BBCHindi.com
अँग्रेज़ी- दक्षिण एशिया
उर्दू
बंगाली
नेपाली
तमिल
 
मंगलवार, 13 नवंबर, 2007 को 14:22 GMT तक के समाचार
 
मित्र को भेजें कहानी छापें
'कार्बन उत्सर्जन:अमीर ज़्यादा दोषी'
 
कार्बन उत्सर्जन
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के परिणाम पूरी दुनिया में दिखाई दे रहे हैं
भारत की आबादी में महज़ एक फ़ीसदी हिस्सेदारी रखने वाले अमीर, ग़रीबों के मुक़ाबले लगभग साढे़ चार गुना ख़तरनाक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं.

यह कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार है. पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में ऐसा कहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 38 फ़ीसदी ग़रीबों के मुक़ाबले भले ही अमीरों की संख्या एक प्रतिशत ही है, लेकिन पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करने में अमीरों का योगदान अधिक है और यह ग़रीबों की तुलना में साढ़े चार गुना है.

यह रिपोर्ट ऐसे मौक़े पर सामने आई है जब बाली में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन परिषद के सम्मेलन में एक महीने से भी कम समय रह गया है.

अमीर क़सूरवार

भारत सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करने वाले देशों में छठे स्थान पर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन की दृष्टि से वह विकसित और दूसरे विकासशील देशों से काफ़ी पीछे है.

भारत में ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक जी अनंतपदमनाभन कहते हैं, "हालाँकि भारत सरकार अब भी प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के निम्नतम स्तर पर होने का तर्क दे रही है, लेकिन हकीकत ये है कि 15 करोड़ से अधिक भारतीय निर्धारित सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जित कर रहे हैं."

 हालाँकि भारत सरकार अब भी प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के निम्नतम स्तर पर होने का तर्क दे रही है, लेकिन हकीकत ये है कि 15 करोड़ से अधिक भारतीय निर्धारित सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जित कर रहे हैं
 
कार्यकारी निदेशक, ग्रीनपीस

उनका कहना है, "कारों से उत्सर्जित होने वाली गैसों को ध्यान में रखते हुए उनकी एफ़ीशिएंसी के मानक तय होने चाहिए. इससे ग़रीबों का कोई लेना-देना नहीं है. कम दूरी के लिए हवाई यातायात से बचना चाहिए और ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन पर टैक्स लगाना चाहिए."

ग्रीनपीस ने ये सर्वे देश के चार महानगरों, मध्यम और छोटे शहरों में और ग्रामीण इलाकों में सात अलग-अलग आय वर्गों के लगभग 819 परिवारों के बीच किया.

रिपोर्ट के अनुसार तीस हज़ार रुपए से अधिक की आमदनी वाले परिवारों में औसत कार्बन उत्सर्जन 1494 किलोग्राम था, जो कि लगभग 3000 रुपए की आमदनी वाले परिवार (335 किलोग्राम) के मुक़ाबले लगभग साढ़े चार गुना अधिक है.

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 8000 रुपए प्रतिमाह की आमदनी वाली आबादी का हिस्सा लगभग 14 प्रतिशत है और कार्बन उत्सर्जन में इसकी भागीदारी लगभग 24 फ़ीसदी है.

कार्बन उगलती बिजली

अनंत का कहना है कि भारत में कार्बन उत्सर्जन की प्रमुख वजह इसके बिजली उत्पादन का मुख्यत कोयले पर आधारित होना भी है.

यूरोपीय संघ के मुक़ाबले भारत में बिजली उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन की दर दोगुने से भी अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग में ग़रीब जनता का योगदान सबसे कम है, लेकिन कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन की सबसे ज़्यादा मार उसे झेलनी पड़ रही है.

रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि विभिन्न आय वर्गों के लिए कार्बन क्रेडिट या कार्बन टैक्स की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि ग़रीबों को जलवायु परिवर्तन से होने दुष्प्रभावों से बचाया जा सके.

 
 
इससे जुड़ी ख़बरें
सुर्ख़ियो में
 
 
मित्र को भेजें कहानी छापें
 
  मौसम |हम कौन हैं | हमारा पता | गोपनीयता | मदद चाहिए
 
BBC Copyright Logo ^^ वापस ऊपर चलें
 
  पहला पन्ना | भारत और पड़ोस | खेल की दुनिया | मनोरंजन एक्सप्रेस | आपकी राय | कुछ और जानिए
 
  BBC News >> | BBC Sport >> | BBC Weather >> | BBC World Service >> | BBC Languages >>