सोशल: 'क्या भारत में सैनिक सिर्फ़ शहीद होने के लिए हैं'

छत्तीसगढ़ के सुकमा में माओवादी हमले में 26 जवानों की मौत के बाद लोग सोशल मीडिया पर लोग भारत सरकार पर सवाल उठा रहे हैं.

दीपक प्रजापति ( @bandakadeepak) ने ट्वीट किया, "छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ़ के जवान शहीद...क्या भारत में सैनिक अब केवल शहीद होने के लिए हैं? ये सरकार नींद से जागती क्यों नहीं?"

घनश्याम मिश्र ने सवाल पूछा, "ऐसा कब तक चलेगा. कांग्रेस सरकार में भी और अब भी?"

संतोष गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट किया, "कुछ करिए मोदी जी. सीआरपीएफ़ जवानों की कीमती ज़िंदगी यूं जाने से बचाइए."

चंद्रू ने सवाल किया, "इस अहम समय सीआरपीएफ़ महानिदेशक का पद खाली क्यों हैं. सरकार से ये सवाल पूछिए."

सिद्धार्थ तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट किया, "अभी लग रहा है कि सब बेकार हो रहा है. नरेंद्र सर आप भी कुछ नहीं कर रहे हैं निंदा के ट्वीट करने के अलावा. ये कायराना है."

अनिल ठाकुर ने ट्वीट किया, "मोदी जी और राजनाथ जी, ये बर्दाश्त से बाहर है. 56 इंच की बेइज्ज़ती है ये सब. हमें प्रतिक्रिया चाहिए, निंदा नहीं."

सलीम अख़्तर सिद्दीकी ने फ़ेसबुक पर लिखा, "सुकमा में सीआरपीएफ़ के जवानों की मौत बताती है कि नोटबंदी से नक्सलवाद की कमर नहीं टूटी. उधर, कश्मीर में भी नोटबंदी से पत्थरबाजों में कोई कमी नहीं आई है. हां, नोटबंदी से गरीबों की कमर जरूर टूटी है."

अंकित द्विवेदी ने फ़ेसबुक पर लिखा, "सरकार तो केंद्र से लेकर छत्तीसगढ़ तक एक ही तरह का नारा लगाने वालों की है फिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? कौन लोग छत्तीसगढ़ के लोगों को नक्सली बनाने पर मजबूर कर रहे हैं? बीजेपी वहां एक दशक से सत्ता में है. पिछले तीन सालों से केंद्र में भी सरकार है फिर नक्सली हमले अब तक क्यों नहीं रुके?"

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