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नेग्रोपॉन्टे ने बेनज़ीर से बात की
 
जॉन नेग्रोपॉन्टे
नेग्रोपॉन्टे की प्राथमिकता में बेनज़ीर और जनरल मुशर्रफ़ के संबंध बहाल करना भी होगा
अमरीकी विदेश उपमंत्री जॉन नेग्रोपॉन्टे पाकिस्तान पहुँच गए हैं.

वे पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ से मौजूदा राजनीतिक संकट पर चर्चा करने वाले हैं.

उनके पहुँचने से पहले जनरल मुशर्रफ़ ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो सहित कई विपक्षी नेताओं की नज़रबंदी हटा ली है.

अमरीका के वरिष्ठ राजनयिक नेग्रोपॉन्टे ने बेनज़ीर भुट्टो से फ़ोन पर चर्चा की है.

अमरीकी विदेश मंत्रालय के अनुसार बेनज़ीर भुट्टो ने इमरजेंसी हटाने की अपनी माँग दोहराई है.

हालांकि जनरल मुशर्रफ़ ने चुनाव करवाने की घोषणा कर दी है लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि इमरजेंसी हटाए बिना चुनाव का कोई अर्थ नहीं है.

अमरीका की चिंता

अमरीका पाकिस्तान के राजनीतिक संकट को लेकर चिंतित है.

अमरीका चाहता है कि वहाँ कोई स्थाई राजनीतिक हल निकले जिससे कि 'आतंक की लड़ाई' में उसका अहम सहयोगी लगातार उसका सहयोग कर सके.

इसलिए माना जा रहा है कि जॉन नेग्रोपॉन्टे जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को इमरजेंसी ख़त्म करने का कड़ा संदेश देने वाले हैं.

परवेज़ मुशर्रफ़
मुशर्रफ़ अब तक इमरजेंसी हटाने को तैयार नहीं हैं

हालांकि अब तक परवेज़ मुशर्रफ़ इमरजेंसी हटाने से इनकार करते रहे हैं और उन्होंने इसके बिना ही चुनाव करवाने की घोषणा कर दी है.

शुक्रवार को उन्होंने कार्यवाहक सरकार की भी नियुक्ति कर दी है जिसमें उनके समर्थकों की भरमार है.

उधर बेनज़ीर भुट्टो ने इस कार्यवाहक सरकार को ख़ारिज कर दिया है.

इस सरकार के बदले उन्होंने एक राष्ट्रीय एकता की सरकार स्थापित करने का सुझाव दिया है जिसकी निगरानी में चुनाव हों.

अमरीका चाहता रहा है कि बेनज़ीर भुट्टो और परवेज़ मुशर्रफ़ के बीच सत्ता में साझेदारी का कोई फ़ार्मूला निकल सके.

वैसे बेनज़ीर भुट्टो की पाकिस्तान वापसी ऐसी साझेदारी की सहमति के बाद ही हुई थी लेकिन अब वह समझ ख़त्म हो गई दिखती है.

जॉन नेग्रोपॉन्टे के सामने एक अहम चुनौती बेनज़ीर भुट्टो और जनरल मुशर्रफ़ के बीच संबंध बहाल करने की भी होगी.

अभी यह कहना कठिन है कि नेग्रोपॉन्टे को इसमें कितनी सफलता मिलेगी.

बीबीसी संवाददाता बारबरा प्लेट का कहना है कि परवेज़ मुशर्रफ़ पर अंतरराष्ट्रीय दबाव तो बढ़ा है लेकिन उनके साथ पाकिस्तान की सेना का ज़बरदस्त समर्थन है.

इस समर्थन के चलते एकजुट होकर भी विपक्ष उनसे सत्ता छीनने का जुगत नहीं लगा पा रहा है.

 
 
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