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बुधवार, 04 जुलाई, 2007 को 22:34 GMT तक के समाचार
 
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पूरी झील ही ग़ायब हो गई
 
चिली की झील
दो तस्वीरें : दो महीने के भीतर यह हाल हुआ झील का

दक्षिणी चिली में पाँच एकड़ की एक पूरी झील ही ग़ायब हो गई और वह भी दो महीने के भीतर.

वैज्ञानिकों ने इसके लिए जलवायु परिवर्तन को दोषी ठहराया है.

इस इलाक़े में गश्त पर गए रेंजर्स का कहना है कि जब वे मार्च में वहाँ पहुँचे थे तो दो हेक्टेयर यानी पाँच एकड़ की एक बर्फ़ीली झील वहाँ थी.

लेकिन दो महीने बाद जब वे वहाँ पहुँचे तो झील ग़ायब हो गई थी.

सूखे तल पर बर्फ़ के टुकड़े पड़े हुए थे, जो पहले पानी की सतह पर तैरते रहते थे.

विशेषज्ञों का कहना है कि पिघलते ग्लेशियर ने उस दीवार पर दबाव बढ़ा दिया होगा जिसके कारण से यहाँ बाँध जैसा बना हुआ था और उसी की वजह से झील टिकी हुई थी.

लेकिन दबाव के बाद यह दीवार ढह गई और झील का पानी नदी में चला गया और आख़िरकार समुद्र में जा मिला.

जलवायु परिवर्तन

चिली के सेंटर फ़ॉर साइंटिफ़िक स्टडीज़ के भूवैज्ञानिक एंड्रेस रिवेयरा ने राजधानी सेंटियागो से दो हज़ार किलोमीटर दक्षिण में उस क्षेत्र का दौरा किया.

उन्होंने झील के अवशेष की बहुत सी तस्वीरें भी लीं.

 ऐसा हो नहीं सकता था, यदि तापमान नहीं बढ़ रहा होता
 
एंड्रेस रिवेयरा, भूवैज्ञानिक

वे कहते हैं, "बर्नार्डो ग्लेशियर के एक ओर बड़ा सा छेद या दरार दिखाई देती है. लगता है कि वहीँ से झील का पानी बह गया होगा."

वे कहते हैं कि इससे साबित होता है कि एक तो ग्लेशियर पिघलकर पीछे खिसक रहे हैं और दूसरा उसकी परत पतली होती जा रही है.

उनका कहना है कि झील एक बार फिर से भरती दिखाई दे रही है क्योंकि ग्लेशियर में बर्फ़ के बड़े टुकड़े पिघल रहे हैं.

ग्लेशियर का पिघलकर पीछे खिसकना या आगे आ जाना सामान्य सी बात है लेकिन जलवायु परिवर्तन ने इस प्रक्रिया को ख़त्म कर दिया है.

वे कहते हैं, "ऐसा हो नहीं सकता था, यदि तापमान नहीं बढ़ रहा होता."

 
 
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