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गुरुवार, 24 जुलाई, 2008 को 19:55 GMT तक के समाचार

बेहतर होंगे पाकिस्तान के लड़ाकू विमान

अमरीकी सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी ओर से पाकिस्तान को चरमपंथि विरोधी अभियान के लिए दिए जाने वाले पैसे का एक बड़ा हिस्सा लड़ाकू विमानों पर खर्च किया जाएगा.

जानकारी के मुताबिक अमरीका की ओर से दिए जाने वाले पैसे में से 20 करोड़ अमरीकी डॉलर से भी अधिक राशि इन लड़ाकू विमानों की गुणवत्ता सुधारने में इस्तेमाल की जाएगी.

पाकिस्तान पिछले कई बरसों से एफ़-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करता रहा है और अब अमरीकी पैसे से इसके कायाकल्प की तैयारी की जा रही है.

अमरीकी सरकार का इसके पीछे तर्क है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि चरमपंथी ताकतों के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे अभियान में पाकिस्तान की सरकार को मदद मिल सके.

पर अमरीकी सरकार के इस तर्क की कई विश्लेषकों और अमरीकी सांसदों ने तीखी आलोचना भी की है.

अभियान और लड़ाकू विमान

कुछ अमरीकी सांसदों का तर्क है कि पाकिस्तान में तालेबान या बाकी चरमपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ सरकार जो अभियान चलाती है उसमें लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

ऐसे में इस तर्क को कैसे उचित माना जाए कि अमरीकी सरकार चरमपंथ से निपटने के अभियान को मज़बूत करने के लिए इन विमानों को सुधारने के लिए इतनी बड़ी रक़म दे रही है.

उधर जानकार यह भी बताते हैं कि अमरीका की इस ताज़ी घोषणा से दक्षिए एशिया के मज़बूत घड़े और पाकिस्तान के पड़ोसी देश भारत में चिंता की लकीरें बढ़ेंगी.

अमरीकी सरकार के इस फैसले को भारत शायद अच्छी नज़र और सहजता के साथ न देखे.

पाकिस्तान के पास फिलहाल 30 एफ़-16 लड़ाकू विमान हैं जिन्हें पाकिस्तान ने 80 के दशक के मध्य में अमरीका से खरीदा था.