संयुक्त अरब अमीरात के नक्शे से क़तर ग़ायब!

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क़तर संकट नए दौर में दाखिल होता हुआ दिख रहा है.
एक अमरीकी रिसर्चर ने खाड़ी क्षेत्र के उस नक्शे की तरफ़ ध्यान दिलाया है जिसमें उस इलाके से क़तर के वजूद को मानने से इनक़ार कर दिया गया है.
संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में 'लूव्र म्यूज़ियम' में खाड़ी क्षेत्र का ये नक्शे प्रदर्शनी के लिए रखा गया है.
नक्शे का ये विवाद खाड़ी क्षेत्र के सोशल मीडिया यूज़र्स के बीच भी बड़ा मुद्दा बनता लग रहा है. लोग एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं.
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यूएई और क़तर
'द वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फ़ॉर नीयर ईस्ट पॉलिसी' के 'गल्फ़ एंड एनर्जी के पॉलिसी प्रोग्राम' के डायरेक्टर सिमोन हेंडरसन ने हाल ही में 'संयुक्त अरब अमीरात और क़तर के बीच बढ़ती दुश्मनी' शीर्षक से एक रिसर्च पेपर लिखा है.
सिमोन हेंडरसन का कहना है कि 'लूव्र म्यूज़ियम' के बच्चों वाले सेक्शन में रखे गए इस नक्शे से क़तर के वजूद को पूरी तरह से मिटा दिया गया है.
उन्होंने लिखा है, "खाड़ी क्षेत्र के दक्षिणी इलाके के नक्शे से क़तरी प्रायद्वीप को मिटाना संभवतः फ्रांस और अबू धाबी के उस करार का उल्लंघन है जिसके तहत पेरिस के लूव्र म्यूज़ियम के नाम के इस्तेमाल की उन्हें इजाज़त दी गई है."
कई ट्विटर यूज़र इस बात को लेकर भी नाराज़ हैं कि ये अंतरराष्ट्रीय परंपराओं का उल्लंघन है. हालांकि फ्रांस के 'लूव्र म्यूज़ियम' ने अभी तक इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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सोशल मीडिया
ब्रितानी रिसर्चर क्रिस्चियन उलरिक्सन ने म्यूज़ियम में रखे गए नक्शे को ट्वीट करते हुए लिखा है, "ये वही नक्शा है जिसे अबू धाबी के लूव्र म्यूज़ियम में रखा गया है और जिसमें खाड़ी क्षेत्र से क़तर को ग़ायब कर दिया गया है."
क़तर म्यूज़ियम की चेयरपर्सन शेख अल मयासा बिंत हमाद बिन अल खलीफा अल थानी ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया, "दुनिया भर में ऐतिहासिक म्यूज़ियम्स जानकारी का स्रोत होते हैं. यहां लोग ज्ञान पाने के लिए आते हैं. म्यूज़ियम में रखी चीज़ों से लोग दुनिया की संस्कृतियों के बारे में सीखते हैं. हालांकि अबू धाबी के लिए म्यूज़ियम का ख़्याल एक नई बात है."
यूएई के एक ट्विटर यूज़र ने इस 'भूल' पर हैरानी जताते हुए पूछा है कि 'क्या हम इसी तरीके से अपने बच्चों को शिक्षित करेंगे?'

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'लूव्र म्यूज़ियम'
संयुक्त अरब अमीरात में 'लूव्र अबू धाबी' म्यूज़ियम की शुरुआत पिछले साल दिसंबर में हुई है. एक अरब पाउंड की लागत से ये म्यूज़ियम 10 सालों में बनकर तैयार हुआ है.
इस म्यूज़ियम में 600 कलाकृतियां स्थाई रूप से तो 300 आर्टवर्क फ्रांस से उधार लेकर रखे गए हैं.
इसकी स्थापना पेरिस के विश्व विख्यात 'लूव्र म्यूज़ियम' की मदद से हुई है.
उधार की कलाकृतियों, लूव्र नाम और प्रबंधकीय सलाह के लिए ये म्यूज़ियम, पेरिस को अरबों रुपए देता है.
10 सालों तक इसके निर्माण में 863 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. यहां स्थायी रूप से 600 कलाकृतियां हैं, जबकि 300 फ्रांस से उधार ली गई हैं.
प्रबंधकीय सलाह और 'लूव्र' नाम के इस्तेमाल के लिए 'लूव्र अबू धाबी म्यूज़ियम' पेरिस को करोड़ों डॉलर की रकम अदा करता है.
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