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शनिवार, 03 जनवरी, 2009 को 12:32 GMT तक के समाचार

रामदत्त त्रिपाठी
बीबीसी संवाददाता, लखनऊ

इंजीनियर हत्याकांड में आरोप पत्र दाख़िल

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित इंजीनियर हत्याकांड में आनन-फ़ानन में आरोप पत्र दाख़िल कर दिया गया है जबकि अभी 15 में से 9 अभियुक्त फ़रार हैं और मामले की जाँच अधूरी है.

संवाददाताओं का कहना है कि चूंकि इस मामले में सीबीआई जाँच की माँग को लेकर अदालत में याचिका दायर हो सकती है इसलिए उच्च न्यायालय की छुट्टी ख़त्म होने से पहले जल्दबाज़ी में आरोप पत्र दाख़िल किया गया है.

पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी कि किस तरह विधायक शेखर तिवारी और उनके साथियों ने 23-24 दिसंबर की रात औरैया के गेल परिसर में इंजीनियर मनोज गुप्ता के साथ मारपीट की और उन्हें बिजली के करंट लगाकर अधमरी हालत में थाने पहुंचाया.

उन्होंने बताया कि इस मामले में सत्तारूढ़ पार्टी विधायक शेखर तिवारी के अलावा बसपा के तीन कार्यकर्ताओं विजय तिवारी, मनोज अवस्थी, रामबाबू तथा उनके दो अंगरक्षक बाल सिंह और गजराज सिंह को गिरफ़्तार किया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि बसपा जिला इकाई अध्यक्ष योगेंद्र दोहरे, ड्राइवर देवेंद्र और संतोष, विधायक की पत्नी विभा तिवारी, पूर्व सभासद बंटी जाटव और बसपा कार्यकर्ता राजवीर मिश्रा और ड्राइवर देवेंद्र के एक रिश्तेदार समेत नौ लोग फ़रार हैं.

दिबियापुर थानाध्यक्ष होशियार सिंह भी इस मामले में अभियुक्त बताए गए हैं और फिलहाल फ़रार हैं.

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि इन सभी अभियुक्तों की ग़िरफ़्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं तथा विधायक शेखर तिवारी तथा उनके साथियों को दोबारा पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने बताया कि ग़िरफ़्तार अभियुक्तों से तीन गाड़ियाँ, डंडे, बिजली के तार और अन्य सबूत भी बरामद किए गए हैं.

पुलिस महानिदेशक के मुताबिक विधायक शेखर तिवारी इंजीनियर मनोज गुप्ता से नाराज़ थे क्योंकि वह पूर्ववर्ती इंजीनियरों की तरह उन्हें कमीशन नहीं देते थे और उनके लोगों को ठेका भी नहीं देते थे.

दबाव

हालाँकि ख़बरे हैं कि मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन के लिए धन संग्रह के लिए मना करने के कारण इंजीनियर मनोज गुप्ता की जान गई.

इलाके के दरोगा होशियार सिंह ने फ़रारी के दौरान ही एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन पर विधायक शेखर तिवारी को बचाने के लिए दबाव डाला था और ऐसा नहीं करने के कारण उन्हें अभियुक्त बनाया गया, जबकि वह मारपीट में शामिल नहीं थे.

दरोगा ने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन के लिए अन्य विभागों के अलावा पुलिस से भी चंदा वसूला गया था.

एक सवाल पर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि दरोगा होशियार सिंह एक अभियुक्त हैं और अपने बचाव के लिए ऐसा कह रहे हैं.

इंजीनियर हत्याकांड को लेकर मुख्यमंत्री मायावती पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं. पीड़ित परिवार और विपक्षी दल मामले की सीबीआई जाँच के लिए उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाख़िल कर सकते हैं.

समझा जाता है कि सीबीआई जाँच से बचने के लिए ही पुलिस ने इस मामले में इतनी जल्दी आरोपपत्र दाख़िल किया है, जबकि विवेचना अभी अधूरी है.