रविवार, 09 दिसंबर, 2007 को 10:58 GMT तक के समाचार
चुनाव आयोग ने नरेंद्र मोदी के बारे में कथित टिप्पणी के लिए सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है. इस मामले में चुनाव अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है.
समाचार एजेंसियों के मुताबिक सोनिया गांधी के साथ-साथ कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को भी नोटिस जारी किया गया है.
दोनों नेताओं को मंगलवार तक चुनाव आयोग में अपना जवाब देने को कहा गया है.
हालांकि इस बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल सकी है पर चुनाव आयोग के इस क़दम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर चुनाव आयोग की ओर से उन्हें नोटिस मिलता है तो उसका जवाब आयोग को दिया जाएगा.
उन्होंने इस बात को निराधार बताया कि सोनिया गांधी ने पिछले दिनों एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री को मौत का सौदागर कहा था.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि सोनिया का ऐसा कहने के पीछे आशय केवल नरेंद्र मोदी के बारे में नहीं था बल्कि उनका कहना था कि कुछ लोग मौत के सौदागर बने हुए हैं.
इससे पहले चुनाव आयोग ने सोहराबुद्दीन फ़र्जी मुठभेड़ मामले में नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी के लिए नरेंद्र मोदी को भी नोटिस जारी किया था.
मोदी बनाम सोनिया
इस नोटिस के जवाब में नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयोग को शनिवार को अपना जवाब भेजा जिसमें इस बात से साफ़ इनकार किया गया था कि उनकी ओर से सोहराबुद्दीन मामले में कोई टिप्पणी की गई थी.
मोदी ने अपने जवाब में कहा था कि चुनाव आयोग की नोटिस में जिन विवादित वाक्यों का हवाला दिया गया है, वे दरअसल उस भाषण में हैं ही नहीं और इन्हें लिखनेवाले ने अपनी ओर से जोड़ दिया है.
साथ ही नरेंद्र मोदी ने यह मांग भी की थी कि सोनिया गांधी और दिग्विजय सिंह की ओर से उनके बारे में की गई टिप्पणी को चुनाव आयोग नज़रअंदाज़ न करे और सभी के साथ एक समानता वाला बर्ताव करे.
इसी के बाद शनिवार को देर शाम चुनाव आयोग ने राज्य के चुनाव अधिकारी से सोनिया के कथित बयान वाले भाषण की रिपोर्ट तलब की है.
हालांकि अभी तक चुनाव आयोग की ओर से मोदी के जवाब पर कोई प्रतिक्रिया या कार्यवाही नहीं की गई है.
भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चुनाव आयोग के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
रविवार को राज्य में प्रथम चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार का आख़िरी दिन है और इससे पहले कोई भी पार्टी किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती है.
जानकारों का मानना है कि आरोप-प्रत्यारोप के इस क्रम में उन मुद्दों को प्रमुखता से जगह नहीं मिल पा रही है जो आम आदमी के लिए ज़्यादा अहम हैं.