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सोमवार, 21 जुलाई, 2008 को 19:57 GMT तक के समाचार

विश्वास मत पर आज होगा मतदान

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की परीक्षा की घड़ी निकट आती जा रही है और कुछ राजनीतिक दल अपने सांसदों के पाला बदलने को लेकर आशंकित हैं.

एक टीवी चैनल पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आशंका जताई कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के कुछ सांसद अपनी पार्टियों के ख़िलाफ वोट दे सकते हैं या अनुपस्थित रह सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि बीजेपी के दो सांसदों ने साफ कर दिया है कि वो पार्टी के ख़िलाफ यानी यूपीए के समर्थन में वोट डालेंगे. पार्टी ने इन दोनों सांसदों की सदस्यता खारिज़ करने की मांग की है.

इसके अलावा सपा के कुछ सांसद पाला बदल रहे हैं और अभी यह कहना अत्यंत मुश्किल है कि कौन सांसद किसके पक्ष में जा रहा है.

सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया और उस पर देर रात तक बहस चली.

बहस के बाद मंगलवार को विश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन होगा जिसमें पता चल सकेगा कि पिछले 15 दिनों तक विभिन्न पार्टियों की जोड़ तोड़ क्या रंग लाती है.

कुछ सांसद जहां बीमार होने के कारण लोकसभा में नहीं आ सकेंगे वहीं कुछ सांसदों के अपनी पार्टियों के ख़िलाफ़ मत डालने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है.

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे मनमोहन सिंह सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान लोकसभा में मौजूद नहीं रहेंगी.

कोलकाता में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने घोषणा की कि वो दिल्ली नहीं जाएँगी.

उनका कहना था, " मैं दिल्ली नहीं जा रही हूँ. मैं न कांग्रेस के लिए वोट डाल सकती हूँ, न भाजपा के लिए और न ही सीपीएम के लिए."

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस की प्रतिनिधि सिर्फ़ ममता बनर्जी ही हैं यानी उनकी पार्टी के पास सिर्फ़ एक सीट है.

उल्लेखनीय है कि मौजूदा लोकसभा में प्रभावी सदस्य संख्या 541 है. दो सांसदों के स्थान खाली पड़े हैं, जबकि एक सांसद को मतदान का अधिकार नहीं है.

सरकार को जीत के लिए 271 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता पड़ेगी.

प्रधानमंत्री ने रखा प्रस्ताव

सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने लोकसभा के दो दिनी सत्र की शुरुआत में विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विश्वास प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि वाम दलों ने सरकार से परमाणु समझौते के मुद्दे पर सरकार से समर्थन वापस लिया तो वे उस वक्त जी-8 की बैठक में भाग लेने के लिए गए हुए थे.

उन्होंने कहा कि इस स्थिति से बचा जा सकता था. सरकार अंतराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से बात कर रहीं थी और अगर ये बातचीत आगे बढ़ती तो वो खु़द संसद में आते और इस परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने के लिए सांसदों से दिशा निर्देश लेते.

मनमोहन सिंह ने अपने संक्षिप्त भाषण में यूपीए सरकार के गठन में योगदान देने के लिए ज्योति बसु, करुणानिधि और हरकिशन सिंह सुरजीत का शुक्रिया भी अदा किया.

आडवाणी का निशाना

विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार ख़ुद इस विश्वास प्रस्ताव की बहस के लिए ज़िम्मेदार है जबकि अर्थव्यवस्था, महँगाई और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत हैं.

आडवाणी का कहना था, " चुनाव से कुछ महीने पहले यदि ये बहस हो रही है तो इसकी ज़िम्मेदारी खुद सरकार पर है और प्रधानमंत्री जी विशेष तौर पर है. एक साल पहले जब उन्होंने एक अख़बार को इंटरव्यू में कहा कि यदि वाम मोर्चा परमाणु समझौते से सहमत नहीं तो वह जो फ़ैसला करने चाहे कर सकता है. तब से लेकर पिछले एक साल तक सरकार को जैसे लकवा ही मार गया है."

आडवाणी का कहना था, " संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार अस्पताल के आईसीयू में भर्ती मरीज़ की तरह है और स्वाभाविक है कि ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या ये मरीज़ बचेगा या नहीं?"

उनका कहना था कि वो भी चाहते हैं कि भारत परमाणु ताकत बनें और अमरीका से मजबूत संबंध पर हमें आपत्ति नहीं है. लेकिन परमाणु समझौते को लेकर प्रधानमंत्री ऐसा व्यवहार कर रहे हैं , जैसे कि ये दो देशों के बीच न होकर दो लोगों के बीच हो.

सीपीएम का विरोध

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मोहम्मद सलीम ने बहस में हिस्सा लेते हुए यूपीए को निशाना बनाया और कहा कि सवाल विश्वसनीयता का है.

उन्होंने कहा, " प्रधानमंत्री यह कह कर विश्वास प्रस्ताव लाए कि सदन को मंत्रिपरिषद में विश्वास है लेकिन सवाल यहां विश्वसनीयता का ही है. विश्वास तोड़ा गया है."

उन्होंने न्यूनतम साझा कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि वाम दलों ने यूपीए के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर समझौता किया था लेकिन कांग्रेस सरकार ने अमरीका के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम बना लिया.

सलीम का कहना था कि ये सभी जानते हैं कि कई नीतियों पर कांग्रेस और वाम दलों के मतभेद हैं मसलन विनिवेश, आर्थिक नीति लेकिन विदेश नीति के मसले पर कांग्रेस अपनी ही नेताओं के सुझाए हुए रास्ते का विरोध कर रही है.

सपा का समर्थन

समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आम जनता परमाणु समझौते के पक्ष में है और वही राजनीतिक लोग इसका विरोध कर रहे हैं जिनके निजी हित इससे संबंधित हैं.

उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी और वाम दलों को निशाना बनाया.

रामजीलाल सुमन का कहना था कि आडवाणी ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री बनने की जल्दी में हैं.

उनका कहना था कि ये बातें ग़लत हैं कि समझौते के बाद भारत परीक्षण नहीं कर सकता, ज़रुरत पड़ी तो परीक्षण किए जा सकते हैं.

ग़ौरतलब है कि अब तक मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह,विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा से विश्वास पाने में असफल रहे हैं.

कांग्रेस का कहना है कि ये सब अल्पमत सरकारें थीं जबकि उसके पास पहले भी बहुमत था और अब भी है.