बुधवार, 18 अप्रैल, 2007 को 12:47 GMT तक के समाचार
भारत का सुप्रीम कोर्ट अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण पर लगी रोक के मामले में केंद्र सरकार की अर्ज़ी पर इस माह 23 अप्रैल को विचार करेगा.
बुधवार को सोलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार की अर्ज़ी को जस्टिस अरिजीत पसायत और जस्टिस एलएस पान्टा की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया था.
खंडपीठ ने केंद्र सरकार की अर्ज़ी के बारे में विचार करने के लिए 23 अप्रैल की तारीख़ तय की है.
ग़ौरतलब है कि इसी सप्ताह सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी देकर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई रोक वापस लेने की अपील की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक पखवाड़ा पहले अगले शैक्षणिक सत्र से उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को आरक्षण देने के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल लाहोटी ने पत्रकारों को बताया, "सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस अपील पर आश्चर्य व्यक्त किया है. यह अपील एक पुनर्विचार याचिका के तौर पर देखी जा रही है पर सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार ऐसा चैंबर में संभव है, अदालत में नहीं."
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सोमवार को एक 'स्पष्टीकरण आवेदन' अदालत में पेश किया.
सरकार ने इस मामले की सुनवाई के लिए पाँच न्यायाधीशों वाली संवैधानिक पीठ का गठन करने की भी माँग की.
सरकार ने अपनी दलील में कहा कि मंडल मामले में नौ सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने ओबीसी आरक्षण पर मुहर लगाई थी और यह सभी संबंधित पक्षों के लिए लागू होती है.
पिछले महीने यानी 29 मार्च को दो सदस्यीय खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण पर रोक के बारे में जो अंतरिम आदेश दिया था उसे एक तबका सरकार के लिए महज एक सलाह मान रहा है इसलिए अदालत को अपना रूख़ स्पष्ट करना चाहिए.