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'समर्थन वापस लेना चाहते हैं, तो ले लें' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमरीका के साथ परमाणु समझौते पर वामपंथी दलों के रवैये से नाखुशी जताते हुए कहा है कि 'समझौते में बदलाव संभव नहीं है'. उन्होंने कोलकाता के अंग्रेज़ी दैनिक 'द टेलीग्राफ़' को दिए इंटरव्यू में कहा, "मैंने उनसे कहा कि समझौते पर फिर से बातचीत संभव नहीं है. यह एक सम्मानजक समझौता है, कैबिनेट ने भी इसे मंजूरी दे दी है. हम इस पर वापस नहीं लौट सकते. मैंने उनसे कहा कि वे जो चाहते हैं करें. अगर वे समर्थन वापस लेना चाहते हैं तो लें लें." प्रधानमंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ने अपनी ओर से जारी बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार, दोनों को समझना चाहिए कि संसद में बहुमत सदस्यों को यह समझौता स्वीकार नहीं होगा. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्युरो सदस्य सीताराम येचुरी ने हैदराबाद में पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री अपना रुख़ बयाँ कर रहे थे लेकिन वामपंथी दलों का भी इस मामले पर अपना नज़रिया है. येचुरी का कहना था, "इसमें दो राय नहीं कि परमाणु समझौते पर हमारे और सरकार के विचार एक नहीं हैं. हम इस पर संसद में चर्चा करेंगे." ग़ौरतलब है कि पिछले हफ़्ते मंगलवार को परमाणु समझौते के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रकाश कारत और सीपीआई नेता एबी बर्धन से बात की थी. इस मुलाक़ात के कुछ ही घंटों बाद वाम दलों ने कहा था कि उन्हें परमाणु समझौता स्वीकार नहीं है. नाराज़गी प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) और वाम मोर्चे के रिश्ते एक तरफ़ से तय नहीं किए जा सकते और वामपंथी दलों के तल्ख़ तेवर पर 'वह क्रोधित नहीं हैं लेकिन व्यथित हैं'. उनका कहना था, "मैं क्रोधित नहीं होता हूँ. मैं कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता. वे हमारे सहयोगी हैं और हमें उनके साथ काम करना है. लेकिन उन्हें भी हमारे साथ काम करना सीखना होगा." परमाणु समझौते पर प्रधानमंत्री का कहना था, "यह एक सम्मानजनक समझौता है जो भारत के विकास के विकल्पों को बढ़ाता है, ख़ास कर ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के मामले में और किसी भी तरह से हमारे परमाणु हथियार कार्यक्रमों पर असर नहीं डालता है." यह पूछे जाने पर कि फिर क्यों वामपंथी दल समझौते का विरोध कर रहे हैं, उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता.. लगता है उन्हें अमरीका से दिक्कत है." प्रतिक्रिया वामपंथियों और मनमोहन सिंह के बीच हुई इस तकरार पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इसे 'शैडो बॉक्सिंग' कहा है. भाजपा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा, "दोनों 'शैडो बॉक्सिंग' कर रहे हैं. वामपंथी सरकार कभी नहीं गिराएंगे. भारत के सामरिक हितों की चर्चा करने की उनकी बातें एक ढोंग है. हमें चिंता इस बात की है कि आज भारत की विदेश नीति 'न्यूक्लिअर सप्लायर्स ग्रुप' यानी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के इर्द गिर्द घूमती है. ऐसे में हमें प्रधानमंत्री का ये बयान चिंतित करता है." अटकलें लगाई जा रही थीं कि दोनों तरफ़ से इस तीखी बयानबाजी के बाद केंद्र सरकार की स्थिरता ख़तरे में पड़ सकती है. लेकिन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रिय रंजन दासमुंशी के अनुसार वामपंथियों पार्टियों के समर्थन से चल रही केंद्र सरकार को फिलहाल कोई ख़तरा नहीं है. उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार को कोई भी ख़तरा नहीं है. सरकार अपना काम करती रहेगी और तमाम मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे. मैं अभी तक साक्षात्कार नहीं पढ़ा है. अगर प्रधानमंत्री को कुछ कहना होता तो वह सभी पत्रकारों से बात करते, किसी ख़ास अख़बार से नहीं." |
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