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शुक्रवार, 03 अक्तूबर, 2008 को 11:32 GMT तक के समाचार

उड़ीसा की स्थिति पर तेज़ हुई राजनीति

उड़ीसा और कर्नाटक में ईसाइयों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिंता जताई है और केंद्रीय गृह मंत्री से स्थिति पर रिपोर्ट माँगी है.

शुक्रवार को उड़ीसा की स्थिति पर कई राजनीतिक नेताओं और पार्टियों की ओर से बयान आए हैं और पूरे मामले पर राजनीतिक ख़ासी तेज़ हो गई है.

शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने पत्रकारों को बताया, "केंद्रीय गृह मंत्री को आदेश दिया गया है कि वे केंद्रीय मंत्रिमंडल की अगली बैठक में उड़ीसा और कर्नाटक में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर रिपोर्ट दें."

प्रियरंजन दासमुंशी ने कहा कि केंद्र सरकार उड़ीसा में विशेष तौर पर कंधमाल और कर्नाटक की स्थिति पर चिंतित है.

जब उनसे पूछा गया कि क्या केंद्र उड़ीसा में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सोच रहा है तो उनका कहना था कि 'केंद्र संविधान के नाम पर, बिना स्थिति और सब बातों को ध्यान में लिए, कोई कार्रवाई नहीं कर सकता.'

कड़ी कार्रवाई का आश्वासन

उधर राष्ट्रीय जनता दल के नेता और रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने उड़ीसा में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताते हुआ कहा कि 'जो लोग हिंसक गतिविधियाँ कर रहे हैं वे देश के टुकड़े-टुकड़े करना चाहते हैं.'

लालू प्रसाद यादव का कहना था कि केंद्र जो भी कार्रवाई करेगा वह संविधान के तहत और अनुच्छेद 355 को ध्यान में रखते हुए की जाएगी.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा, "ये हिंसा की सबसे बुरी घटनाएँ हैं जो पिछले एक महीने से चल रही हैं."

उनका कहना था, "ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में कोई शासन नहीं है. ये स्पष्ट मामला है जहाँ राज्य सरकार हिंसा पर काबू पाने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा कर पाने में नाकाम है."

उधर उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का कहना था, "जो लोग घिनौनी और शर्मनाक हिंसक घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार हैं, उनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई होगी और उन्हें सज़ा दिलाई जाएगी."