सयुंक्त राष्ट्र: ऊर्जा स्रोत में 'भारी बदलाव' की तत्काल ज़रुरत

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- Author, मैट मैग्राथ
- पदनाम, पर्यावरण संवाददाता, बीबीसी न्यूज़, बर्लिन, जर्मनी
जलवायु परिवर्तन पर आई संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट में <link type="page"><caption> सौर और पवन ऊर्जा</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2013/07/130708_solar_plane_across_america-rd.shtml" platform="highweb"/></link> जैसी ऊर्जा के प्रयोग को तीन गुना बढ़ाए जाने की अपील की गई है. रिपोर्ट में ज़्यादा कार्बनयुक्त ईंधन के प्रयोग में तत्काल कमी किए जाने के लिए कहा गया है.
33 पन्नों की इस रिपोर्ट को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में जारी किया गया. इस रिपोर्ट को विभिन्न देशों की सरकारों और वैज्ञानिकों ने लंबे विचार-विमर्श के बाद तैयार किया है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते हुए कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए ऊर्जा के प्रयोग के प्रचलित तौर-तरीकों में "भारी बदलाव" की ज़रूरत है.
रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कार्बन उत्सर्जक <link type="page"><caption> ऊर्जा स्रोतों</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/09/130930_china_solar_energy_dp.shtml" platform="highweb"/></link> की जगह प्राकृतिक गैस का <link type="page"><caption> ऊर्जा स्रोत</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2013/08/130809_technology_south_korea_dp.shtml" platform="highweb"/></link> के तौर पर प्रयोग करने का समर्थन किया है.
हालांकि इन ठोस सुझावों पर अमल करने के लिए दुनिया का कोई भी देश आगे बढ़कर पहल नहीं कर रहा है.
इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नेमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने तैयार किया है. यह संस्था पर्यावरण में होने वाले बदलाव और उनके प्रभाव के बारे में स्पष्ट वैज्ञानिक राय देती है.
जैविक ईंधन

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 2030 तक प्रभावशाली कदम नहीं उठाए गए तो वैश्विक तापमान दो डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है. और तापमान में इस बढ़ोत्तरी के बहुत ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं.
इस रिपोर्ट के लेखन मंडल में शामिल प्रोफ़ जिन स्किया का मानना है, "ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव की ज़रूरत है. इसमें कोई संदेह नहीं."
आईपीसीसी की इस तरह की यह तीसरी रिपोर्ट है. पहली रिपोर्ट में कहा गया था कि विश्व के बढ़ते हुए तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग के लिए मुख्यत: मानवीय कार्यकलाप ही ज़िम्मेदार हैं.
मार्च में जारी हुई दूसरी रिपोर्ट में जीवों और समाजों पर पर्यावरण में होने वाले बदलाव के असर के बारे में बताया गया था.
इसमें कहा गया था कि गलोबल वार्मिंग "गंभीर, व्यापक और ना बदली जा सकने वाली" समस्या है.
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