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बुधवार, 17 अक्तूबर, 2007 को 20:19 GMT तक के समाचार

'सार्थक सहमति बनाने की कोशिशें जारी'

भारत-अमरीका परमाणु समझौते के ख़त्म हो जाने की अटकलों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस पर 'सार्थक सहमति' बनाने की कोशिशें अभी भी जारी हैं.

दो दिन पहले भारतीय प्रधानमंत्री ने अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को फ़ोन पर यह सूचना दे दी थी कि भारत को परमाणु समझौते पर आगे बढ़ने में कुछ परेशानियाँ हैं.

इसके बाद से ये अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि यह समझौता अब ख़त्म हो गया है या फिर मनमोहन सिंह वामपंथी दलों के रवैये से नाराज़ हैं.

लेकिन बुधवार को इंडिया-ब्राज़ील-साउथ अफ़्रीका (आईबीएसए) सम्मेलन में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने कहा कि समझौते पर सार्थक सहमति बनाने की कोशिशें अभी जारी हैं.

प्रधानमंत्री के साथ गईं वरिष्ठ पत्रकार सीमा चिश्ती का कहना है कि प्रधानमंत्री ने बुधवार को जब पत्रकारवार्ता में 'सार्थक सहमति' की बात कही तो वे स्वाभाविक और सहज नज़र आ रहे थे.

उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने अमरीका के साथ हुए परमाणु समझौते का विरोध किया था और कहा था कि यदि सरकार इस पर आगे बढ़ती है तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे.

वामपंथी दलों को मना पाने में असफल रहने के बाद आख़िर मनमोहन सिंह ने कहा था कि सरकार इस समझौते पर फ़िलहाल आगे नहीं बढ़ रही है.

उल्लेखनीय है कि अमरीका ने भी ऐसे संकेत पहले ही दे दिए हैं कि समझौता ख़त्म नहीं हुआ है और वह उम्मीद कर रहा है कि समझौते पर 2008 तक अमल हो जाएगा.

परमाणु ऊर्जा

उधर इंडिया-ब्राज़ील-साउथ अफ़्रीका (आईबीएसए) सम्मेलन में तीनों देशों के बीच सहमति बनी है कि तीनों देश परमाणु ऊर्जा को लेकर एक दूसरे का सहयोग करेंगे.

तीनों देशों ने असैनिक परमाणु कार्यक्रम के लिए लगातार काम करने के लिए समझौता भी करेंगे.

तीनों देशों ने कहा है कि यह समझौता अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के नियमों के तहत ही होगा और इसमें उन्हीं देशों को शामिल किया जाएगा जो परमाणु अप्रसार के लिए प्रतिबद्ध हैं.

आईबीएसए के साझा घोषणा पत्र में परमाणु ऊर्जा को लेकर कहा गया है कि ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक ज़रुरतों को देखते हुए सुरक्षित, टिकाऊ और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा की ज़रुरत है.