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'परमाणु समझौते पर रास्ते बंद नहीं हुए' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत-अमरीका परमाणु समझौते में कुछ दिक्कतों को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि रास्ते बंद नहीं हुए हैं. उनका कहना था कि परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं. जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल के साथ संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में मनमोहन सिंह ने कहा,'' हम इस बात के लिए वचनबद्ध हैं कि ये प्रक्रिया आगे बढ़े.'' प्रधानमंत्री का कहना था कि इस मसले पर राष्ट्रीय सहमति बनाने की कोशिश चल रही है. गठबंधन सरकार की सीमाओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा,'' हम लोकतांत्रित देश हैं और लोकतंत्र में जो दल आपका समर्थन कर रहे हैं, उन्हें साथ लेकर चलना होता है.'' सरकार की सीमाएँ मनमोहन सिंह ने कहा,'' मैं इस बारे में कोई अटकलें नहीं लगाना चाहता कि कुछ देर होने के क्या परिणाम होंगे.'' प्रधानमंत्री स्पष्ट रूप से कहा,'' घरेलू स्तर पर कुछ दिक्कतें हैं और हम उन्हें सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन रास्ते पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं.'' उन्होंने परमाणु समझौते को 'सम्मानजनक' बताया और कहा कि यह न केवल भारत बल्कि परमाणु अप्रसार की दृष्टि से दुनिया के हित में है. ये पूछे जाने पर कि सुरक्षा परिषद के विस्तार पर जर्मन चांसलर के साथ बातचीत हुई तो मनमोहन सिंह का कहना था कि बातचीत 'संतोषजनक' रही और सुरक्षा परिषद के सुधार के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई. | इससे जुड़ी ख़बरें 'विकास के दुश्मन हैं क़रार के विरोधी'07 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस विवादों के बीच अल बारादई की यात्रा09 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस बयानों में नरमी से वामपंथी उत्साहित12 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस क्या यह मनमोहन-सोनिया की हार है?13 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस क्या है परमाणु समझौते का भविष्य?23 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस 'समझौते पर 2008 तक अमल हो जाए'16 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस परमाणु क़रार पर अहम बैठक21 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस परमाणु क़रार पर बातचीत की नई तारीख़22 अक्तूबर, 2007 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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