राजेश प्रियदर्शी
बीबीसी संवाददाता, लंदन
एक तरफ़ दुनिया के सामने बीस वर्ष पहले हुआ चेरनोबिल परमाणु संयंत्र का हादसा है तो दूसरी ओर वैज्ञानिकों की नज़र अगले 20 वर्षों पर है और ज़्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य की ऊर्जा सिर्फ़ परमाणु बिजली ही है.
भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक स्वप्नेश कुमार मल्होत्रा कहते हैं, "पेट्रोलियम, कोयला और गैस के भंडार तेज़ी से समाप्त हो रहे हैं और उनसे प्रदूषण भी बहुत फैलता है इसलिए परमाणु ऊर्जा ही पूरी दुनिया के लिए सही विकल्प है और भविष्य उसी में निहित है."
लेकिन परमाणु ऊर्जा के ख़तरों के प्रति आगाह करने के लिए मुहिम चलाने वाले कई लोग इसे सही नहीं मानते और उनका कहना है कि दुनिया की 440 परमाणु भट्टियों में से किसी में कभी भी हादसा हो सकता है.
परमाणु गतिविधियों के ख़िलाफ़ पुरज़ोर मुहिम चलाने वाले प्रफुल्ल बिदवई कहते हैं, "दुर्घटना कभी भी हो सकती है, परमाणु ऊर्जा एक ख़तरनाक, महँगा और दूरदृष्टि रहित विकल्प है."
लेकिन भारतीय परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के सचिव डॉक्टर ओमपाल सिंह कहते हैं कि भारत में बहुत अधिक एहतियात से काम किया जाता है, वे कहते हैं, "भारत में सुरक्षा के प्रबंध दुनिया के किसी भी देश से कम नहीं हैं और हम पूरी चौकसी बरतते हैं."
बीबीसी हिंदी से विशेष बातचीत में परमाणु सुरक्षा विशेषज्ञ भरत कर्नाड ने कहा कि भारत को चेरनोबिल जैसे किसी हादसे का ख़तरा नहीं है.
उनके अनुसार भारत के परमाणु बिजली घरों में सुरक्षा का स्तर बहुत ही ऊँचा है.
ख़तरा कितना?
भारत में पिछले लगभग 37 वर्षों से परमाणु बिजली बनाने में लगा है और यह सच है कि आज तक परमाणु विकिरण के रिसाव की कोई घटना नहीं हुई है जिसे एक उपलब्धि माना जा सकता है.
मगर प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका 'साइंस' के लिए लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार पल्लव बागला याद दिलाते हैं कि 1993 में नरोरा के परमाणु संयंत्र में आग लग गई थी और सुरक्षा उपकरण ठीक से काम नहीं करते तो एक बहुत बड़ा हादसा हो सकता है.
भारतीय परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के सचिव डॉक्टर ओमपाल सिंह कहते हैं कि नरोरा की आग से पता चला कि सुरक्षा व्यवस्था चुस्त है.
परमाणु संयंत्रों पर चरमपंथी हमले की आशंका, बाढ़ और भूकंप जैसे भी कई ख़तरे हैं जो बहुत बड़े हादसे को जन्म दे सकते हैं.
डॉक्टर ओमपाल सिंह कहते हैं कि चरमपंथी हमलों के ख़तरों के बारे में क्या सुरक्षा इंतज़ाम हैं इसकी जानकारी तो सार्वजनिक रूप से नहीं दी जा सकती लेकिन प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के पूरे प्रबंध हैं.
भविष्य
भारत इस समय अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का सिर्फ़ तीन प्रतिशत हिस्सा ही परमाणु स्रोतों से हासिल करता है जबकि फ्रांस जैसे देश में यह आँकड़ा 80 प्रतिशत तक है.
भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि अमरीका से परमाणु समझौता होने के बाद भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से क़दम बढ़ा सकता है, पुराने परमाणु संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने और नए संयंत्र शुरू करने की योजना है.
भारतीय परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के सचिव डॉक्टर ओमपाल सिंह कहते हैं कि परमाणु कार्यक्रम का विस्तार चाहे जितना भी हो कड़े सुरक्षा मानदंड हमेशा की तरह अमल में लाए जाएँगे.