शनिवार, 22 दिसंबर, 2007 को 12:31 GMT तक के समाचार
भारतीय चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर लगे आरोपो के बारे में स्पष्ट कहा है कि 'आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है.'
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ को सही ठहराया था और सोनिया गांधी को गुजरात सरकार के संदर्भ में 'मौत के सौदागर' टिप्पणी पर नोटिस जारी किया गया था.
इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के कई फ़ैसलों का हवाला देते हुए आयोग ने चुनाव प्रचार के दौरान दोनो नेताओं के आचरण पर नाराज़गी जताई है और उन्हें भविष्य में आचार संहिता के पालन के बारे में ज़्यादा सतर्क रहने को कहा है.
'समुदायों के बीच तनाव बढ़ा'
चुनाव आयोग ने दोनो नेताओं को आदर्श आचार संहिता के विभिन्न पहलुओं के बारे में ख़ासा लंबी हिदायत दी है.
सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से आयोग ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की सलाह और उम्मीदें झूठी साबित हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है - "स्पष्ट है कि आपके भाषण के अंशों ने जातियों और समुदायों के बीच तनाव और घृणा को बढ़ाने का काम किया और ये जाति और समुदाय से की गई अपील थी. ये इस मामले पर उठी बहस और सुप्रीम कोर्ट के इसका नोटिस लेने से भी साबित होता है."
चुनाव आयोग का कहना था कि नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण को जिन पहले दिए गए भाषणों के आधार पर सही ठहराने की कोशिश की है, वो स्वीकार्य नहीं है.
प्रशासनिक कर्मचारियों पर प्रहार
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी कहा है कि आदर्श आचार संहिता संबंधी अदालत की सलाह और उम्मीदों को महत्व नहीं दिया गया है.
उनसे कहा गया है कि वर्तमान गुजरात सरकार की कारगुज़ारी पर उनकी टिप्पणी राजनीतिक और प्रशासनिक कर्मचारियों पर एक प्रहार था और इससे चुनाव आयोग नाराज़ है और उम्मीद करता है कि वे भी भविष्य में आदर्श आचार संहिता का पालन करेंगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को भी चुनाव आयोग ने ऐसी ही हिदायत दी है और नाराज़गी जताई है. उनसे कहा गया है कि आतंकवाद के संदर्भ में समुदायों का नाम लेना जाति या समुदाय से अपील करना है और वे ऐसा करना से भविष्य में परहेज़ करें.