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सांसद तालेबान से बातचीत के पक्ष में | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अफ़ग़ानिस्तान की सीनेट ने सरकार और स्थानीय तालेबान चरमपंथियों के बीच सीधी बातचीत किए जाने के पक्ष में एक विधेयक पारित किया है. भारी बहुमत से पारित किए गए इस विधेयक में अफ़ग़ानिस्तान के तालेबान चरमपंथियों और अल क़ायदा के साथ-साथ पाकिस्तानी तालेबान लड़ाकों के बीच फ़र्क करने की ज़रूरत जताई गई है. इस विधेयक में ये भी कहा गया है कि नैटो के नेतृत्व वाली सेनाओं को स्थानीय चरमपंथियों के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान बंद कर देने चाहिए. सीनेट में इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद ये अब संसद के निचले संदन को भेजा जाएगा और यदि निचला सदन भी इसे पारित करता है तब ये राष्ट्रपति हामिद करज़ई को भेजा जाएगा. महत्वपूर्ण है कि इससे पहले तालेबान ने किसी भी तरह की बातचीत शुरु किए जाने की कोशिश को ख़ारिज किया है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये कदम तब उठाया गया है जब हिंसा में मारे जाने वाले आम नागरिकों की संख्या बढ़ रही है और अफ़ग़ान सरकार के आम आदमी की ज़िंदगी सुधारने में विफल रहने की बात हो रही है. अमरीकी सेना के एक प्रवक्ता का कहना था कि उसे इस बारे में जानकारी है लेकिन 'अभी ये देखना बाक़ी है कि इसका क्या असर होता है.' | इससे जुड़ी ख़बरें अफ़ग़ान सांसदों ने ख़ुद को बचाया31 जनवरी, 2007 | भारत और पड़ोस अमरीका नैटो को मदद करने पर राज़ी 25 जनवरी, 2007 | भारत और पड़ोस काबुल एक्सप्रेस के ख़िलाफ़ लंदन में प्रदर्शन23 जनवरी, 2007 | भारत और पड़ोस मुल्ला उमर पर दावा ग़लत: पाकिस्तान18 जनवरी, 2007 | भारत और पड़ोस 'मुल्ला उमर पाकिस्तान में छिपे हैं'17 जनवरी, 2007 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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