बुधवार, 18 अप्रैल, 2007 को 08:46 GMT तक के समाचार
रामदत्त त्रिपाठी
बीबीसी संवाददाता
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में लगभग 50 प्रतिशत मतदान हुआ है. इस चरण में रुहेलखंड के दस ज़िलों में फैली 57 सीटों के लिए मतदान हुआ.
ये जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी अनुज कुमार बिश्नोई ने कहा कि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हुआ. चुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे.
लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष सलमान ख़ुर्शीद ने फ़रूख़ाबाद के कैमगंज चुनाव क्षेत्र में दोबारा मतदान की माँग की है. वहाँ से उनकी पत्नी लुइस ख़ुर्शीद चुनाव लड़ रही हैं
सलमान ख़ुर्शीद का आरोप था कि उन्हें और उनकी पत्नी को ग़लत मतदाता सूची के कारण वोट नहीं डालने दिया गया और ये उनके समर्थकों को वोट न डालने देने की एक बड़ी साज़िश का हिस्सा था.
एक चुनाव अधिकारी का कहना था कि इन शिकायतों की जाँच हो रही है और वरिष्ठ अधिकारी संबंधित इलाक़े में पहुँच गए हैं.
वर्ष 2002 में हुए चुनावों के मुकाबले में इस बार लगभग नौ प्रतिशत कम मतदान हुआ. अब तक हुए तीन चरणों के चुनाव में कुल 403 में से 167 सीटों पर मतदान पूरा हो चुका है और चुनाव परिणाम ग्यारह मई को सामने आएँगे.
तीसरे चरण का मतदान खुद मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक भाग्य के लिए महत्वपूर्ण था. वो बदायूँ की गुन्नौर विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी हैं.
तीसरे चरण में 861 उम्मीदवार मैदान में थे और सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि अर्धसैनिक बलों के लगभग 66 हज़ार जवान तैनात किए गए थे.
सपा के लिए अहम क्षेत्र
रुहेलखंड और तराई की इन सीटों पर पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया था.
तीसरे चरण में कन्नौज, मुरादाबाद और बरेली में मतदान हुआ. वर्ष 2002 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 57 में से सिर्फ़ 11 सीटें मिली थी.
उस समय कल्याण सिंह बाग़ी मुद्रा में थे. बहुजन समाज पार्टी को नौ और कांग्रेस को पाँच सीटों से संतोष करना पड़ा था जबकि निर्दलीय के खाते में भी पाँच सीटें गईं.
सामाजिक आधार पर देखें तो रुहेलखंड में मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं और कई सीटों पर उनकी निर्णायक भूमिका होने की संभावना थी.
साथ ही यादव, कुर्मी, लोध जैसी पिछड़ी जातियों की संख्या भी कई सीटों पर अधिक है.
पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बनाने में इस इलाक़े का बड़ा योगदान था और उस समय पार्टी को 25 सीटें मिली थीं. साथ ही 17 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी.
रुहेलखंड के इस इलाक़े में तराई का क्षेत्र भी शामिल है. लेकिन इत्तेहादे मिल्लत कॉंन्सिल ने कई इलाक़ों में उम्मीदवार खड़ा करके सपा और कांग्रेस के मुश्किलें पैदा की है.
प्रेक्षकों का कहना है कि हर सीट पर एक अलग समीकरण थे और चुनाव में पार्टी से ज़्यादा उम्मीदवार के अपने व्यक्तित्व और व्यवहार की भूमिका महत्वपूर्ण थी.