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अब विमानों में भी बजेगा मोबाइल | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं. आप घर में रहे या बाहर और कोई आवाज़ आपको सुनाई दे न दे मोबाइल फोन की आवाज़ आपको ज़रूर सुनाई दे देती है. बस एक जगह शायद आपको इन घंटियो की आवाज़ से निजात मिल सके. बिल्कुल ठीक समझा आपने...उड़ते हुए हवाई जहाज़ो में. पर अब जल्दी ही यहाँ भी मोबाइल फ़ोन का आप इस्तेमाल कर सकते है. दो साल की जाँच पड़ताल के बाद ये पता चला कि अब मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल से हवाई जहाज़ की संचार प्रणाली में कोई मुश्किल नहीं आएगी. प्लेन मेकर एयरबस ने ये शोध किया और उनका कहना था कि इसके बाद अब हवाई जहाज़ो में इन फ़ोन का इस्तेमाल किया जा सकेगा. और 2006 तक तो इस तकनीक की शुरुआत की योजना भी है. उनका कहना था कि हवाई जहाज़ की उड़ान के समय या फिर जब वो ज़मीन पर उतरता है उस वक्त अगर फ़ोन का इस्तेमाल किया जाए तो पायलट के रेडियो सिस्टम और हवाई जहाज़ की संचार प्रणाली में ख़लल पड़ता है. शोध पर नए शोध के बाद ये कहा जा रहा है कि ये सोच ग़लत थी. इस तकनीक को एक हवाई जहाज़ ए320 पर प्रयोग करके देखा गया और पाया गया कि हवाई जहाज़ से बाहर फ़ोन भी किया जा सका और लिखित संदेश भी भेजा जा सका.
इस सुविधा को हवाई जहाज़ में उपलब्ध कराने के लिए एयरबंस कंपनी ने पिकोसेल नामक यंत्र विमान में लगाया. यह यंत्र एक बेसस्टेशन था जिससे ज़मीन के मोबाइल फ़ोनों तक ग्लोबस्टार उपग्रह के ज़रिए फ़ोन किए गए. इसमें ब्लू टूथ और वाई-फ़ाई जैसी कई और तकनीकों के परीक्षण भी किए गए. एयरबस स्विटज़रलैंड की कंपनी सीटा और अमरीकी कंपनी टेनज़िंग के साथ मिलकर हवाई जहाज़ों में मोबाइल तकनीक लगाने पर काम कर रही है. हालाँकि एयरबस के अलावा अमेरिकन एयरलाइंस और विमान कंपनी बोईंग भी इस तकनीक को यात्रियों तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है. |
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