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'समझौता कायम पर चिंता दूर करेंगे' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
परमाणु समझौते पर कांग्रेस 'कोर ग्रुप' और उनकी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के घटक दलों के साथ बैठक ख़त्म हो गई है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार केंद्र सरकार ने वाम दलों से कहा है कि परमाणु समझौते पर पीछे हटने का सवाल नहीं है लेकिन उनकी चिंताओं को दूर किया जा सकता है. अमरीका के साथ परमाणु समझौते को जिस तरह केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वाम दलों ने ख़ारिज कर दिया था, उससे उपजे हालात पर रविवार शाम पहले कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की बैठक (कोर ग्रुप) हुई और उसके बाद कांग्रेसी नेताओं ने यूपीए के अन्य घटक दलों के साथ बैठक की. दोनों बैठकें ख़त्म होने के बाद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, "हम परमाणु समझौते पर वाम दलों की चिंताएँ दूर करने में सफल होंगे." समाचार एजेंसियों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने वाम दलों और यूपीए सरकार के बीच उत्पन्न तनाव को दूर करने के लिए एक 'विशेषज्ञ समिति' का गठन करने की सिफारिश की है जो परमाणु समझौते पर वाम दलों की चिंताओं पर अध्ययन करेगी. कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल, विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री शिवराज पाटिल और कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे. इस बैठक से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. शनिवार को वामदलों ने यह दोबारा साफ़ कर दिया था कि अमरीका के साथ भारत के परमाणु समझौते के मुद्दे पर अपनी आपत्तियों से वे पीछे नहीं हटे हैं. समाधान की कोशिश कांग्रेस की ओर से प्रणव मुखर्जी लगातार वाम दलों और यूपीए के घटक दलों से संपर्क बनाए हुए हैं.
कांग्रेस के साथ-साथ सत्तारूढ़ यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी समझौते के अध्ययन के लिए प्रस्तावित विशेषज्ञ समिति के बारे में सहयोगी दलों से ख़ुद बात कर सकती हैं. समाचार एजेंसी यूएनआई के मुताबिक इस विशेषज्ञ समिति में वाम दलों के प्रतिनिधियों के अलावा परमाणु विशेषज्ञों को शामिल किया जा सकता है. बैठकों से पहले प्रणव मुखर्जी ने पत्रकारों से कहा था, "सबों का सोचना है कि मामला हल हो सकता है. लेकिन अभी यह थोड़ा मुश्किल है. आगे देखिए, क्या होता है." इस बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव एबी बर्धन ने अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वाम दल अपने रूख़ से पीछे नहीं हटेंगे. उनका कहना था, "सरकारें आती हैं जाती हैं लेकिन देश हित से समझौता नहीं किया जा सकता." उधर तीसरे मोर्चे की नेता और एआईएडीएमके की प्रमुख जयललिता ने प्रधानमंत्री पर तीखा प्रहार करते उनके इस्तीफ़े माँग की और कहा, "देश की हालत अब और ख़राब मत कीजिए. आपकी सरकार में हर बीते दिन भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता की परीक्षा ली जा रही है." आशंकाएं शनिवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से दो दिवसीय बैठक के बाद कड़ाई से बयान जारी किया गया था कि पार्टी इस समझौते के पक्ष में नहीं है. इस बयान के सामने आने के बाद से जिस तरह का राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल रहा है, उससे स्पष्ट है कि यूपीए इसे गंभीरता से ले रहा है. वाम नेताओं की ओर से बयान आने के कुछ देर बाद ही कांग्रेस ने कोर ग्रुप की बैठक बुलाई जिसमें कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए पर पूरी बैठक के बाद एक भी बयान जारी नहीं किया गया. हालांकि कई प्रेक्षकों का मानना है कि इस स्थिति के बाद भी सरकार पर संकट पैदा होता नज़र नहीं आ रहा है. हिंदी साप्ताहिक पत्रिका आउटलुक के संपादक आलोक मेहता इस बारे में कहते हैं, "मनमोहन सिंह इस दिशा में कूटनीतिक तरीका अपनाते नज़र आ रहे हैं. वो चाहते हैं कि परमाणु एजेंसी से बातचीत के बहाने मामला टलता रहे, वामपंथी शांत रहें और वे आगे बढ़ते रहें." वामपंथी दल भी यह कहते रहे हैं कि उनकी मंशा सरकार को गिराने की कतई नहीं है पर जिस तरह का रुख वामदलों की ओर से अपनाया गया है उससे इतना तो साफ है कि उनका अपने बयान से पीछे हटने का विकल्प बचा नहीं है. यानी अब यूपीए को ही यह तय करना है कि परमाणु समझौते के मसले पर वो किस सीमा तक वामपंथियों के अनुरूप जा सकते हैं. | इससे जुड़ी ख़बरें वामदलों ने गेंद यूपीए के पाले में डाली18 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस परमाणु समझौते का नफ़ा-नुकसान18 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस परमाणु समझौता मंज़ूर नहीं:वाम दल18 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस अमरीकी बयान पर संसद में हंगामा16 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस परमाणु समझौते में नया पेंच16 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस 'परमाणु परीक्षण करने का पूरा अधिकार'16 अगस्त, 2007 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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