अब थकान से मिल सकती है मुक्ति

लंबी हवाई यात्रा से होने वाली थकान और अनिद्रा, जिसे 'जेट लैग' कहा जाता है, को नियंत्रित करने वाले कारकों का पता लगाने में वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी है.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि हवाई यात्रा के दौरान शरीर की जैविक घड़ी को व्यवस्थित होने में एक 'आण्विक ब्रेक' बाधा पहुंचाता है. यह ब्रेक एक प्रकार का प्रोटीन है.
'सेल' नामक जर्नल में प्रकाशित इस प्रयोग के बारे में कहा गया है कि चूहों में जब इस जैविक ब्रेक को नियंत्रित किया गया तो उनमें अनुकूलन की क्षमता तेजी से बढ़ी.
जैविक घड़ी हमें दिन और रात के अनुसार अनुकूलन में मदद करती है. इस घड़ी के लिए प्रकाश एक 'रिसेट बटन' की तरह होता है.
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह खोज 'जेट लैग' और मानसिक बीमारियों के इलाज में मददगार साबित होगी.
मास्टर घड़ी की तलाश

शोधकर्ता जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्यों अनुकूलन में इतना लंबा समय लगता है. वे मस्तिष्क की मास्टर घड़ी के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं जो पूरे शरीर के अनुकूलन के लिए जिम्मेदार है.
शोधकर्ता डीएनए के उस समूह का अध्ययन कर रहे हैं जिनका व्यवहार प्रकाश के उद्दीपन में बदल जाता है.
उन्होंने पाया कि प्रकाश के दौरान बड़ी संख्या में जीन्स सक्रिय हो जाते हैं लेकिन तत्काल ही एसआईके-1 नामक प्रोटीन इनकी सक्रियता को रोक देता है.
प्रकाश के प्रभाव को रोक कर यह एक किस्म के ब्रेक का काम करता है.
जब चूहों में एसआईके-1 को नियंत्रित कर जैविक घड़ी को 6 घण्टे का अंतराल दिया गया और उन्हें इंग्लैण्ड से भारत की दूरी के बराबर हवाई यात्रा पर ले जाया गया तो उनमें अपनी जैविक घड़ी के साथ अनुकूलन में कम समय लगा.
मानसिक बीमारियों के इलाज में कारगर
प्रोफेसर रसल फोस्टर का कहना है कि एसआईके-1 का स्तर 50 से 60 प्रतिशत कम किया गया था, जो पर्याप्त प्रभाव पैदा करने के लिए काफी है.
उनके अनुसार, चूहे दिन भर में ही अपनी जैविक घड़ी को छह घंटे तक समायोजित कर लिए. जबकि सामान्य चूहों को इसे समायोजित करने में छह दिन लगे.
शोधकर्ताओं का कहना है कि जैविक घड़ी की नियमितता से जुड़ी सिजोफ्रेनिया समेत अनेक मानसिक बीमारियों के इलाज में यह प्रयोग मददगार साबित होगा.
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