नोबेल पुरस्कारः जलवायु परिवर्तन को समझने में मदद करनेवाले वैज्ञानिकों को फ़िज़िक्स का नोबेल

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इस वर्ष जलवायु विज्ञान और ग्लोबल वॉर्मिंग की जटिलता को समझाने में किए गए काम के लिए तीन वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है.
नॉर्वे की राजधानी स्टॉकहोम में पुरस्कार समिति ने एक समारोह में स्युकुरो मनाबे, क्लॉस हैसलमैन और जॉर्जियो पारिसी के नोबेल जीतने की घोषणा की.
मनाबे और हैसलमैन के काम की वजह से धरती के जलवायु के ऐसे कंप्यूटर मॉडल बने, जिनसे ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव की भविष्यवाणी संभव हो सकी.
विजताओं को पुरस्कार में एक करोड़ क्रोनर यानी लगभग पौने नौ करोड़ रुपए मिलेंगे.
जलवायु विज्ञान में जटिल भौतिक चीज़ों के दीर्घकालीन व्यवहार का अनुमान लगा पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है, जैसे पृथ्वी के जलवायु के बारे में पता लगाना.
लेकिन कंप्यूटरों पर तैयार मॉडलों से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि पृथ्वी पर धरती के वायुमंडल को गर्म करनेवाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का क्या असर पड़ता है.
और इन मॉडलों से लगाए जाने वाले अनुमानों से जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारी समझ बेहतर हुई है.

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जलवायु परिवर्तन पर अहम योगदान
90 वर्षीय स्युकुरो मनाबे ने बताया कि कैसे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने से पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ सकता है.
उन्होंने 1960 के दशक में इस मॉडल को बनाने के प्रयास का नेतृत्व किया था.
इसके लगभग एक दशक बाद, 89 वर्षीय क्लॉस हेसलमैन ने एक कंप्यूटर मॉडल बनाया, जिसने मौसम और जलवायु के बीच संपर्क स्थापित किया.
उनके काम से पता चला कि क्यों जलवायु के मॉडलों पर भरोसा किया जा सकता है जबकि मौसम कभी भी बदलते रहते हैं और उनमें बहुत उतार-चढ़ाव हो सकता है.
नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि जॉर्जियो पारिसी की खोजों से "बहुत सारे और एकदम अलग सामग्रियों और घटनाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना संभव हो सका".
इनमें माइक्रोस्कोपिक स्तर यानी बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर जटिल बदलावों और उनके व्यवहार को समझना शामिल है.
उनके काम का इस्तेमाल केवल फ़िज़िक्स में ही नहीं, बल्कि अन्य विषयों जैसे गणित, जीव विज्ञान, न्यूरोसाइंस (मस्तिष्क विज्ञान) और मशीन लर्निंग में भी होता है जो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का एक क्षेत्र है.
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'बहुत तेज़ी से काम करने की ज़रूरत'
धरती के गर्म होने को समझने के काम में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार का एलान ऐसे समय किया गया है, जब नवंबर में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर बैठक होने वाली है.
प्रोफ़ेसर परिसी कहते हैं, "हमें इस बारे में बहुत तेज़ी से काम करने की ज़रूरत है और देरी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए."
नोबेल पुरस्कार की स्थापना स्वीडेन के उद्योगपति अल्फ़्रेड नोबेल ने की थी, जिन्होंने 1896 में अपनी मृत्यु से एक वर्ष पहले अपनी वसीयत में इसकी व्यवस्था की थी.
फ़िज़िक्स के लिए 1901 से नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है और अब तक 218 लोगों को ये पुरस्कार दिया जा चुका है.
इनमें से केवल चार नोबेल विजेताएँ महिला हैं. वहीं वैज्ञानिक जॉन बार्डीन ने ये पुरस्कार दो बार - 1956 और 1972 - में जीता.
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