पाकिस्तान चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा है कि आठ जनवरी को निर्धारित कार्यक्रम के तहत चुनाव करवाना असंभव नज़र आ रहा है.
प्रवक्ता कंवर दिलशाद का कहना था कि अंतिम फ़ैसला राजनीतिक पार्टियों से मशवरे के बाद बुधवार को लिया जाएगा.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और नवाज़ शरीफ़ की पार्टी समेत ज़्यादातर विपक्षी पार्टियाँ चाहती हैं कि चुनाव समय पर ही हों.
27 दिसंबर 2007 को पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की हत्या और उसके बाद हुई हिंसा के कारण चुनावों को लेकर संशय का माहौल बना हुआ है.
'चुनाव समय पर हो'
चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने पत्रकारों को बताया है कि हिंसक प्रदर्शनों के कारण कई हिस्सों में चुनाव करवाने के इंतज़ामों पर असर पड़ा है.
उन्होंने कहा, "हम राजनीतिक पार्टियों को सिंध की स्थिति के बारे में बताएँगे जहाँ हमारे 13 कार्यालय जल गए हैं. पार्टियों को ज़मीनी हक़ीकत बताई जाएगी और फिर विचार-विमर्श कर चुनाव की तारीख़ तय होगी."
लेकिन विपक्षी पार्टियों ने चुनाव में किसी भी तरह की देरी होने की आलोचना की है. पार्टियों का कहना है कि ऐसा मुशर्रफ़ समर्थक सत्ताधारी पार्टी की हार से बचने के लिए किया गया है.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के उप सचिव रज़ा रब्बानी ने बताया, "चुनाव टालने की कोई वजह नहीं है. ऐसा पीएमएल-क्यू के कहने पर किया जा रहा है."
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने कहा है कि चुनाव टालने की किसी भी कोशिश का वो विरोध करेंगे.
सत्ताधारी पीएमएल-क्यू पार्टी ने कहा है कि चुनाव कई हफ़्तों तक टाल दिया जाए क्योंकि अगर वर्तमान हालात में चुनाव हुआ तो उनकी 'विश्वसनीयता' पर सवाल उठेंगे.
सोमवार को अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टॉम केसी ने कहा था कि अमरीका चाहता है कि अगर 'सुरक्षित' तरीके से चुनाव हो सकते हैं तो उसे टाला नहीं जाना चाहिए.