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बुधवार, 03 सितंबर, 2008 को 06:03 GMT तक के समाचार
 
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शिवराज पाटिल उड़ीसा के दौरे पर
 
शरणार्थी शिविर
ईसाइयों पर हुए हमलों की आवाज़ दुनिया भर में गूँजी है
केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल बुधवार को उड़ीसा के कंधमाल ज़िले का दौरा कर रहे हैं.

गृहमंत्री वहाँ पिछले दिनों वहाँ हुई हिंसा के बाद की स्थिति का जायज़ा लेने जा रहे हैं.

भुवनेश्वर पहुँचने के बाद शिवराज पाटिल ने राजधानी भुवनेश्वर में राज्यपाल एमसी भंडारे और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अलावा राजनीतिक दलों के नेताओं से मिले हैं.

संभावना है कि शिवराज पाटिल हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवज़े और राहत पैकेज की घोषणा करेंगे.

इस बीच कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाक़ात की है और उड़ीसा में हुई हिंसा की सीबीआई जाँच की माँग की है.

अधिकारियों का कहना है कि उड़ीसा में हुई हिंसा के बाद 19 हज़ार से भी ज़्यादा शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.

उनका कहना है कि हिंसा में मरने वालों की संख्या 20 हो गई है.

यह हिंसा 12 दिन पहले एक हिंदू नेता के मारे जाने से शुरू हुई थी.

एक वरिष्ठ माओवादी नेता ने इस हत्या की ज़िम्मेदारी ली लेकिन हिंदू संगठन इसके लिए ईसाइयों पर आरोप लगा रहे हैं.

स्थिति सामान्य

इस बीच राज्य के गृहसचिव तरुणक्रांति मिश्रा ने दावा किया है कि कंधमाल ज़िले में स्थिति अब सामान्य है और वहाँ से हिंसा की कोई ख़बरें नहीं हैं.

प्रशासन ने वहाँ बाहरी लोगों के जाने पर लगी हुई रोक मंगलवार को हटा ली है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार एक उच्चस्तरीय दल के दौरे के बाद उन्होंने ये बातें कहीं.

राज्य शासन की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि शिविरों में रह रहे लोगों के बच्चों को अगली व्यवस्था होने तक वहीँ पढ़ाने की व्यवस्था की जाए.

इस बीच टीकावाड़ी और जीउदयगिरी से छिटपुट हिंसा की ख़बरें मिली हैं.

उधर राज्य के पुलिस महानिदेशक ने ख़बर दी है कि कंधमाल ज़िले के 400 आदिवासी पुलिस विभाग में भर्ती किए जाएँगे.

याचिका

इस बीच उड़ीसा के बिशप रफ़ायल चीनत ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है कि इस पूरी हिंसा की सीबीआई से जाँच करवाई जाए.

बुधवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि राज्य सरकार बताए कि उसने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा रोकने के लिए किस तरह के क़दम उठाए हैं.

और यह भी कि क़ानून व्यवस्था क़ायम रखने के लिए किस तरह की व्यवस्था कर रही है.

राज्य सरकार को जवाब देने के लिए गुरुवार तक का समय दिया गया है.

 
 
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