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पुलिस अधिकारियों की गिरफ़्तारी पर रोक | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है जिनपर मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान हुई पुलिस भर्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप है. ग़ौरतलब है कि मायावती सरकार ने मुलायम सिंह सरकार के दौरान हुई क़रीब 22 हज़ार पुलिसकर्मियों की भर्ती की जाँच के लिए एक समिति बिठाई थी जिसकी जाँच के बाद लगभग दस हज़ार पुलिसकर्मियों को बर्ख़ास्त किया जा चुका है. राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शैलजाकांत मिश्रा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अनेक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी भ्रष्टाचार में दोषी बताया है जिसके बाद लगभग 12 आईपीएस अधिकारी सेवा से निलंबित किए जा चुके हैं और उनके ख़िलाफ़ जाँच चल रही है. राज्य सरकार ने पुलिस भर्ती में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ बरतने के लिए 18 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले भी दर्ज किए हैं लेकिन इन अधिकारियों ने राज्य सरकार के आदेश के ख़िलाफ़ अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है. इन अधिकारियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर याचिका में दलील दी है कि उनके ख़िलाफ़ सिर्फ़ इस भ्रष्टाचार की संभावना के आधार पर आपराधिक मामले दर्ज नहीं किए जा सकते. इन अधिकारियों ने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि किसी भी तरह के आपराधिक मामले दर्ज किए जाने से पहले विभागीय जाँच होनी चाहिए थे, उनका यह भी कहना है कि सरकार ने उन्हें अपनी बात कहने का पूरा मौक़ा नहीं दिया है जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है. निलंबित अधिकारियों में से एक बीबी बक्सी का कहना था, "हमने नियमों के अनुसार पुलिस भर्ती का अपना काम किया और हमारे ख़िलाफ़ कार्रवाई सरकार की ज़्यादती है." बीबी बक्सी का कहना था कि भर्ती बोर्ड के चेयरमैन के रूप में वह अभ्यर्थियों की स्वास्थ्य जाँच और प्रमाण-पत्रों की सत्यापन जाँच के लिए ज़िम्मेदार नहीं थे. यह काम एक अन्य समिति ने किया था. इलाबाहाद हाई कोर्ट ने इन पुलिस अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई पर राज्य सरकार को जवाब दाख़िल करने के लिए दस दिन का समय दिया है और इस बीच अदालत ने इन अधिकारियों की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है. बर्ख़ास्त किए गए दस हज़ार पुलिसकर्मियों में से लगभग एक हज़ार ने भी अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है और दलील दी है कि उनकी बर्ख़ास्तगी राजनीति से प्रेरित है. न्यायालय ने राज्य सरकार को इन बर्ख़ास्तगियों से ख़ाली हुए पदों पर नई भर्ती करने से भी रोक दिया है. | इससे जुड़ी ख़बरें इलाहाबाद कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती 16 सितंबर, 2007 | भारत और पड़ोस हज़ारों उर्दू शिक्षकों की नियुक्तियाँ रद्द14 सितंबर, 2007 | भारत और पड़ोस फिर शुरू हुआ ब्राह्मण राजनीति का खेल13 सितंबर, 2007 | भारत और पड़ोस साढ़े छह हज़ार पुलिसकर्मी बर्ख़ास्त 11 सितंबर, 2007 | भारत और पड़ोस उत्तर प्रदेश में छात्र संघ चुनावों पर प्रतिबंध08 सितंबर, 2007 | भारत और पड़ोस नोएडा-बलिया एक्सप्रेस-वे05 सितंबर, 2007 | भारत और पड़ोस इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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