बुधवार, 04 मार्च, 2009 को 20:04 GMT तक के समाचार
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में गठबंधन और मिलकर चुनाव लड़ने की कोशिशें अभी पूरी तरह परवान नहीं चढ़ी हैं.
पर तालमेल के प्रयासों के सापेक्ष बुधवार को कांग्रेस पार्टी ने राज्य की 24 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की सूची की घोषणा कर दी है.
इनमें से दो प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो पहले समाजवादी पार्टी के टिकटों पर जीतते आए थे, अब बागी हैं और कांग्रेस ने उन्हें अपने चुनाव चिन्ह के साथ मौका दिया है.
बुधवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दिल्ली में राज्य के लिए पार्टी के प्रत्याशियों के 24 नामों की घोषणा कर दी है.
15वीं लोकसभा के लिए पार्टी ने रायबरेली से सोनिया गांधी, अमेठी से राहुल गांधी, फ़तेहपुर सीकरी से राजबब्बर, वाराणसी से राजेश मिश्रा, प्रतापगढ़ से रत्ना सिंह, फ़र्रूख़ाबाद से सलमान खुर्शीद, रामपुर से बेग़म नूरबानो, गोंडा से बेनीप्रसाद वर्मा, कानपुर से श्रीप्रकास जायसवाल, डोमरियागंज से जगदंबिका पाल सहित 24 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित किए.
पार्टी की ओर से चुनावी तैयारियाँ पहले से ही ज़ोर-शोर से राज्यभर में चल रही हैं. बड़े नेताओं के दौरे और टिकटों के बंटवारे को लेकर चर्चा के बीच समाजवादी पार्टी से तालमेल की कोशिशें अभी तक जारी हैं.
तालमेल पर असर
पिछले वर्ष विश्वास मत के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच की दूरियाँ कम हुई थीं. समाजवादी पार्टी कांग्रेस के लिए संकटमोचक बनकर सामने आई थी.
इसके बाद दोनों पार्टियों ने राज्य में मिलकर चुनाव लड़ने का बातें कहीं. कोशिशें भी कीं. कोशिशों के दौरान कभी बात बनती नज़र आई तो कभी गणित बिगड़ता नज़र आया. कुछ बयानों ने बिगड़ते गणित में घी का काम किया.
बताया जाता है कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी से 25 सीटें छोड़ने को कह रही थी पर सपा 15-16 सीटों से ऊपर कांग्रेस को देने के लिए तैयार न थी.
बहुत खींचतान कर सपा की ओर से यह आँकड़ा 20 तक जाने की संभावना दिख रही थी. अब कांग्रेस ने 24 नाम घोषित करके अपनी स्थिति को ज़्यादा साफ़ और पीछे न हटनेवाली कर दिया है.
पर आंकड़ा अभी भी ऐसा नहीं है जिससे बात पूरी तरह ख़राब हो गई है, ऐसा आभास हो. बल्कि कांग्रेस ने उतनी ही गोट बिछाई हैं, जितनी उन्होंने कही थीं.
वैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए यह चुनाव साथ लड़ना अल्पसंख्यकों को साथ खींचने और दो ताकतों के साथ आने के मत लाभ में बदलने के लिहाज से अहम था.
अब जबकि कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है, साफ़ है कि कुछ सीटों पर दोस्ताना टकराव के साथ अभी भी दोनों के तालमेल की उम्मीद तो बची हुई है.