|
गतिरोध के बीच मनमोहन जापान रवाना
|
||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टोक्यो में जी- 8 की बैठक के लिए रवाना होने से पहले कहा है कि वे सम्मेलन के दौरान तेल की
बढ़ती क़ीमतों के प्रभाव का मसला उठाएँगे.
सम्मेलन में शामिल आठ देशों में ब्रिटेन, कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, रूस और अमरीका हैं. चीन, भारत और दक्षिण अफ़्रीका इस सम्मेलन में पर्यवेक्षकों के तौर पर शामिल होने वाले अन्य देश हैं. प्रधानमंत्री की जी-8 यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वाम दलों ने परमाणु संधि के मुद्दे पर सरकार को 'अल्टीमेटम' दिया है जबकि सरकार ने क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी के साथ सरकार बचाने की रणनीति बनाई है. वाम दलों ने केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी को पत्र लिखकर यूपीए से परमाणु मुद्दे पर सरकार के अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में आख़िरी दौर की बातचीत करने के बारे में जाने पर जानकारी मांगी थी और इसके लिए सोमवार की समयसीमा दी थी. लेकिन ये फ़िलहाल स्पष्ट नहीं है कि सरकार का उत्तर कब आएगा और इस पर वाम दल क्या सोमवार को समर्थन वापसी की घोषणा करेंगे या नहीं. हालांकि वाम दलों के समर्थन वापसी से सरकार को अब कोई खतरा नहीं है. जी-8 यात्रा एक लिखित बयान में प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ ऊर्जा जरुरतों, व्यापार से जुड़े मसलों पर बात करेंगे लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा तेल की बढ़ती क़ीमतें होंगीं. उन्होंने कहा कि वे तेल की बढ़ती क़ीमतों के प्रभाव से निपटने के लिए तेल उत्पादक और इस्तेमाल करने वाले देशों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर बल देंगे. भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्रा से पहले विदेश सचिव शिव शंकर मेनन ने जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री बुधवार को अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से भी मिलेंगे और परमाणु संधि के साथ ही कुछ दूसरे मुद्दों पर बातचीत करेंगे. जी-8 के सवाल जी-8 के बाहर से भारत के अलावा चीन, ब्राज़ील, मैक्सिको और दक्षिण अफ़्रीका को भी बैठक में बुलाया गया है और इनके साथ भी अलग अलग मुद्दों पर बातचीत होनी है. जापान में जी-आठ के प्रमुख मुद्दों में खाद्य और तेल के बढ़ती कीमतें, अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता, पर्यावरण संकट और ज़िम्बाब्वे में चल रहे राजनीतिक विवाद शामिल हैं. बीबीसी के क्रिस होग ने कहा कि जापानी अधिकारियों ने पिछले साल कहा था कि सम्मेलन का मुख्य विषय जलवायु परिवर्तन पर आधारित होगा जिसमें क्योटो संधि के अनुसार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर कमी करने के लिए समझौता किया जाएगा. माना भी यही जा रहा है कि सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन का मुद्दा प्रमुख होगा. हालांकि इस मसले पर बातचीत के दौरान ज़्यादा ध्यान तेल और खाद्यान्न के बढ़ते दामों पर केंद्रित होने की उम्मीद जताई जा रही है. |
इससे जुड़ी ख़बरें
'ज़िम्बाब्वे में चुनाव अलोकतांत्रिक'30 जून, 2008 | पहला पन्ना
बीस साल में दोगुना खाद्य उत्पादन लक्ष्य06 जून, 2008 | पहला पन्ना
दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक शुरू23 जनवरी, 2008 | पहला पन्ना
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सहमति07 जून, 2007 | पहला पन्ना
असहमतियों के बीच सम्मेलन शुरु06 जून, 2007 | पहला पन्ना
जी-8: जलवायु परिवर्तन का मुद्दा रहेगा गर्म06 जून, 2007 | पहला पन्ना
जलवायु पर प्रस्ताव अमरीका को नामंज़ूर06 जून, 2007 | पहला पन्ना
अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में बदलाव की माँग24 अप्रैल, 2005 | पहला पन्ना
|
||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
|||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||