बुधवार, 15 नवंबर, 2006 को 13:02 GMT तक के समाचार
अब शायद वो दिन दूर नहीं जब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रीचार्ज करने के लिए प्लग और तार जैसे ताम-झाम की ज़रूरत अब बीते ज़मीने की बात नज़र आए.
अमरीकी शोधकर्त्ताओं ने ऐसी आसान तकनीक का ख़ाका तैयार किया है जो लैपटॉप कंप्यूटर, मोबाइल टेलीफ़ोन और एमपी3 प्लेयर जैसे उपकरणों में बिना तार के विद्युत ऊर्जा पहुँचा सकेगा.
यह तकनीक सैंकड़ों साल पुराने भौतिकी के सिद्धांत पर ही आधारित होगी और शोधकर्त्ताओं के मुताबिक यह कई मीटर तक की दूरी से काम कर सकेगी.
हालाँकि शोधकर्त्ताओं के इस दल ने अभी कोई ऐसा उपकरण तैयार कर उसका परीक्षण नहीं किया है लेकिन, कम्प्यूटर पर तैयार किए गए मॉडल और गणितीय आँकड़ों से ऐसा लगता है कि इस तरह की व्यवस्था काम कर सकती है.
अनुकंपन तकनीक
अमरीका के मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी के इस दल ने ऊर्जा के बेतार संचार के लिए ‘अनुकंपन’ का माध्यम चुना.
यह वह प्रक्रिया है जो एक निश्चित मात्रा में ऊर्जा का संचार किए जाने पर किसी वस्तु में कंपन्न पैदा करता है. ऐसा देखा गया है कि समान तरंगों वाली दो कंपित वस्तु आपस में तारतम्यता स्थापित कर लेती हैं.
उदाहरण के लिए संगीत के वाद्य-यंत्रों में देखा गया है कि एक पर कोई राग छेड़े जाने के बाद दूसरे यंत्र में भी समान कंपन्न उत्पन्न हो जाता है और वह उसी राग को पकड़ लेता है.
अब ध्वनि तरंगों पर लागू होने वाले इस सिद्धांत को विद्युत-चुंबकीय तरंगों पर लागू किया जाएगा. विद्युत-चुंबकीय विकिरण के अंतर्गत रेडियो तरंगें, इंफ्रारेड और एक्स-रे भी आती हैं.
उन्नीसवीं सदी के एक भौतिक विज्ञानी और इंजीनियर निकोला टेसला ने लंबी दूरी के बेतार ऊर्जा संचरण (वायरलेस एनर्जी ट्रांसफर) का प्रयास किया था. इसके लिए बनाया गया 29 मीटर लंबा एरियल न्यूयार्क में वार्डेनक्लिफ टावर के नाम से जाना जाता है.
टेसला का यह प्रयास धन के अभाव में सफल नहीं हो पाया था. वैज्ञानिकों का इस ताज़ा प्रयास पर काफ़ी नज़रें टिकी हैं.
स्प्लैशपावर नाम की एक ब्रिटिश कंपनी ने तो वायरलेस रीचार्जिंग के लिए रीचार्जिंग पैड का डिजाइन तक तैयार कर लिया है.