बुधवार, 07 नवंबर, 2007 को 10:40 GMT तक के समाचार
बेनज़ीर ने इससे पहले देश में लागू आपातकाल को ख़त्म कराने के मकसद से विपक्ष के अन्य नेताओं से बातचीत की है.
उन्होंने कहा कि उनकी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) बुधवार को बुलाए गए संसद सत्र का बहिष्कार करेगी.
बेनज़ीर भुट्टो और राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के बीच हाल में हुए एक समझौते के तहत बेनज़ीर भुट्टो पाकिस्तान वापस लौटी हैं.
पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टियों के लोग फ़िलहाल वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करने नहीं उतरे हैं, वहीं बेनज़ीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) शुक्रवार को रावलपिंडी में रैली करने जा रही है.
उधर सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग के एक नेता ने कहा है कि संभवत: इमरजेंसी कुछ ही हफ़्ते चलेगी.
'रैली हुई तो कार्रवाई होगी'
बेनज़ीर भुट्टो इस्लामाबाद में विपक्षी नेताओं से बात कर रही हैं. कई नेताओं को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है.
धार्मिक पार्टियों के एक गठबंधन यूनाइटेड काउंसिल ऑफ़ एक्शन ने बेनज़ीर के साथ बातचीत में भाग लिया है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) ने इस बैठक में भाग नहीं लिया.
बेनज़ीर की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अब तक प्रदर्शन करने सड़कों पर नहीं उतरी है लेकिन पीपीपी की शुक्रवार को होने वाली रैली की योजना पर अड़ा हुआ है.
बीबीसी संवाददाता शोएब हसन का कहना है कि पीपीपी का मक़सद राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ पर दबाव बढ़ाना है ताकि वे पीपीपी की दो मुख्य माँगें मान लें. ये माँगे हैं - वे सेनाध्यक्ष का पद छोड़ें और चुनाव कराएँ.
पीपीपी शुक्रवार को रावलपिंडी में होने वाली रैली की तैयारियाँ कर रही है, चाहे इस तरह की रैलियों पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
एक वरिष्ठ पीपीपी नेता बाबर ऐवान ने कहा, "हम इस सरकारी प्रतिबंध की निंदा करते हैं और स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारे समर्थक और नेता रैली के लिए पहुँचेंगे."
उधर रावलपिंडी के मेयर जावेद अख़लास का कहना था, "हम सुनिश्चित करेंगे कि रैलियों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन न हो और यदि ऐसा होता है तो हम कार्रवाई करेंगे."
'इमरजेंसी कुछ ही हफ़्ते'
उधर सत्ताधारी पाकिस्तान मुसलिम लीग पार्टी के नेता चौधरी शुजात हुसैन ने कहा है कि संभव है कि इमरजेंसी केवल दो या तीन हफ़्ते ही चले. लेकिन बीबीसी संवाददाता का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी की ओर से विरोधाभासी बयान आ रहे हैं.
बीबीसी संवाददाता बारबरा प्लेट का कहना है कि ऐसा लगता है कि पार्टी में कुछ सदस्य चाहते हैं कि संसदीय चुनाव पूर्वनियोजित कार्यक्रम के तहत जनवरी में हों लेकिन अन्य सदस्य चाहते हैं कि चुनावों को स्थगित किया जाए.
विपक्षी दलों ने फ़िलहाल सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों में भाग नहीं लिया है. लेकिन प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुलिस गिरफ़्तार कर चुकी है और अब विरोध प्रदर्शन ढीले पड़ते नज़र आ रहे हैं.