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गुरुवार, 16 अक्तूबर, 2003 को 17:40 GMT तक के समाचार
 
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जीएम फ़सलों से वन्य जीवन को ख़तरे
 
जीन संशोधित फ़सल
जीन संशोधित फ़सलों पर तीन साल तक अध्ययन हुआ

ब्रिटेन में एक अध्ययन से पता चला है कि कुछ जीन संशोधित फ़सलों से वन्य जीवन को कई तरह के नुक्सान उठाने पड़ते हैं.

तीन साल तक चले इस अध्ययन से पाया गया कि जीन संशोधित चुकंदर और रेपसीड की फ़सलों से खेती की ज़मीन पर बुरा असर पड़ता है.

ये भी पता चला है कि ऐसी ज़मीन के आसपास मक्खियों और तितलियों की संख्या में कमी आती है.

लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि ये प्रभाव सीधे जीन संशोधित फ़सलों से नहीं पड़ते बल्कि कीटनाशकों के इस्तेमाल से होते हैं.

जैव प्रौद्योगिकी की सहायता से बीज में मौजूद जीनों में उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सुधार लाया जाता है.

फिर इन जीन संवर्धित बीजों से फ़सलें उगाई जाती हैं.

लेकिन जीन संशोधित मक्की की फ़सल के उगाने से पाया गया कि इससे वनस्पतियों और पक्षियों को फ़ायदा पहुँचता है.

ब्रिटिश सरकार का कहना है कि जीन संशोधित फ़सलें व्यावसायिक दृष्टि से उगाईं जाएं या नहीं इस बारे में फ़िलहाल विचार किया जाना बाकी है.

ब्रितानी सरकार अब इस शोध के निष्कर्षों को यूरोपीय संघ के दूसरे देशों को दिखा कर इस पर चर्चा करना चाहती है.

एक ताज़ा सर्वेक्षण के अनुसार ब्रिटेन के अधिकांश लोग देश में व्यवसायिक स्तर पर जीन संशोधित फ़सल उगाने के ख़िलाफ़ हैं.

 
 
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