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सोमवार, 23 फ़रवरी, 2009 को 11:42 GMT तक के समाचार
 
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थमी नहीं है बिजली पर राजनीति
 

 
 
शिवराज सिंह चौहान

वर्ष 2003 में जब भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश की सत्ता में आई थी, तो उसने 100 दिनों के अंदर बिजली संकट दूर करने का वादा किया था.

भाजपा सरकार भले ही राज्य में बिजली की हालत न सुधार पाई हो, लेकिन उसने ये मुद्दा हाथ से जाने नहीं दिया है.

ऐसा तब हो रहा है जब उसके सत्ता में आने के क़रीब 150 दिनों तक केंद्र में भाजपा गठबंधन की ही सरकार रही. लेकिन प्रदेश भाजपा अब भी बिजली संकट के मुद्दे को हाथ से नहीं जाने दे रही है.

पार्टी मध्य प्रदेश में बिजली की बदतर हालात के लिए कभी दिग्विजय सिंह की पूर्व सरकार को ज़िम्मेदार ठहराती है तो कभी केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार को.

रवैया

अब राज्य के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र के इस 'पक्षपातपूर्ण' रवैए के विरोध में एक न्याय यात्रा की शुरुआत की है.

राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र से मिलने वाली उसके हिस्से की बिजली में से 350 मेगावाट की कमी कर दी गई है.

केंद्र के अधीन कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स पावर प्लांट तैयार करने में देर कर रही है.

दूसरी ओर कोयले से चलने वाले प्लांट के लिए हर माह ज़रूरी साढ़े सत्रह लाख मिट्रिक टन के बदले मध्य प्रदेश को महज़ ग्यारह लाख मिट्रिक टन कोयला मुहैया कराया जा रहा है.

 हालाँकि मैं इस मामले में कई बार प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से भी मिला लेकिन वे आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं दे पाए. अब केंद्र हमसे कह रहा है कि अगर हमें कोयले की बहुत ज़रूरत है तो हम विदेशों से ख़रीद लें
 
शिवराज सिंह चौहान

न्याय यात्रा के तहत जब शिवराज सिंह पाठाखेडा खदान पहुंचे, तो उन्होंने फावड़ा से कोयला उठाकर केंद्र के ख़िलाफ़ विरोध दर्ज कराया.

उन्होंने कहा कि पिछले साल कम बारिश की वजह से मध्य प्रदेश पानी से चलने वाले स्टेशन से सिर्फ़ 350 से 400 मेगावाट बिजली पैदा कर पा रहा है.

शिवराज सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र ये कटौतियाँ सिर्फ़ इसीलिए कर रहा है ताकि जनता में राज्य सरकार के ख़िलाफ़ रोष पैदा हो.

उन्होंने कहा, "हालाँकि मैं इस मामले में कई बार प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से भी मिला लेकिन वे आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं दे पाए. अब केंद्र हमसे कह रहा है कि अगर हमें कोयले की बहुत ज़रूरत है तो हम विदेशों से ख़रीद लें."

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सरासर अन्याय है क्योंकि मध्य प्रदेश ख़ुद कोयले पैदा करता है लेकिन उसके यहाँ का कोयला दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है. दूसरी ओर केंद्र चाहता है कि मध्य प्रदेश ख़ुद कोयला बाहर से ख़रीदे.

'तुच्छ राजनीति'

न्याय यात्रा के दौरान अपनी सभाओं में शिवराज सिंह चौहान ने 61 लाख के बदले सिर्फ़ 41 लाख ग़रीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए ही अनाज मिलने और ग़रीबों के आवास के लिए केरल से भी कम राशि केंद्र की ओर से मिलने का दावा भी किया.

दिग्विजय सिंह ने तुच्छ राजनीति का आरोप लगाया

लेकिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान की यात्रा को 'तुच्छ राजनीति' का हिस्सा बताया.

उन्होंने कहा कि ये अपनी नाकामियों को छुपाने की भाजपा सरकार की रणनीति का हिस्सा है और इसकी सच्चाई इसी बात से ज़ाहिर होती है कि जहाँ मध्य प्रदेश सरकार एक ओर बिजली कमी का रोना रो रही है वहीं वह दूसरे राज्यों को बिजली बेच रही है और वह केंद्र की ओर से दी गई बड़ी राशि का उपयोग ही नहीं कर पाई.

दूसरे राज्य को बिजली बेचे जाने और केंद्रीय कोष के इस्तेमाल न हो पाने की खबरें हाल में कई जगहों पर आई थी.

जानकारों के अनुसार इसके पहले कि विपक्षी कांग्रेस इन मुद्दों पर मुँह भी खोल पाती, राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश में बिजली संकट जैसे संवेदनशील राजनैतिक मुद्दे को उठाकर न सिर्फ़ अपनी ज़िम्मेदारियों से हाथ झाड़ने की कोशिश की है बल्कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है.

 
 
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