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मंगलवार, 05 जून, 2007 को 10:13 GMT तक के समाचार
 
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नक्सलियों ने बिजलीकर्मियों को मारा
 

 
 
आत्मसमर्पण करते नक्सली
आत्मसमर्पण की कुछ घटनाओं के बाद भी नक्सली हिंसा ज़ारी है
छत्तीसगढ के नारायणपुर ज़िले में नक्सलियों के एक हमले में तीन बिजलीकर्मी मारे गए हैं और पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले चार दिन से छत्तीसगढ़ के पांच ज़िले अंधकार की चपेट में है क्योंकि नक्सलियों ने राज्य में बिजली के तीन हाई ट्रांसमिशन टावर उड़ा दिए हैं.

आज सुबह इन ट्रांसमिशन टावरों को ठीक करने के लिए बिजलीकर्मी जब एक गाड़ी से जा रहे थे तो काप्सी में नक्सलियों ने इस गाड़ी को बारुदी सुरंग से उड़ा दिया.

दक्षिणी छत्तीसगढ़ में आने वाले पांच ज़िलों में दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर में पूरी तरह से बिजली की आपूर्ति ठप्प पड़ गई है.

वहीं दो अन्य ज़िलों जगदलपुर और कांकेर में बिजली आपूर्ति आंशिक रूप से बाधित हुई है.

प्रशासन के मुताबिक विद्रोहियों ने शुक्रवार की रात नारायणपुर ज़िले के झाराघाटी में स्थित तीन हाईपावर बिजली ट्रांसमिशन टावर को विस्फोट से उड़ा दिया था.

 टावरों का दुबारा बहाल करने के लिए 15 इंजीनियरों समेत बिजली विभाग के क़रीब दो सौ कर्मचारियों की एक टीम घटनास्थल पर मौज़ूद है और मरम्मत का काम चल रहा है. लेकिन सिस्टम के पूरी तरह काम शुरू करने में आठ से दस दिन और लग सकते हैं
 
बीसी सिंह, बिजली विभाग में अधिकारी

झाराघाटी में बारूद से उड़ाए गए टावर घने जंगलों में मौज़ूद एक पहाड़ी पर स्थित थे जहाँ पहुँचने के लिए कोई सड़क भी नहीं है.

बिजली निभाग के अधिकारी बीसी सिंह ने कहा,"टावरों का दुबारा बहाल करने के लिए 15 इंजीनियरों समेत बिजली विभाग के क़रीब दो सौ कर्मचारियों की एक टीम घटनास्थल पर मौज़ूद है और मरम्मत का काम चल रहा है. लेकिन सिस्टम के पूरी तरह काम शुरू करने में आठ से दस दिन और लग सकते हैं."

उन्होंने बताया कि सड़क की ग़ैर मौज़ूदगी में सारा ज़रूरी साज़-सामान पैदल ही घटनास्थल पर ले जाना पड़ रहा है. जिससे टावरों को फिर से स्थापित करने में देरी हो रही है.

अस्त-व्यस्त जन-जीवन

पूरे बस्तर क्षेत्र में पिछले लगभग चार दिनों से आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

जल आपूर्ति व्यवस्था पर भी ठप्प पड़ गई है. भीषण गर्मी की वजह से पानी की भारी मांग हो रही है.

अस्पतालों में ऑप्रेशन लगभग बंद है और बैंक तथा डाकघरों में काम तकरीबन ठप्प पड़ा है.

दंतेवाड़ा ज़िला प्रशासन ने शहरी इलाक़ों में पानी बाँटना शुरू कर दिया है.

हर आदमी को एक दिन के लिए चार लीटर पानी मुहैया कराया जा रहा है.

ज़िले में ही स्थित नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन(एनएमडीसी) के किरंदूल और बछेली खदानों में काम करने वाले 4500 कामगारों को भी पानी की भी बड़ी कमी का सामना करना पड़ रहा है.

एनएमडीसी की खदानों में शुक्रवार देर रात से काम बिल्कुल रुक गया है.

कंपनी प्रवक्ता पी जयप्रकाश ने हैदराबाद से टेलीफोन पर बीबीसी को बताया कि काम रुकने की वजह से एनएमडीसी को पिछले चार दिनों में ही क़रीब 50-70 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

बिजली आपूर्ति में बाधा की वजह से किरंदूल और विशाखापटनम के बीच ट्रेनों की आवाजाही पर भी असर हुआ है.

 
 
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