रविवार, 05 अगस्त, 2007 को 11:29 GMT तक के समाचार
ताज कॉरिडोर मामले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाए जाने को राज्यपाल ने मंज़ूरी नही दी थी. अब राज्यपाल के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में ये आवेदन एडवोकेट अजय अग्रवाल ने किया है. अपने आवेदन में अजय अग्रवाल ने तर्क दिया है कि राज्यपाल टीवी राजेश्वर का आदेश अनुमान पर आधारित है.
यह मायावती और उनके कैबिनेट सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को दोषमुक्त करने की कोशिश है. अपने आवेदन में अजय अग्रवाल ने कहा है, "मायवती और उनके सहयोगी के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने को मंज़ूरी ना देना मामले की गंभीरता को नज़रअंदाज़ करना है."
उन्होंने अपने आवेदन में ये भी कहा है कि राज्यपाल ने उन सबूतों पर भरोसा नहीं किया जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वे मायावाती के ख़िलाफ़ जाँच करें.
तर्क
अजय अग्रवाल का ये भी तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक़ इस मामले में मुक़दमा चलाने के लिए राज्यपाल की अनुमति की आवश्यकता नहीं है.
इस साल तीन जून को राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने मायावती के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने को मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं हैं.
मायावती जब पिछली बार सत्ता में आईं थीं तब ताज महल के पास एक व्यावसायिक परिसर बनाए जाने की कोशिश की गई थी जिसपर पुरातत्वविदों और विशेषज्ञों ने आपत्ति जताई थी.
ताज हेरिटेज कॉरिडोर नामक इस परियोजना पर 175 करोड़ रूपए की लागत आनी थी जिसमें से 17 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए थे.
इसके तहत ताज महल को आगरा के किले और इस क्षेत्र के अन्य स्मारकों से जोड़ा जाना था. साथ ही, ताज महल के पास संरक्षित परिसर में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाए जाने की भी योजना थी.
जब यह परियोजना शुरु हुई तब मायावती पर आरोप लगाए गए थे कि ताज कॉरिडोर परियोजना में ग़ैर-ज़रूरी तेज़ी दिखाई गई. इस मामले के अभियुक्तों में मायावती की पूर्ववर्ती सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पर्यावरण सचिव आरके शर्मा और तीन अन्य अधिकारी शामिल हैं.