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एलन मस्क का स्टारलिंक इंटरनेट यूक्रेन के लिए कितना ज़रूरी है
एलन मस्क ने कहा है कि यूक्रेन के लोग स्टारलिंक इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल करते रहें, ये वो सुनिश्चित करेंगे. हालांकि पहले उन्होंने फ़ंडिंग वापस लेने की बात कही थी.
सैटेलाइट आधारित ये इंटरनेट सिस्टम यूक्रेनी सेना और सरकार के लिए एक अहम उपकरण बन गया है.
स्टारलिंक क्या है और कैसे काम करता है?
स्टारलिंक सैटेलाइट के एक बड़े नेटवर्क की मदद से इंटरनेट सेवा देता है. ये उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो दूर दराज़ के इलाकों में रहते हैं और उन्हें तेज़ इंटरनेट की ज़रूरत होती है.
इन सैटेलाइट को निचली ऑर्बिट में रखा जाता है ताकि धरती से तेज़ी से कनेक्शन स्थापित हो सके और बेहतर स्पीड मिले.
माना जा रहा है कि स्टारलिंक 2018 से अब तक 3000 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है. टेक्नॉलॉजी वेबसाइट पॉकिट लिंट के एडिटोरियल डायरेक्टर क्रिस हॉल बताते हैं, "पहाड़ों और रेगिस्तानों जैसे दूर-दराज़ के इलाकों में सैटेलाइट के इस्तेमाल से इंटरनेट पहुंचाने से जुड़ी परेशानियां इससे दूर होती हैं."
"इसके इस्तेमाल से बड़े स्तर पर इन्फ़्रास्ट्रक्चर, जैसे केबल और मास्ट की ज़रूरत नहीं होती."
स्टारलिंक यूक्रेन में कैसे मदद कर रहा है?
यूक्रेन में एलन मस्क ने स्टारलिंक की सर्विस रूस के आक्रमण के थोड़े दिन बाद तब शुरू कर दी थी, जब रूस ने वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद की. मस्क का कहना है कि 20,000 डिश रिसीवर और राउटर के सेट यूक्रेन भेजे जा चुके हैं.
यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री मिख़ाइलो फ़ोडोरोव का कहना है कि कई ज़रूरी सर्विसेज़ को फिर से शुरू करने में स्टारलिंक ने बहुत मदद की.
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "100 से ज़्यादा क्रूज़ मिसाइलों ने संचार और एनर्जी के ढांचे को तबाह कर दिया था. लेकिन स्टारलिंक ने जल्दी ही सारी सुविधाएं फिर से चालू करने में मदद की."
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यूक्रेन जंग के मैदान पर भी स्टारलिंक का इस्तेमाल कर रहा है.
किंग्स कॉलेज लंदन के डिफ़ेंस स्टडीज़ के रिसर्चर डॉक्टर मरीना मिरोन के मुताबिक़, "यूक्रेन की सेना इनका इस्तेमाल संचार के लिए कर रही है, जैसे कि हेडक्वॉटर और सैनिकों के बीच संपर्क के लिए."
"दूसरे रेडियो सिग्नल की तरह, इनके सिग्लन जाम नहीं किए जा सकते और किट को सेटअप करने में सिर्फ़ 15 मिनट लगते हैं."
मस्क ने स्टारलिंक की सर्विस रोकने की धमकी क्यों दी?
अक्तूबर की शुरुआत में एलन मस्क ने संकेत दिए कि यूक्रेन ने क्राइमिया रूस को दे दिया और रूसी सेना को उन इलाकों में जनमत संग्रह की इजाज़त दे दी जहां उन्होंने क़ब्ज़ा किया था. फिर यूक्रेन के एक राजदूत ने उन्हें गाली देते हुए दफ़ा हो जाने के लिए कहा.
इसके जवाब में मस्क ने कहा कि उन्होंने स्टारलिंक पर 80 मिलियन डॉलर ख़र्च किए ताकि रूस इसे जाम न कर सके. उन्होंने कहा कि वो इसके लिए पैसे ख़र्च नहीं करेंगे और इसका ख़र्च अमेरिकी सरकार को उठाना चाहिए.
हालांकि इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया, "स्टारलिंक से पैसे का नुक़सान हो रहा है और दूसरी कंपनियों को टैक्सपेयर के लाखों डॉलर मिल रहे हैं, लेकिन हम यूक्रेन सरकार को फ़ंड देना जारी रखेंगे."
स्टारलिंक का इस्तेमाल दुनिया में और कहां हो सकता है?
स्टारलिंक अभी दुनिया के 40 देशों में घरों और कंपनियों को सर्विस दे रहा है. इनमें अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के देश शामिल हैं. लेकिन आम इंटरनेट के मुक़ाबले ये बहुत सस्ता नहीं है.
एक डिश और राउटर की क़ीमत 599 डॉलर है और महीने का चार्ज क़रीब 110 डॉलर.
स्टारलिंक का कहना है कि अभी तक इनके पास सात लाख सब्सक्राइबर हैं. लंदन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस पॉलिसी एंड लॉ के प्रोफ़ेसर सईद मोतेश्हार कहते हैं, "ज्यातातर विकसित देशों के पास पहले से तेज़ स्पीड वाला इंटरनेट है. स्टारलिंक बहुत छोटे मार्केट शेयर पर निर्भर है."
अगले साल स्टारलिंक अफ़्रीका और दक्षिण अमेरिका में कवरेज फैलाना चाहता है, साथ ही एशिया के दुर्गम इलाकों में भी.
लेकिन क्रिस कहते हैं, "स्टारलिंक की क़ीमत अफ़्रीका के लिहाज़ से बहुत ज़्यादा है. लेकिन ये ग्रामीण स्कूलों और अस्पतालों के लिए काफ़ी मददगार साबित होंगे."
क्या स्टारलिंक के सैटेलाइट्स से अंतरिक्ष भर जाएगा?
लो ऑर्बिट के सैटेलाइट से इंटरनेट पहुंचाने वाला स्टारलिंक अकेला सर्विस प्रोवाइडर नहीं है. अमेज़न भी अपने हज़ारों क्यूपर सैटेलाइट लॉन्च कर रहा है, वनवेब भी अपने सैटेलाइट भेज रहा है. मोतेश्हार कहते कि लो ऑर्बिट में सैटेलाइट से दिक़्क़तें हो सकती हैं.
"तेज़ स्पीड वाले सैटेलाइट दूसरी चीज़ों से टकरा सकते हैं और उनके मलबे बिखर सकते हैं."
हाल के दिनों में स्टारलिंक सैटेलाइट दूसरी चीज़ों से टकराने से बचा है, इसमें चीन का स्पेस स्टेशन शामिल है. पोर्ट्समथ विश्वविद्यालय की डॉक्टर लुसिंडा किंग कहती हैं, "अगर मलबा ज़्यादा मात्रा में फैल जाता है, तो लो ऑर्बिट भविष्य में इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाएगा."
स्टारलिंक सैटेलाइट अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी परेशानी बन गए हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय वो नंगी आंखों से दिख जाते हैं क्योंकि सूरज उन पर चमकता है. इसके कारण टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरें अलग दिखती हैं. स्टारलिंक का कहना है कि वो सैटेलाइट की चमक कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
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