शनिवार, 19 अप्रैल, 2008 को 11:48 GMT तक के समाचार
केंद्र सरकार को समर्थन दे रही वामपंथी पार्टियों और संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (यूएनपीए) के शीर्ष नेता बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आए हैं.
यूएनपीए में समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और असम गण परिषद शामिल है.
शनिवार को इन नेताओं ने गिरफ़्तारी दी और कहा कि अगर केंद्र सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण नहीं किया तो आंदोलन तेज़ किया जाएगा. यूएनपीए और वामपंथी पार्टी ने महंगाई के ख़िलाफ़ एक सप्ताह का राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया है.
लेकिन वामपंथी नेताओं ने सरकार से समर्थन वापस लेने से इनकार किया है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचूरी ने कहा कि पार्टी का मक़सद बढ़ती क़ीमतों पर नियंत्रण करना है.
'विस्फोटक स्थिति'
सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि स्थिति विस्फोटक है. उन्होंने कहा, "अगर बढ़ती क़ीमतों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो स्थिति विस्फोटक हो जाएगी. इस स्थिति से निपटने के लिए जल्द क़दम उठाने की आवश्यकता है."
दरअसल शनिवार को यूनपीएन ने एक सेमिनार का आयोजन किया था. इस सेमिनार में वामपंथी दलों के नेताओं ने भी हिस्सा लिया.
सेमिनार में सीपीआई महासचिव एबी बर्धन, तेलुगू देशम के नेता चंद्रबाबू नायडू, समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव, इंडियन नेशनल लोकदल के ओम प्रकाश चौटाला और नेशनल कॉन्फ़्रेंस फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने भी हिस्सा लिया.
बाद में इन नेताओं ने एक ज्ञापन देने के लिए प्रधानमंत्री आवास की ओर रुख़ किया लेकिन उन्हें रास्ते में ही गिरफ़्तार कर लिया गया.
संसद में भी वामदलों और यूएनपीए के नेताओं ने महंगाई को लेकर काफ़ी शोर-शराबा मचाया था. माना जा रहा है कि वाम दलों और यूएनपीए में बढ़ती क़रीबी तीसरे मोर्चे के गठन का संकेत है.