डिमेंशिया में 'मददगार' है विटामिन ई

डिमेंशिया, मनोभ्रंश
इमेज कैप्शन, विटामिन ई अंडे और तेल में मिलता है.

वैज्ञानिकों के अनुसार विटामिन ई की नियमित खुराक लेने से डिमेंशिया से प्रभावित लोगों को फ़ायदा हो सकता है.

<link type="page"><caption> दि जर्नल ऑफ अमरीकन मेडिकल एसोसिएशन</caption><url href="http://jama.jamanetwork.com/journal.aspx" platform="highweb"/></link> (जेएएमएए) में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि अल्ज़ाइमर्स से प्रभावित लोगों को विटामिन ई की अधिक मात्रा देने पर उनकी हालत में गिरावट की दर उन लोगों से कम थी जिन्हें इसकी एक नकली गोली दी गई.

अमरीकी शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन्हें विटामिन ई की गोली दी गई वे लोग लंबे वक़्त तक रोज़मर्रा का कामकाज करने में सक्षम थे और उन्हें मदद की कम ज़रूरत पड़ती थी.

अल्ज़ाइमर्स सोसायटी का कहना है कि विटामिन ई की खुराक बहुत ज़्यादा थी और ये सुरक्षित नहीं है.

इस अध्ययन में अल्ज़ाइमर्स डिसीज़, आम तौर पर होने वाला डिमेंशिया, से प्रभावित 613 लोगों को या तो विटामिन ई की खुराक रोज़ाना दी गई या एक नकली गोली दी गई.

'ज़्यादा खुराक'

विटामिन ई, बादाम
इमेज कैप्शन, बादाम जैसे सूखे मेवों में भी विटामिन ई मिलता है.

इन लोगों के रोज़मर्रा के कामकाज करने की क्षमता को औसतन दो साल तक आंका गया. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को विटामिन ई दिया गया था उनके काम करने की क्षमता में उन लोगों के मुकाबले धीरे-धीरे गिरावट आई जिन्हें नकली गोली दी गई थी. विटामिन ई लेने वालों की क्षमता में गिरावट सालाना 19% कम हो गई.

जिन लोगों को विटामिन ई, जिसे अल्फ़ा टोकोफेरॉल भी कहा जाता है, दिया गया उन्हें दूसरों से मदद की ज़रूरत भी कम पड़ी.

मिनियापोलिस हेल्थ केयर सिस्टम के डॉक्टर मॉरिस डिस्केन की अगुवाई वाली टीम का कहना है, "इस शोध से पता चलता है कि अल्फ़ा टोकोफेरॉल अल्ज़ाइमर्स डिसीज़ में फ़ायदेमंद है, इससे क्षमता में गिरावट कम होती है और मदद के लिए मौजूद लोगों पर बोझ भी कम होता है."

इस अध्ययन पर अल्ज़ाइमर्स सोसायटी के डॉक्टर डग ब्राउन का कहना है कि ऐसा इलाज अहम है जिससे डिमेंशिया से प्रभावित लोग रोज़मर्रा के काम कर सकें.

हालांकि वो ये भी कहते हैं कि ये देखने के लिए और शोध की ज़रूरत है कि क्या विटामिन ई वाकई डिमेंशिया के इलाज में लाभकारी है और क्या इतनी ज़्यादा खुराक रोज़ाना लेना ठीक होगा.

'डॉक्टर से बात करें'

वो कहते हैं, "ये बहुत अहम है कि लोग इस तरह के पूरक आहार के बारे में विचार करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें."

उनका कहना है, "इस अध्ययन में शामिल लोगों को विटामिन ई की जो खुराक दी गई वो उस खुराक से बहुत ज़्यादा है जिसकी सलाह दी जाती है, इतनी ऊंची खुराक कुछ लोगों के लिए नुकसानदेह हो सकती है."

अल्ज़ाइमर्स रिसर्च के डॉक्टर एरिक कैरन का कहना है कि अध्ययन से ये पता चलता है कि विटामिन ई से रोज़मर्रा के काम करने की क्षमता में थोड़ी कम गिरावट आती है लेकिन याददाश्त और सोचने समझने पर असर नहीं पड़ता.

हालांकि वो कहते हैं कि डिमेंशिया के इलाज के लिए विटामिन ई लेने की सलाह देना जल्दबाज़ी होगी.

वो कहते हैं, "जब तक कि इस अध्ययन से मिले निष्कर्ष दोहराए नहीं जाते, हम लोगों को विटामिन ई सप्लीमेंट की ऊंची खुराक लेने की सलाह नहीं देंगे."

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