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रविवार, 20 अगस्त, 2006 को 12:51 GMT तक के समाचार
 
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स्तन कैंसर की जाँच की नई विधि
 
दावा है कि अब महिलाओं को कीमोथेरेपी नहीं करानी होगी
स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के लिए कुछ राहत पहुँचाने वाली ख़बर है. स्विट्ज़रलैंड के वैज्ञानिकों ने स्तन कैंसर के लिए ऐसी विश्वसनीय जाँच पद्धति विकसित करने का दावा किया है, जिससे महिलाओं को कीमोथेरेपी नहीं करानी होगी.

अमूमन कैंसर से ग्रसित उत्तक नमूनों की जाँच के लिए कोर निडल बायोप्सी का प्रयोग होता है. अब शोध टीम का दावा है कि इन नमूनों के जीन पैटर्न को देखकर ज़्यादा खतरनाक कैंसर को चिह्नित किया जा सकता है.

हालाँकि इस नई जाँच पद्धति की प्रमाणिकता के सीमित प्रमाण मिले हैं. पर 'ब्रेस्ट कैंसर रिसर्च' पत्रिका ने अपने इस शोध रिपोर्ट के महत्व को स्वीकार किया है.

बेसल विश्वविद्यालय अस्पताल की टीम ने निडल बायोप्सी में काफी छोटे नमूनों के जीन पैटर्न की मदद से पूरे स्तन के उत्तकों का सही आकलन करने में सफलता पाई.

इसकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कौन सा कैंसर तेज़ी से फैल रहा और उसे गहन चिकित्सा की ज़रूरत है या नहीं.

जैसे सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी की ज़रूरत है या नहीं. साथ ही यह भी जाना जा सकता है कि सर्जरी करके हटाने के बाद किस ट्यूमर के फिर उभरने की काफी कम संभावना है.

अधिक क़ारगर

शोध के अनुसार जीन विश्लेषण के लिए सर्जरी से स्तन का एक हिस्सा निकालने के बजाए उत्तक का कोर निडल बायोप्सी करना चाहिए. यह प्रक्रिया कम पीड़ादायक तो है ही, इससे कैंसर के जीन पैटर्न के बेहतर लक्षण भी मिलते हैं.

निडल बायोप्सी प्रक्रिया से पता लगता है कि घाव भरने में कौन से जीन सहायक साबित हो रहे हैं. साथ ही ट्यूमर के हमले और फैलाव के बारे में भी जानकारी मिलती है.

22 पीड़ित महिलाओं पर किए गए शोध में देखा गया कि कोर निडल बायोप्सी के मुक़ाबले सर्जरी से लिए गए नमूनों में स्तन कैंसर के लिए ज़िम्मेदार चार जीनों की संख्या काफी बढ़ गए थी.

बेसल यूनिवर्सिटी अस्पताल के डॉक्टर रोसना ज़ानेट्टी डैलनबैख़ और उनके सहयोगी मानते हैं कि कोर बायोप्सी डॉक्टरों को ज़्यादा साफ, ज़्यादा सही और अधिक प्रमाणिक स्थिति को दिखाता है.

 
 
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