की थी. साल 1999 में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें ''किंग ऑफ साइबरकॉमर्स'' कहा.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)















