मंगलवार, 11 मार्च, 2008 को 21:14 GMT तक के समाचार
भारत के पैट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा है कि भारत सरकार ईरान और पाकिस्तान के रास्ते आने वाली गैस पाइपलाइन परियोजना से पीछे नहीं हट रही है.
उन्होंने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार अभी भी अपने रुख़ पर क़ायम है और प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द इस परियोजना से संबंधित समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गैस पाइपलाइन के समझौते पर तेज़ी से काम किया जा रहा है और अब यह पूरा मामला उच्च अधिकारियों के स्तर तक पहुँच चुका है.
मुरली देवड़ा ने बताया, "हम इस परियोजना के प्रति काफी गंभीर हैं. इसी के मद्देनज़र विशेषज्ञों का एक दस्ता अगले कुछ दिनों में इस्लामाबाद जा रहा है जहाँ इस परियोजना के बारे में यह दल अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा."
उन्होंने बताया, "इस टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की रणनीति तय होगी और प्रशासनिक स्तर पर भारत-ईरान-पाकिस्तान के बीच बातचीत होगी."
भारत की भूमिका
ग़ौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से ऐसा लगने लगा था कि शायद भारत सरकार की इस परियोजना में रुचि कम होती जा रही है.
यहाँ तक कि ऐसी भी ख़बरें सामने आईं कि पाकिस्तान और ईरान ने भारत को बाहर रखते हुए ही इस परियोजना को अंतिम रूप देने का मन बना लिया है और ज़रूरी तैयारी कर ली हैं.
भारतीय मंत्री की ओर से यह ताज़ा बयान ऐसे समय में आया है जब ऐसी ख़बरें भी आ रही हैं कि ईरान इस समझौते को लेकर जल्दी ही अंतिम निर्णय चाहता है और उधर चीन ने भी इस समझौते से जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई है.
उधर विशेषज्ञ बताते हैं कि अमरीका की मंशा है कि ईरान-पाकिस्तान और भारत के बीच गैस पाइपलाइन के लिए यह समझौता न हो.
परियोजना
ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन परियोजना को पाकिस्तान और भारत की ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इस गैस पाइपलाइन की कुल लंबाई 2600 किलोमीटर की है जिसमें से 760 किलोमीटर पाकिस्तान से होकर गुज़रेगा.
इसकी कुल लागत साढ़े सात अरब अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है.
प्रस्ताव है कि वर्ष 2009-10 तक इस परियोजना को पूरा कर लिया जाए.
परियोजना पूरी हो जाने के बाद इससे 15 करोड़ क्यूबिक मीटर गैस प्रतिदिन मिलेगी जिसमें से एक तिहाई गैस का उपयोग पाकिस्तान करेगा और शेष का उपयोग भारत करेगा.