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शनिवार, 27 अगस्त, 2005 को 14:34 GMT तक के समाचार

मार्क वार्ड
तकनीकी संवाददाता, बीबीसी न्यूज़ ऑनलाइन

ऑनलाइन बैंक खाते भी सुरक्षित नहीं

कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले हज़ारों लोग उनके व्यक्तिगत आंकड़े चुरा लेने वाले एक बड़े गिरोह का शिकार बन गए हैं.

कंप्यूटर वायरस से सुरक्षा प्रदान करने वाली कंपनी सनबेल्ट सॉफ्टवेयर का कहना है कि एक स्पाईवेयर के प्रभाव की जाँच करते हुए अचानक ही उन्हें अमरीका में स्थित एक ऐसा सर्वर हाथ लगा जिसमें हज़ारों कंप्यूटरों से चुराए गए आंकड़े जमा किए जा रहे थे.

इन आंकड़ों में 50 बैंकों के ऑनलाइन खातों के पासवर्ड, ईबे और पेपॉल से संबधित जानकारियां, हज़ारों क्रेडिट कार्ड नंबर और बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत जानकारी शामिल हैं.

अमरीका की ख़ुफिया ऐंजेंसी एफबीआई ने चोरों के इस गिरोह की जाँच का काम शुरु कर दिया है.

वायरस

ऐसा समझा जा रहा है कि ट्रोजंस वायरस परिवार के दुमारु या निबू वायरस इन आंकड़ों को चुराने के लिए ज़िम्मेवार हैं.

यह वायरस माइक्रोसाफ्ट इंटरनेट ब्राउज़र की ख़ामियों से फायदा उठाते हैं.

यह वायरस कंम्पयूटर में उस समय अपनेआप आ जाता है जब लोग किसी ऐसी साइट पर जाते है जहाँ पर इस वायरस का प्रोग्राम लोड रहता है.

सनबेल्ट सॉफ्टवेयर के ऐरिक साइट्स का कहना है कि यह वायरस इसलिए इतना प्रभावकारी है क्योंकि यह क्लिप बोर्ड और इंटरनेट एक्सप्लोरर से आंकड़े चुराने की क्षमता रखता है.

माइक्रोसाफ्ट के ब्राउज़र में ‘ऑटो कंप्लीट’ नाम से एक सुविधा दी गई है जिसमें वेबसाइट पर कोई फार्म भरते समय यह अपनेआप उसमें नाम, पता, ईमेल पता, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि जानकारियां भरने के लिए बॉक्स बना देता है.

यह सुविधा फार्म भरने में आसानी के लिए बनाई गई है, लेकिन ऐरिक साइट्स का कहना है कि यह आंकड़े चोरी करने वालों के लिए एक आसान रास्ता बन गई है.

ख़ाली किए खाते

बीबीसी को ऐसे सर्वर और कुछ फाइलें दिखाई गईं जिनमें चोरी किए गए आंकड़े रखे गए थे.

हर फ़ाइल में ढ़ेरों ऐसी जानकारियां थी जिनकी मदद से लोगों की व्यक्तिगत जानकारी पाई जा सकती थी या बैंक खाते ख़ाली किए जा सकते थे.

ऐसी जानकारियों का विश्लेषण करने पर सामने आया कि इनमें 50 बैकों में ऑनलाइन खातों से संबधित जानकारी के अलावा लोगों के ईबे और पेपॉल खातों का ब्यौरा भी था.

ऐसे ही एक खाते में तो 3 लाख 80 हज़ार डॉलर से भी ज़्यादा रक़म जमा थी.

सनबेल्ट सॉफ्टवेयर कंपनी ने कुछ खातेदारों का पता लगा कर उन्हें इस चोरी के बारे में बताया है.

बैकों, क्रेडिट कार्ड कंपनियों, ईबे और पेपॉल को भी इस संबध में सूचित किया गया है.

ऐरिक साइट्स का कहना है कि जिस सर्वर में चोरी के आंकड़े इक्कठा किए जाते थे उसमें बहुत बड़ी क्षमता वाली फाइलें पाईं गई जिनसे समय समय पर आंकड़ें लेकर उनका इस्तेमाल किया जा रहा था.

उन्होंने आगे बताया कि अभी तक ट्रोजन वायरस को अश्लील वेबसाइट्स पर पाया गया है.

उनका मानना है कि जिस तरह से इस वायरस ने इतने लोगों को प्रभावित किया है, ऐसा संभव है कि यह वायरस कुछ और वेबसाइट्स पर भी मौजूद हो.

सनबेल्ट सॉफ्टवेयर कंपनी का मानना है कि यह वायरस लगभग तीन सप्ताह से फैल रहा है और इस दौरान हज़ारों लोग इसके शिकार हुए होंगें.

प्ले सेफ़

इस वायरस से बचने का यही तरीक़ा है कि किसी अंजान या ग़लत वेबसाइट पर न जाया जाए.

ऐरिक साइट्स का कहना है कि जैसे ही आप कंप्यूटर पर इस वायरस वाले वेबलिंक को टाइप करते है यह कंप्यूटर को प्रभावित कर देता है.

कई लोगों को तो पता भी नहीं चलता कि उनका कंप्यूटर वायरस से प्रभावित हो चुका है.

उन्होंने आगे बताया कि यह वायरस बहुत ही छोटा है और इसे खोजना भी आसान नहीं है.

इसकी फाइल का नाम भी ऐसा होता है जिस पर आसानी से संदेह नहीं होता. यही कारण है कि इसने इतनी कामयाबी से ढेरों कंप्यूटरों को प्रभावित किया.

आंकड़े चोरी करने वाले इस गिरोह के आकार और उनके काम करने को तरीके के चलते वायरस से सुरक्षा प्रदान करने वाली कंपनियों ने इस वायरस को ढूंढ़ निकालने और प्रभावित कंप्यूटरों को फिर से ठीक करने में जल्दी दिखाना ही ठीक समझा.

अमरीका की ऐसी ही एक कंपनी ने एफबीआई को इस ऑनलाइन धोखधड़ी के बारे में सूचित कर दिया है जो इस मामले की जाँच में लग गई है.